कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगाने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि आरएसएस की विचारधारा जहर की तरह है और यह संगठन देश में विभाजन और नफरत का माहौल फैलाता है।
सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के दिन आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में खड़गे ने कहा, “मेरी निजी राय में आरएसएस पर बैन लगना चाहिए। यहां तक कि सरदार पटेल ने भी सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने से मना किया था।”
खड़गे का यह बयान उस समय आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के एकता नगर में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ कार्यक्रम के दौरान कहा कि “सरदार पटेल जम्मू-कश्मीर को भी भारत में पूरी तरह मिलाना चाहते थे, लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।”
पीएम मोदी ने कहा कि “पटेल ने 550 से अधिक रियासतों को एकजुट किया, जो असंभव लगने वाला कार्य था। लेकिन कांग्रेस की गलती से कश्मीर को अलग संविधान और झंडा मिला, जिससे देश दशकों तक भुगतता रहा।”
इसपर खड़गे ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा और आरएसएस बार-बार इतिहास तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं और पटेल-नेहरू के बीच दरार दिखाने की कोशिश करते हैं। खड़गे ने कहा, “असलियत यह है कि दोनों नेताओं में आपसी सम्मान और सहयोग था। नेहरू ने पटेल को भारत की एकता का शिल्पी कहा था और पटेल ने नेहरू को देश का आदर्श बताया था।”
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गांधी की हत्या के बाद पटेल की चिट्ठी का जिक्र
कांग्रेस अध्यक्ष ने पत्रकारों के सामने सरदार पटेल का वह ऐतिहासिक पत्र भी याद दिलाया, जो उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को महात्मा गांधी की हत्या के बाद लिखा था। उस पत्र में पटेल ने आरएसएस को वातावरण को विषाक्त करने वाला बताया था और कहा था कि संगठन की गतिविधियों ने गांधी की हत्या जैसी त्रासदी का माहौल तैयार किया।
जब खड़गे से पूछा गया कि क्या वे आरएसएस पर प्रतिबंध की मांग आधिकारिक रूप से रखेंगे, तो उन्होंने कहा, “यह मेरी निजी राय है, लेकिन देश में अधिकांश कानून-व्यवस्था की समस्याएं बीजेपी और आरएसएस से ही पैदा हो रही हैं।”
खड़गे ने अंत में कहा कि सरदार पटेल और इंदिरा गांधी- दोनों ने देश की एकता के लिए अपना जीवन समर्पित किया। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज इन दोनों नेताओं की जयंती और पुण्यतिथि के दिन हमें याद रखना चाहिए कि कांग्रेस की परंपरा देश को जोड़ने की रही है, तोड़ने की नहीं।
गौरतलब है कि हाल के दिनों में आरएसएस पर प्रतिबंध की मांग कर्नाटक में लगातार उठाई गई। मल्लिकार्जुन के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने इसको लेकर 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को पत्र लिखा था।
इसके कुछ दिनों बाद राज्य सरकार ने सरकारी संपत्तियों और परिसरों के उपयोग को लेकर बड़ा आदेश जारी किया जिसके तहत निजी संस्थाओं, संगठन या समूहों को सरकारी संपत्ति या परिसर में कार्यक्रम या जुलूस आयोजित करने से पहले सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया। बिना अनुमति ऐसा करने वालों पर कार्रवाई के प्रावधान थे।
इस आदेश को कोर्ट में चुनौती दी गई जिसके बाद धारवाड़ बेंच ने उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।



 
                                    