कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) से जुड़े भूमि आवंटन घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक संस्था द्वारा शुक्रवार को एफआईआर दर्ज की गई। यह मामला मुख्यमंत्री के लिए एक बड़ा कानूनी संकट बन सकता है, क्योंकि अदालत के आदेश के बाद लोकायुक्त पुलिस को मामले की जांच के निर्देश दिए गए थे। आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को नियमों का उल्लंघन करते हुए मुडा द्वारा प्रीमियम संपत्तियां आवंटित की गईं।
एफआईआर में सिद्धारमैया को मुख्य आरोपी बनाया गया है, जबकि उनकी पत्नी पार्वती, साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराज (जिससे मल्लिकार्जुन स्वामी ने जमीन खरीदी और पार्वती को गिफ्ट की) को भी शामिल किया गया है। आरोपों के अनुसार, मुडा ने पार्वती की जमीन का अधिग्रहण किया और उन्हें उच्च मूल्य की भूमि से मुआवजा दिया, जिससे उन्हें अवैध लाभ हुआ। भाजपा और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि यह घोटाला लगभग 4,000 करोड़ रुपये का है।
इस मामले में विशेष अदालत ने लोकायुक्त पुलिस को जांच के निर्देश दिए थे। इसके बाद लोकायुक्त एडीजीपी मनीष खरबीकर ने मैसूर लोकायुक्त एसपी उदेश को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए, जिसके तहत यह कार्रवाई की गई। हालांकि अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि किन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मैं निर्दोष, कानून के तहत लड़ा जाएगाः सिद्धारमैया
इस विवाद के बीच सिद्धारमैया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह मामला कानून के अनुसार लड़ा जाएगा। विपक्ष जनता के समर्थन से घबराया हुआ है और मेरे खिलाफ राजनीति से प्रेरित मामला दर्ज कराया गया है। मैंने कोई गलत काम नहीं किया, और न्याय मेरे पक्ष में है। मैं इसका सामना करूंगा और जीतूंगा।”
सिद्धारमैया ने विपक्ष पर हमला करते हुए आगे कहा कि यह उनके खिलाफ पहला राजनीतिक मामला है, और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विपक्ष शासित राज्यों में केंद्रीय एजेंसियों और राज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग कर रही है।
सीबीआई को स्वतंत्र जांच के लिए दी गई सहमति वापस ली
इस बीच सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की शक्तियों पर रोक लगाने का फैसला किया है। इसके तहत, कर्नाटक सरकार ने राज्य में सीबीआई को स्वतंत्र रूप से जांच करने की अनुमति देने वाले प्रावधान को समाप्त करने का निर्णय लिया है।
यह निर्णय राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया। इसके साथ ही, सरकार ने राज्यपाल के कार्यालय को सीधी जानकारी नहीं देने का भी निर्णय लिया है। कर्नाटक के कानून मंत्री एच.के. पाटिल ने गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक की जानकारी साझा करते हुए बताया, “ये कदम देश के संघीय ढांचे को मजबूत करने के लिए उठाए गए हैं।”
कानून मंत्री ने स्पष्ट किया कि मंत्रिमंडल ने उस अधिनियम को रद्द करने का निर्णय लिया है, जो सीबीआई को राज्य में स्वतंत्र जांच का अधिकार प्रदान करता था। उन्होंने कहा कि आरोप है कि सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है, इसलिए ‘राज्य में सीबीआई को फ्री हैंड’ वापस लेने का निर्णय लिया गया है।
मामला क्या है?
यह मामला उस समय उभरा जब आरोप लगे कि 2009 में शुरू हुई मुडा की 50:50 योजना के तहत पार्वती को मुआवजे के रूप में अधिक मूल्य वाली भूमि दी गई थी। इस योजना का उद्देश्य था कि जमीन खोने वाले लोगों को विकसित भूमि का 50 प्रतिशत हिस्सा दिया जाए। हालांकि, यह भी आरोप है कि पार्वती के पास 3.16 एकड़ जमीन पर कोई कानूनी अधिकार नहीं था, जो कि इस योजना के अंतर्गत अधिग्रहित की गई थी।
सिद्धारमैया ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भूमि सौदा नियमों के अनुसार हुआ था और इसमें कोई अनियमितता नहीं थी। उन्होंने विपक्ष द्वारा उनके इस्तीफे की मांग को भी खारिज कर दिया, जो अदालत के आदेश के बाद तेज हो गई थी।