लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बरेली की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए ‘लव जिहाद’ को लेकर बड़ी टिप्पणियां की। कोर्ट ने मामले में 25 साल के मुस्लिम शख्स को आजीवन कारावाज की भी सजा सुनाई। शख्स के पिता को भी दो साल की जेल की सजा सुनाई गई है। जज ने अपने 42 पन्ने के आदेश में बताया कि ‘लव जिहाद’ का मतलब क्या है, इसके लिए फंडिंग कहां से होती है, कैसे किया जाता है और इसका लक्ष्य क्या है?
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार 22 साल की महिला ने शुरू में जो आरोप लगाया थे, बाद में वह कोर्ट में अपने बयान से पलट गई थी। महिला ने बाद में आरोपी शख्स के पक्ष में बयान दिया था लेकिन कोर्ट ने इसे नहीं माना। अतिरिक्त जिला और सेशन जज रवि कुमार दिवाकर ने मामले को ‘लव जिहाद का उदाहरण’ बताया और कहा कि इसमें ‘धोखाधड़ी और धर्मांतरण’ जैसी बातें शामिल हैं।
जज रवि कुमार दिवाकर ने फैसले में क्या कहा?
जज ने अपने आदेश में कहा, ‘लव जिहाद का प्राथमिक उद्देश्य जनसांख्यिकी को बदलना और एक धार्मिक समूह के कट्टरपंथी गुटों द्वारा अंतरराष्ट्रीय तनाव को भड़काना है। निश्चित रूप से यह धोखाधड़ी शादी के माध्यम से गैर-मुस्लिम महिलाओं को इस्लाम में लाने का तरीका है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘ये अवैध धर्मांतरण कुछ चरमपंथी व्यक्तियों द्वारा किए जाते हैं जो या तो ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं या उनका समर्थन करते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऐसे काम पूरे समुदाय को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। ‘लव जिहाद’ की प्रक्रिया में वित्तीय संसाधन महत्वपूर् हैं और इस मामले में यह संभावना है कि विदेशी फंडिंग शामिल हो।’
क्या है पूरा मामला?
इस मामले की शुरुआत मई 2023 से होती है, जब युवती ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। युवती की शिकायत में बताया गया तब 23 साल के मोहम्मद आलिम अहमद ने साल 2022 में बरेली में एक कोचिंग क्लास में मुलाकात पर शुरू में खुद को आनंद कुमार के रूप में पेश किया था।
दोस्ती बढ़ी और फिर 13 मार्च, 2022 को दोनों ने एक मंदिर में शादी की। युवती को हालांकि बाद में उसकी असली पहचान का पता चला। युवती ने दावा किया उसे शादी के लिए गुमराह किया गया था। आलिम पर आईपीसी की धारा 376-2एन के तहत बलात्कार, धारा 506 के तहत आपराधिक धमकी और धारा 323 के तहत जानबूझकर चोट पहुंचाने सहित कई अपराधों का आरोप लगाया गया था।
मोहम्मद आलिम के पिता मोहम्मद साबिर पर भी धारा 504 के तहत आपराधिक धमकी का आरोप लगाया गया और दो साल जेल की सजा सुनाई गई है।
महिला ने बाद में बदल दिया था बयान
युवती ने 31 जुलाई 2024 को आरोपी के खिलाफ बयान दिया था। हालांकि इसके बाद वो कोर्ट में पेश नहीं हुई। वारंट जारी होने पर युवती को इसी साल 19 सितंबर को कोर्ट में पेश किया गया लेकिन इस बार उसने अपना बयान बदल दिया। उसने आलिम के पक्ष में बयान दिया। अदालत ने हालांकि उसके बदले हुए बयान को मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने संभावना जताई कि महिला आरोपी के प्रभाव में आकर ऐसा कह रही है। वहीं, महिला का कहना था उसने तब ‘दक्षिणपंथी समूहों द्वारा मेरे माता-पिता पर दबाव डालने के बाद आलिम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।’
लव जिहाद…विदेशी फंडिंग
जज ने अपने आदेश में कहा कि महिला ‘अपने माता-पिता से अलग किराए के घर में रह रही थी और बेरोजगार होने के बावजूद महंगे एंड्रॉइड फोन का उपयोग कर रही थी’, जिससे विदेशी फंडिंग का सवाल खड़ा होता है।
आदेश में कहा गया है, ‘यह स्पष्ट हो गया है कि मामले में लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्म परिवर्तन कराने की बात शामिल है। सबसे पहले यह समझना महत्वपूर्ण है कि लव जिहाद क्या है। लव जिहाद में, मुस्लिम पुरुष शादी के माध्यम से हिंदू महिलाओं का धर्म परिवर्तन करते हैं। वे योजनाबद्ध तरीके से हिंदू महिलाओं से शादी करते हैं और फिर उनका धर्म परिवर्तन कराते हैं।’
जज ने कहा, टलव जिहाद के लिए बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता होती है, इसलिए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस केस में लव जिहाद के लिए विदेशी फंडिंग की गई है।’