Monday, November 17, 2025
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स्पेसएक्स ने नासा के जिस सेंटिनल-6बी को लॉन्च किया है उसके बारे में जान लें

नासा के मुताबिक, सेंटिनल-6बी पृथ्वी के लगभग 90 प्रतिशत महासागर क्षेत्र की निगरानी करेगा जिसका उपयोग मानव सुरक्षा, शहरी योजना और महत्वपूर्ण ढांचों की रक्षा के लिए की जाएगी।

स्पेसएक्स ने सोमवार तड़के नासा के सेंटिनल-6बी (Sentinel-6B) उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च कर किया। यह खास सैटेलाइट समुद्र के बढ़ते जलस्तर की निगरानी करने के लिए बनाया गया है। सेंटिनल-6बी का प्रक्षेपण अमेरिका के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से किया गया।

नासा ने एक्स पर जानकारी देते हुए कहा कि समुद्र स्तर में बदलाव पर नजर रखने वाले उपग्रहों की शृंखला का नवीनतम यान सेंटिनल-6बी सोमवार को 12:21 एएम ईटी (10:55 AM IST) पर सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ।

सेंटिनल-6बी नासा, अमेरिका और यूरोपीय साझेदारों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। रोपियन कमीशन ने वित्तीय सहयोग दिया है, जबकि फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस ने तकनीकी योगदान दिया है। यह मिशन पिछले 30 वर्षों से इकट्ठा किए जा रहे समुद्र स्तर से जुड़े आंकड़ों को और आगे बढ़ाएगा।

उपग्रह महासागर की धाराओं, समुद्री परिस्थितियों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को अधिक सटीक रूप से दर्ज करेगा। इससे तटीय क्षेत्रों की योजना और सुरक्षा मजबूत होगी और मौसम पूर्वानुमान भी अधिक भरोसेमंद बनाए जा सकेंगे।

गौरतलब है कि स्पेसएक्स का यह दूसरा सेंटिनल-6 मिशन है। इससे पहले सेंटिनल-6 माइकल फ्रेइलिच उपग्रह नवंबर 2020 में फाल्कन-9 रॉकेट के जरिये कक्षा में भेजा गया था। दोनों उपग्रह मिलकर दुनियाभर के समुद्र के स्तर, हवा और लहरों की स्थिति तथा महासागरीय धाराओं पर महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध कराएंगे।

क्या है सेंटिनल-6बी सैटेलाइट, सारी बातें जानें

सेंटिनल-6बी सैटेलाइट फोटोः नासा

सेंटिनल-6बी सैटेलाइट और इसके छह वैज्ञानिक उपकरण लगभग साढ़े पांच साल कक्षा में रहकर समुद्र के बढ़ते स्तर और उसके पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों से जुड़े अहम आंकड़े जुटाएंगे। यह उपग्रह आकार में एक छोटी पिकअप ट्रक जितना है। इसकी लंबाई 5.82 मीटर, ऊंचाई 2.36 मीटर और चौड़ाई 4.33 मीटर है। लॉन्च के समय इसका कुल वजन 1,192 किलोग्राम था, जिसमें प्रोपेलेंट भी शामिल थे।

सेंटिनल-6बी में दो फिक्स्ड सोलर एरे के साथ दो तैनात होने वाले सोलर पैनल लगे हैं। यह पृथ्वी की परिक्रमा एक ऐसे नॉन-सन-सिंक्ट्रोनस ऑर्बिट में करेगा, जिसमें वह पृथ्वी के एक ही हिस्से के ऊपर से बार-बार गुजरेगा, लेकिन हर चक्कर में समय एक जैसा नहीं होगा। क्रॉस-कैलिब्रेशन अवधि के बाद यह सैटेलाइट अपने जुड़वां उपग्रह सेंटिनल-6 माइकल फ्राइलिच की जगह काम संभालेगा, जिसे 21 नवंबर 2020 को वैंडनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से लॉन्च किया गया था।।

नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी ने सेंटिनल-6 के लिए तीन महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपकरण विकसित किए हैं। इनमें एडवांस्ड माइक्रोवेव रेडियोमीटर फॉर क्लाइमेट, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम–रेडियो ऑक्ल्टेशन और लेजर रेट्रो-रिफ्लेक्टर एरे शामिल हैं।

नासा के मुताबिक, सेंटिनल-6बी पृथ्वी के लगभग 90 प्रतिशत महासागर क्षेत्र की निगरानी करेगा जिसका उपयोग मानव सुरक्षा, शहरी योजना और महत्वपूर्ण ढांचों की रक्षा के लिए की जाएगी। सैटेलाइट से मिलने वाली डेटा तटीय शहरों को समुद्री बाढ़ जैसे जोखिमों से बचाने में मदद करेगा और ऊर्जा, रियल एस्टेट तथा बंदरगाहों से जुड़े ढांचों की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।

इस उपग्रह की जानकारी के आधार पर तूफानों, तेज हवाओं और ऊंची लहरों के बारे में अधिक सटीक पूर्वानुमान तैयार किया जा सकेगा। इससे यह फायदा होगा कि आपदा प्रबंधन को समय रहते मजबूत कदम उठाने में सहायता मिलेगी। यह हरिकेन और चक्रवात की तीव्रता का आकलन करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

नासा ने यह भी बताया कि सेंटिनल-6बी से मिलने वाला डेटा अंतरिक्ष अभियानों में भी मददगार होगा। इससे भविष्य के मिशनों, विशेष रूप से आर्टेमिस कार्यक्रम से लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित री-एंट्री की योजना बनाने में सहायता मिलेगी।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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