Saturday, November 8, 2025
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माली में 5 भारतीय नागरिकों का अपहरण, बंदूकधारियों ने काफिले को रोक किया अगवा

पश्चिमी माली में 6 नवंबर को बंदूकधारियों ने विद्युतीकरण परियोजनाओं पर काम कर रहे पाँच भारतीय नागरिकों का अपहरण कर लिया। किसी भी समूह ने इसकी ज़िम्मेदारी नहीं ली है। भारत ने अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है

पश्चिम अफ्रीका के अशांत देश माली में गुरुवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने पांच भारतीय नागरिकों का अपहरण कर लिया। ये सभी माली के पश्चिमी हिस्से के कोब्री इलाके में एक विद्युतिकरण परियोजना पर काम कर रहे थे। गुरुवार को कोब्री के पास बंदूकधारियों ने उनके काफिले को रोककर उन्हें अगवा किया।

कंपनी के एक प्रतिनिधि ने समाचार एजेंसी एएफपी से पांच भारतीय कर्मचारियों के अपहरण होने की पुष्टि की। उसने बताया कि बाकी भारतीयों को राजधानी बमाको सुरक्षित पहुंचा दिया गया है। फिलहाल किसी संगठन ने इस अपहरण की जिम्मेदारी नहीं ली है।

माली फिलहाल एक सैन्य शासन (मिलिट्री जुंटा) के नियंत्रण में है और देश लंबे समय से जिहादी हिंसा और अस्थिरता से जूझ रहा है। भारत ने अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है।

माली में हिंसा और जिहादी संकट, क्या है अभी स्थिति?

माली में बीते एक दशक से अलकायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े उग्रवादी गुट सक्रिय हैं। लगातार हो रही हिंसा, हमले और अपहरणों ने देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया है। हाल के महीनों में अलकायदा समर्थित संगठन जमात नुसरत अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन (जेएनआईएम) ने देशभर में ईंधन आपूर्ति रोककर राजधानी बमाको समेत कई इलाकों में गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें ईंधन टैंकरों को जलाते हुए देखा गया है।

अपहरण की घटनाएं भी अब आम हो चुकी हैं। 2012 से अब तक कई विदेशी नागरिकों का अपहरण किया जा चुका है। सितंबर में जेएनआईएम के उग्रवादियों ने बमाको के पास दो अमीराती नागरिकों और एक ईरानी नागरिक का अपहरण किया था। बाद में लगभग 50 मिलियन डॉलर की फिरौती लेकर उन्हें रिहा किया गया।

माली की मौजूदा सैन्य सरकार का नेतृत्व जनरल असीमी गोइटा कर रहे हैं, जिन्होंने 2020 में तख्तापलट के जरिए सत्ता संभाली थी। सत्ता में आने के बाद उन्होंने वादा किया था कि देश को अलगाववादियों और आतंकियों से मुक्त कराया जाएगा, लेकिन हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ते चले गए।

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन और फ्रांसीसी सेना, जो 2013 से माली में सक्रिय थीं, अब वापस लौट चुकी हैं। उनकी जगह सरकार ने रूसी भाड़े के सैनिकों को तैनात किया है, लेकिन इसके बावजूद उत्तरी और पूर्वी माली के कई हिस्से अब भी सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं।

फ्रांस ने अपने नागरिकों को माली छोड़ने की सलाह दी

बढ़ते जिहादी खतरे के बीच फ्रांस ने अपने नागरिकों को माली से तुरंत निकलने की चेतावनी दी है। फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि “जब तक वाणिज्यिक उड़ानें उपलब्ध हैं, तब तक देश छोड़ दें और किसी भी तरह की सड़क यात्रा से बचें।”

माली में अल-कायदा से जुड़े उग्रवादियों द्वारा दो महीने पहले लगाए गए ईंधन प्रतिबंध ने देश में रोजमर्रा की जिंदगी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। इसी संकट के कारण दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनी एमएससी ने माली में अपने परिचालन को बंद करने की घोषणा की है।

अमेरिकी दूतावास ने हाल में अपने गैर-जरूरी कर्मचारियों और परिवारों को बमाको से हटाने की घोषणा की थी। दूतावास ने कहा कि ईंधन आपूर्ति में रुकावट से बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है और इससे देश की समग्र सुरक्षा स्थिति पर अप्रत्याशित असर पड़ सकता है।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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