मुंबई: महाराष्ट्र के 2024 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस राजधानी मुंबई के 36 सीटों में इस बार केवल 11 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है। यह संख्या पिछले बार की सीट संख्या की आधी से भी कम है। 2019 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मुंबई शहर में 30 सीटों पर चुनाव लड़ी थी।
हाल के चुनावों को देखते हुए कांग्रेस की यह सबसे कम सीट शेयरिंग है। सीट के बंटवारे को लेकर मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़, विधायक असलम शेख और शिवसेना (यूबीटी) के बीच कई दौर की बातचीत हुई है जिसके बाद कांग्रेस को शहर से केवल 11 सीटें ही मिली है।
हालांकि कांग्रेस मुंबई शहर में जिन 11 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, दावा है कि यह सभी सीटें भाजपा का गढ़ मानी जाती है जिस पर कांग्रेस के जीत हासिल करने की संभावना काफी कम है।
इन 11 सीटों में से चार सीटे ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं। इसके अलावा बांद्रा ईस्ट और चांदीवली की सीट में अदला बदली की गई है। इसके तहत शिवसेना (यूबीटी) के चांदीवली सीट को कांग्रेस ने ले लिया है जबकि बांद्रा ईस्ट यूबीटी के पास चली गई है।
कांग्रेस ने भायखला और वर्सोवा जैसी सीटों पर अपना दावा छोड़ दिया है जिन पर पहले वह चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक थी।
वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन की दूसरी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी-एसपी) की बात करें तो इस बार पार्टी तीन सीटों पर शहर में चुनाव लड़ रही है। पार्टी के पास एक भी शहर में मौजूदा विधायक नहीं है। जबकि मुंबई में इस बार समाजवादी पार्टी दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
बता दें कि महाराष्ट्र में 2024 का विधानसभा चुनाव 2019 की तुलना में काफी अलग है। पिछली बार कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने एक-साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जबकि शिवसेना और भाजपा एक-साथ थे। हालांकि, इस बार एनसीपी और शिवसेना दोनों दो धड़ों में बंट गए हैं।
अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और भाजपा एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ मैदान में है, जबकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) की विपक्षी महा विकास अघाड़ी उसे चुनौती दे रही है।
महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होना है। मंगलवार को नामांकन प्रक्रिया खत्म हो गई। इसके नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
कांग्रेस सीट शेयरिंग पर क्या कहना है राजनीतिक जानकारों का
मुंबई में कांग्रेस की सीट शेयरिंग पर राजनीतिक जानकारों ने कहा है कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) के गठबंधन में इस बार कांग्रेस को राजधानी मुंबई में उचित सीटें नहीं मिली है जिस कारण पार्टी पर भविष्य में इसका असर पड़ सकता है।
यही नहीं ऐसा पहली बार देखने को मिला है जहां नॉर्थ ईस्ट मुंबई में कांग्रेस केवल एक ही सीट मुलुंड से चुनाव लड़ रही है।
इस सीट से एनसीपी (एसपी) और कांग्रेस दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है। ऐसे में अगर कांग्रेस उम्मीदवार अपना नाम वापस ले लेते हैं तो इस केस में नॉर्थ ईस्ट मुंबई में कांग्रेस का कोई प्रतिनिधित्व नहीं रहेगा।
कांग्रेस की सीट शेयरिंग को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि इस बार कांग्रेस अपने गठबंधन के पार्टिोयों से खुद के लिए सही सीटें निकालवाने में असफल रही है। जानकारों ने कहा है कि जिस तरीके से इस बार सीटों की शेयरिंग हुई है इससे यह समझ आता है कि इस बार लगभग हर सीट पर समीकरण बनते और बिगड़ते दिख रहे हैं।
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सीट शेयरिंग पर मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष ने क्या कहा
सीट बंटवारे पर बोलते हुए मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने कहा है कि पार्टी का यह लक्ष्य था कि वह इस चुनाव में कम से कम 14-15 सीटें हासिल करें। लेकिन कई दौर की बैठकों के बाद भी गठबंधन के अन्य पार्टियों के साथ इस पर सहमति नहीं बन पाई थी जिस कारण हमें केवल 11 सीटें ही मिली हैं।
वर्षा ने यह भी कहा है कि पार्टी बायकुला और वर्सोवा सीट पर चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन बात बन नहीं पाई थी। उन्होंने गठबंधन के “धर्म” के सम्मान करने की बात कहते हुए चुनाव में अधिकतम सीटें जीतने के प्रयास के बारे में जोर दिया है।