बिहार चुनाव के नतीजे आते ही लालू परिवार में दो फाड़ होता दिख रहा है। लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने अचानक राजनीति से संन्यास लेने और अपने परिवार से दूरी बनाने की घोषणा कर दी। उनकी इस घोषणा ने न सिर्फ राजद, बल्कि पूरे राजनीतिक माहौल को हिला दिया है।
रोहिणी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि मैं राजनीति और परिवार दोनों छोड़ रही हूं। बाद में उन्होंने अपनी पोस्ट को एडिट करते हुए लिखा कि वे राजनीति छोड़ रही हैं और परिवार से नाता तोड़ रही हैं। पोस्ट में रोहिणी ने कहा कि यह कदम उन्होंने संजय यादव और रमीज के कहने पर उठाया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो भी हालात बने, उसका पूरा दोष वे खुद ले रही हैं।

रोहिणी ने यह कदम बिहार के चुनाव नतीते के ठीक एक दिन बाद उठाया। इस चुनाव में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को भारी हार झेलनी पड़ी। तेजस्वी यादव की पार्टी इस बार सिर्फ 25 सीटें ही जीत पाई, जबकि कांग्रेस छह सीटों पर सिमट गई। इसके उलट भाजपा 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और जदयू के साथ मिलकर एनडीए को भारी बहुमत मिला।
रोहिणी के फैसले पर अभी तक लालू यादव, तेजस्वी यादव या राजद की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पार्टी के भीतर इस कदम को लेकर चर्चा तेज है।
बिहार में करारी हार पर राजद ने क्या कहा?
इधर, करारी हार के बाद राजद की पहली प्रतिक्रिया आई है। पार्टी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक हैं। महागठबंधन की प्रमुख घटक राजद ने कहा कि उसे हार का कोई अफसोस नहीं है क्योंकि वह हमेशा गरीबों की पार्टी रही है।
पार्टी ने एक्स पर लिखा, “जन सेवा एक निरंतर प्रक्रिया है, एक अनवरत यात्रा। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। हार का दुख नहीं, जीत का घमंड नहीं। राष्ट्रीय जनता दल गरीबों की पार्टी है और उनकी आवाज उठाती रहेगी।”
शुक्रवार को आए नतीजों में राजद को उसके इतिहास की दूसरी सबसे खराब सीटें नसीब हुई हैं। वह 25 सीटों पर सिमट गई। ऐसा 2010 में हुआ था जब राजद को महज 22 सीटें मिली थीं। राजद के लिए एकमात्र राहत की बात रही कि तेजस्वी यादव राघोपुर से चुनाव जीत गए। क्योंकि गिनती के दौरान कई बार तेजस्वी पिछड़ते रहे। हालांकि आखिरी में उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार सतीश कुमार को 14,532 वोटों से हराया। तेजस्वी पिछले दस साल से यह सीट जीतते आ रहे हैं और 2015 तथा 2020 में भी सतीश कुमार को ही हराया था।
सीटें कम लेकिन वोट शेयर के लिहाज से राजद सबसे बड़ी पार्टी
दिलचस्प है कि सीटों में भारी गिरावट के बावजूद राजद वोट शेयर के लिहाज से सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उसे 22.76 फीसदी वोट मिले, जबकि बीजेपी को 20.90 और जेडीयू को 18.92 फीसदी वोट मिले।
महागठबंधन के साथी दलों, जिनमें कांग्रेस और वामपंथी पार्टियाँ शामिल हैं, ने मतदान डेटा में गड़बड़ियों और चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची की विवादित विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को हार की वजह बताया है।
नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “बिहार का यह परिणाम वास्तव में चौंकाने वाला है। यह चुनाव शुरुआत से ही निष्पक्ष नहीं था, इसलिए हम जीत हासिल नहीं कर सके।”
उन्होंने आगे कहा, “यह लड़ाई संविधान और लोकतंत्र की सुरक्षा की है। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन इस नतीजे की गंभीर समीक्षा करेगा और लोकतंत्र बचाने के प्रयास और मजबूत करेगा।”
उधर, एनडीए ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 243 में से 202 सीटें जीत लीं। इनमें बीजेपी 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि जेडीयू 85 सीटों पर रही। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), जिसने 2020 में सिर्फ एक सीट जीती थी, इस बार 19 सीटों के साथ बड़ा उछाल लेकर आई।

