मुंबई: महाराष्ट्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने सिफारिश की है कि ‘नॉन-क्रीमी लेयर’ के लिए वार्षिक आय सीमा को मौजूदा 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये किया जाए। साथ ही राज्य में मदरसा शिक्षकों के वेतन को भी बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल की यह बैठक गुरुवार को हुई और माना जा रहा है कि चुनाव से पहले मंत्रिमंडल की यह आखिर बैठक हो सकती है।
महाराष्ट्र में इसी साल चुनाव होने हैं। बहरहाल, मंत्रिमंडल की इस सिफारिश को केंद्र से मंजूरी मिलना जरूरी है। चुनाव से पहले महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार की कोशिश है कि वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में अपनी पैठ गहरी करे।
दरअसल, ओबीसी श्रेणी में आरक्षण लाभ प्राप्त करने के लिए ‘नॉन-क्रीमी लेयर’ प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। मौजूदा नियमों के अनुसार अगर किसी ओबीसी परिवार की वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख से कम होती है, तो उसे ही आरक्षण का लाभ मिलता है। वार्षिक आय सीमा बढ़ाने से और ज्यादा ओबीसी परिवारों को आरक्षण की नीति में शामिल किया जा सकेगा।
इस साल लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के उम्मीदों से उलट प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र के बजट सत्र के दौरान भाजपा नेता और राज्य के ओबीसी बहुजन कल्याण विभाग के प्रभारी मंत्री अतुल सावे ने कहा था कि राज्य सरकार आय सीमा बढ़ाने की मांग उठाएगी। .
सीएम एकनाथ शिंदे की कैबिनेट ने गुरुवार को महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए एक मसौदा अध्यादेश को भी मंजूरी दे दी। सरकार ने एक बयान में कहा कि अध्यादेश विधानमंडल के अगले सत्र में पेश किया जाएगा, जिसमें कहा गया है कि आयोग के लिए 27 पदों को मंजूरी दी गई है।
तीन हफ्ते में चौथी बार कैबिनेट बैठक, मदरसा शिक्षकों का वेतन बढ़ा
महाराष्ट्र कैबिनेट ने तीन सप्ताह में अपनी चौथी बैठक की है। इस आखिरी बैठक के दौरान 40 से अधिक प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इनमें से ज्यादातर फैसले छोटे समुदायों और अल्पसंख्यकों को लेकर थे।
इन फैसलों में मौलाना आजाद अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम की शेयर पूंजी को 700 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये और मदरसा शिक्षकों का मासिक वेतन 6,000 रुपये से बढ़ाकर 16,000 रुपये (डी.एड के लिए) और 8,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये (बी.एड के लिए) करने का भी निर्णय लिया जाना भी शामिल है।
कैबिनेट ने शिमी, गवली, लाडशाखी वाणी-वाणी, लोहार और नाथपंथी समुदायों के लिए 50 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी के साथ विकास निगम स्थापित करने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है। पत्रकारों और समाचार पत्र विक्रेताओं के लिए दो विशेष निगम स्वीकृत किये गये हैं।
अन्य निर्णयों में कैबिनेट ने धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए बोरीवली क्षेत्र में सरकारी भूमि के आवंटन को भी मंजूरी दे दी है। बांद्रा सरकारी कॉलोनी में रहने वाले कर्मचारियों के लिए आवास को भी मंजूरी मिली है। इसके अलावा जालना-नांदेड़ एक्सप्रेसवे का निर्माण जो मुंबई-नागपुर समृद्धि एक्सप्रेसवे से जुड़ा होगा, महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) को पालघर जिले में भूमि पार्सल का आवंटन जैसे फैसले भी शामिल हैं। युवा रोजगार पर जर्मनी के साथ राज्य के समझौता ज्ञापन के तहत महाराष्ट्र राज्य अंतर्राष्ट्रीय रोजगार और कौशल उन्नति कंपनी (Skill Advancement Company) की स्थापना करने का फैसला भी लिया गया है।
अजीत पवार 10 मिनट में मीटिंग से बाहर निकले
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले हुई इस आखिरी मानी जा रही कैबिनेट बैठक में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार केवल 10 मिनट के लिए उपस्थित थे। वे गुरुवार को मीटिंग में रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के तुरंत बाद चले गए। पवार के पास वित्त विभाग भी है। उनके जाने के बाद बैठक करीब ढाई घंटे चली। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की और डिप्टी सीएम देवेन्द्र फड़णवीस भी पूरी मीटिंग के दौरान मौजूद रहे।
अंदरूनी सूत्रों के अनुसार संभव है कि अजीत पवार कामकाज के तरीकों से नाखुश हों। ऐसा इसलिए क्योंकि अंतिम समय में बिना पूर्व परिपत्र के कैबिनेट बैठक में बड़ी संख्या में कई बड़े प्रस्ताव लाए गए हैं। पिछले कुछ हफ्तों में वित्त विभाग ने कैबिनेट में लाए गए कई प्रस्तावों पर आपत्ति भी जताई है। हालांकि अजित पवार की प्रतिक्रिया सामने नहीं आ सकी है लेकिन एनसीपी की राज्य इकाई के प्रमुख और लोकसभा सांसद सुनील तटकरे ने कहा कि महायुति में किसी भी तरह के मतभेद का कोई सवाल ही नहीं है।