दुबई: महादेव बेटिंग ऐप मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को बड़ी कामयाबी मिली है। इसके मुख्य साजिशकर्ता सौरभ चंद्राकर को दुबई में गिरफ्तार कर लिया गया है। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), और छत्तीसगढ़ पुलिस इस घोटाले की जांच कर रहे हैं। वे विदेश मंत्रालय के माध्यम से प्रत्यर्पण दस्तावेज तैयार कर रहे हैं ताकि चंद्राकर को जल्द से जल्द भारत लाया जा सके।
अगस्त में सीबीआई को इसकी जांच की जिम्मेदारी दी गई थी जिसके बाद इंटरपोल ने चंद्राकर के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था। खबरों की मानेंं तो सौरभ चंद्राकर को एक हफ्ते के भीतर भारत लाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अदालत ने गुरुवार को चंद्राकर के प्रत्यर्पण का आदेश जारी किया। इसी अदालत ने 4 सितंबर को चंद्राकर और उसके बिजनेस पार्टनर रवि उप्पल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
ईडी के वकील सौरभ कुमार पांडे के मुताबिक इस वारंट का उपयोग इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए किया गया था, जिसके आधार पर चंद्राकर को गिरफ्तार किया गया है। हमने प्रत्यर्पण प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आवश्यक दस्तावेज हासिल करने के लिए फिर से विशेष अदालत का रुख किया। अब यह दस्तावेज दुबई की संबंधित अदालत को भेजा जाएगा। हम अपनी ओर से इसे मंत्रालय को भी सौंपेंगे।
उधर, हिंदुस्तान टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि चंद्राकर और उसके बिजनेस पार्टनर रवि उप्पल को पिछले साल दिसंबर में दुबई में “हाउस डिटेंशन” में रखा गया था। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि महादेव ऑनलाइन बुक ऐप के संचालन दुबई से किए जा रहे थे और इसे 70%-30% के मुनाफे के अनुपात में फ्रेंचाइज “पैनल या शाखाओं” के माध्यम से चलाया जा रहा था।
अगस्त में इस घोटाले की जांच के लिए सीबीआई को शामिल किया गया था। सीबीआई ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज सभी प्राथमिकी (एफआईआर) अपने कब्जे में ले ली हैं, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम भी शामिल है। वहीं, मामले में ईडी ने नवंबर में आरोप लगाया था कि चंद्राकर और उप्पल ने बघेल को ₹508 करोड़ की रिश्वत दी थी।
एफआईआर में कहा गया है- ”महादेव ऐप के प्रमोटरों ने कई पुलिस अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों और प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों को बड़ी मात्रा में प्रोटेक्शन मनी दी ताकि उनकी अवैध गतिविधियों पर पुलिस कोई कार्रवाई न कर सके। यह पैसा हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचाया गया और फिर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों तक पहुंचा। इस प्रकार, कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करते हुए खुद को प्रोटेक्शन मनी के रूप में लाभ पहुंचाया और अवैध संपत्ति बनाई।” हालांकि बघेल ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि उनकी छवि को राजनीतिक बदले की भावना से खराब किया जा रहा है।
ईडी ने इस मामले में दो आरोप पत्र दाखिल किए हैं, जिनमें से एक चंद्राकर और उप्पल के खिलाफ है। ईडी ने आरोप लगाया कि चंद्राकर ने फरवरी 2023 में यूएई के रस अल खैमा में शादी की, जिसमें लगभग ₹200 करोड़ नकद खर्च हुए थे। इस आयोजन के लिए भारत से यूएई तक रिश्तेदारों को ले जाने के लिए प्राइवेट जेट किराए पर लिए गए थे और शादी में प्रदर्शन करने के लिए मशहूर हस्तियों को भुगतान किया गया था। ईडी ने कहा कि इस मामले में अपराध की अनुमानित आय लगभग ₹6,000 करोड़ है। अब तक, ईडी ने इस मामले में ₹572.41 करोड़ की संपत्तियां जब्त की हैं।
पहली बार यह मामला तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सामने आया था। तब से यह मामला छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक तनाव का केंद्र बन गया, जहां दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर चंद्राकर और उनके कथित साझेदार रवि उप्पल को बचाने का आरोप लगा रही थीं।
क्या है महादेव बेटिंग ऐप केस?
महादेव बेटिंग ऐप एक ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप है जिसके जरिए लोग क्रिकेट और अन्य खेलों पर दांव लगा सकते थे। इस ऐप पर कई अवैध सट्टेबाजी वेबसाइट का संचालन होता था। बेनामी बैंक खातों से से मनी लॉन्डरिंग की जाती थी। यह ऐप भारत में काफी लोकप्रिय था, खासकर छत्तीसगढ़ राज्य में।
महादेव बेटिंग ऐप कैसे करता था काम?
ये ऐप सोशल मीडिया पर पेड एडवर्टाइजमेंट दिखाकर लोगों को आईपीएल मैच, फुटबॉल, टेनिस और दूसरे खेलों में खिलाड़ियों और नतीजों पर दांव लगाने के लिए तैयार करता था। इस ऐप को यूज करने वालों को दो नंबर मिलते थे – एक पैसे जमा करने के लिए और दूसरा जीते हुए पैसे निकालने के लिए। ये खाते बेनामी और फर्जी होते थे और सारे दांव इस तरह से फंसाए जाते थे कि कंपनी का कभी घाटा न हो। शुरुआत में ज्यादातर नए लोगों को जल्दी पैसा मिल जाता था, लेकिन लंबे समय में उन्हें बहुत बड़ा घाटा लग जाता था।