Thursday, October 16, 2025
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‘विधायक के ‘अहंकार’ को ठेस पहुंची, इसलिए सीईओ निलंबित हुआ’, मध्य प्रदेश HC ने कहा- यह जनहित का मामला नहीं

भोपाल: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के निलंबन को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह निलंबन किसी जन शिकायत के कारण नहीं, बल्कि एक महिला विधायक के ‘अहंकार’ को चोट पहुंचने के कारण किया गया था। यह मामला सीधी जिले के सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक से जुड़ा है, जहां एक कर्मचारी के तबादले को लेकर विवाद शुरू हुआ था, जिसके बाद विधायक के दबाव में सीईओ को निलंबित कर दिया गया था।

हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक जैन ने सीधी जिले के सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के सीईओ के निलंबन को रद्द कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि निलंबन का आदेश “अत्यधिक शक्तियों का प्रयोग, पूर्वाग्रह से प्रेरित और विधायक के इशारे पर पारित किया गया था।”

क्या था पूरा मामला?

कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता (सीईओ) ने बैंक के एक कर्मचारी का तबादला किया था। इससे विधायक (जो मंत्री भी थीं) नाराज हो गईं। उन्होंने सीईओ को फोन करके बिना उनकी जानकारी के तबादला करने के लिए फटकारा। इसके बाद विधायक ने सीईओ पर अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया, जिसके चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया था।

कोर्ट ने कहा कि यह मामला विधायक द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का है। विधायक ने एक क्लर्क के तबादले को रद्द कराने के लिए सीईओ पर दबाव डाला और जब सीईओ ने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो उनका निलंबन करवा दिया।

कोर्ट की ने क्या कहा?

जस्टिस विवेक जैन ने कहा कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों से यह स्पष्ट है कि यह मामला किसी सामान्य जन शिकायत का नहीं था। कोर्ट ने कहा, “यह वास्तव में एक ऐसा मामला है जहां विधायक के अहंकार को चोट पहुंची क्योंकि याचिकाकर्ता ने एक क्लर्क के तबादले को रद्द करने की उनकी मांग को मानने से इनकार कर दिया था।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला किसी विधायक या सांसद द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र में जन शिकायतों का हवाला देते हुए कर्मचारी के तबादले की सिफारिश करने जैसा नहीं है। यह एक ऐसा मामला था जहां जनप्रतिनिधि एक मामूली पद पर कार्यरत कर्मचारी का पक्ष ले रहे थे और सीईओ पर तबादला रद्द करने का दबाव डाल रहे थे। ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने दबाव में झुकने से इनकार कर दिया था।

कोर्ट ने विधायक द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करने और अपने पद का दुरुपयोग करने की बात कही। इस फैसले के साथ, कोर्ट ने सीईओ के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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