मुंबईः महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। बीते सप्ताह अजीत के परिवार के उनके बेटे पार्थ के स्वामित्व वाली कंपनी द्वारा हस्ताक्षरित भूमि समझौते को लेकर विवाद हो गया। इससे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) कानूनी विवाद में फंस गई है। वहीं भाजपा के साथ अनबन की भी स्थिति हो गई है।
दरअसल यह मामला पुणे की एक सरकारी जमीन से जुड़ी है जो दलितों के लिए आरक्षित है। इसमें पार्थ पवार की कंपनी अमाडिया होल्डिंग्स एलएलपी पर ‘जमीन चोरी’ का आरोप लगा। इसके अलावा एक और आरोप यह है कि इस सौदे के बाद स्टाम्प शुल्क में माफी का था जिससे उन्हें करोड़ों रुपये का फायदा हुआ। आरोप यह लगाया गया मंत्री का बेटा होने के चलते पार्थ को अनुचित लाभ मिला है।
विपक्ष ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का प्रयास किया। इस बीच भाजपा ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जांच तेज कर दी है। डिप्टी सीएम अजीत पवार ने सार्वजनिक रूप से अपनी किसी भी भूमिका से इंकार कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
अजीत पवार ने कहा कि उनके बेटे को कानूनी पहलुओं की जानकारी नहीं थी और यह भी कहा कि सौदा रद्द कर दिया गया है।
यह सौदा जो कि महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल का कारण बना हुआ है। पार्थ की कंपनी अमाडिया होल्डिंग्स एलएलपी से जुड़ा है। कंपनी ने पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में 40 एकड़ का प्लॉट लगभग 300 करोड़ रुपये में खरीदा जबकि इसका बाजार मूल्य 1,804 करोड़ रुपये था।
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, कंपनी को सौदे के दो दिन बाद स्टाम्प ड्यूटी में भी भारी छूट मिल गई। कंपनी को सिर्फ 500 रुपये स्टाम्प ड्यूटी के देने पड़े।
यह भी पढ़ें – ट्रेलर पार्क बॉयज के एक्टर Mike Smith पर यौन उत्पीड़न का आरोप, 8 साल पुराना है मामला
यह जमीन अनुसूचित समुदाय के महार समुदाय के लिए आरक्षित ‘वतन’ श्रेणी में आती थी। बॉम्बे अवर ग्राम वतन उन्मूलन अधिनियम, 1958 के तहत ऐसी जमीन बिना सरकारी अनुमति के नहीं बेची जा सकती। इसे “लाभ के पद” का मामला बताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दामानिया ने अजीत पवार से उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की।
पिछले हफ्ते जब यह मामला सामने आया तो विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला। विपक्ष ने पवार परिवार और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए जमीन सरकार को वापस करने और आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की।
विपक्ष ने क्या आरोप लगाए?
शिवसेना (यूबीटी) के नेता अंबादास दानवे ने आरोप लगाया कि अमाडिया के पास सिर्फ 1 लाख रुपये की पूंजी है। उन्होंने कहा कि “कंपनी ने कोरेगांव पार्क (पुणे) में एक आईटी पार्क और डेटा सेंटर बनाने की तैयारी शुरू कर दी है जहां रियल एस्टेट की कीमतें आसमान छू रही हैं। एक लाख रुपये की पूंजी वाली कंपनी के लिए यह कैसे संभव हुआ (खासकर जब यह महार वतन की जमीन हो)?”
उन्होंने स्टाम्प शुल्क में माफी का मामला भी उठाते हुए सवाल किया कि पूर्व अनुभव के अभाव के बावजूद कंपनी के प्रस्ताव को क्यों स्वीकार कर लिया गया?
यह भी पढ़ें – ‘यहां तक कि हिंदू धर्म भी पंजीकृत नहीं’, संघ की कानूनी स्थिति और टैक्स छूट पर मोहन भागवत ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने पूछा, “न लोकतंत्र की परवाह, न जनता की, न दलितों के अधिकारों की। मोदी जी, आपकी चुप्पी बहुत कुछ कहती है। क्या आप इसलिए चुप हैं क्योंकि आपकी सरकार उन्हीं लुटेरों द्वारा समर्थित है जो दलितों और वंचितों के अधिकारों को हड़पते हैं?”
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इन आरोपों को ‘गंभीर’ बताते हुए गुरुवार, 5 नवंबर को जांच के आदेश दिए थे। इस दौरान उन्होंने जोर देकर कहा था कि उनकी सरकार ऐसी अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं करेगी।

