नई दिल्लीः इंटरनेट और तकनीक के विकास के साथ ही देश में जॉब का ट्रेंड भी बदलने लगा है। तकनीक के विकास के साथ छात्र सरकारी नौकरी के साथ प्राइवेट क्षेत्र में भी हाथ अजमा रहे हैं, जिसमें इंजीनियरिंग प्रमुख रूप से शामिल है। हालांकि, बीते कुछ समय से ऐसा ट्रेंड उभरकर सामने आ रहा है जिसमें कोर इंजीनियरिंग जैसे मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रिकल के छात्रों के लिए समस्या खड़ी हो रही है।

पहले कोर इंजीनियरिंग वाले लोगों को आईटी यानी सूचना प्रौद्योगिकी में नौकरी मिल जाती थी। वहीं अब कंपनियों के चयन का तरीका बदल गया है। इस वजह से कोर इंजीनियरिंग के लोगों को आईटी क्षेत्र में नौकरी मिलने में परेशानी हो रही है। हालांकि कंप्यूटर साइंस बैकग्राउंड वाले इंजीनियरिंग छात्रों की स्थिति कोर इंजीनियरिंग के छात्रों की तुलना में अच्छी है।  

कोर इंजीनियरिंग के छात्रों को हो रही समस्या

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहले आईटी क्षेत्र में सभी इंजीनियरिंग ग्रुप के लोगों के लिए मौके होते थे। अब कोर इंजीनियरिंग (मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रिकल) छात्रों के हाथ से आईटी में नौकरी के अवसर कम हो रहे हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, जब कंपनियां कैंपस प्लेसमेंट के लिए जाती हैं तो कंप्यूटर साइंस और इससे संबंधित ब्रांच के छात्रों को प्राथमिकता दी जाती है। इससे कोर इंजीनियरिंग छात्रों को सीमित मौके ही मिल पाते हैं। 

कंपनियों ने चयन प्रक्रिया में किया है बदलाव

इसके अलावा कंपनियों ने उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया में भी बदलाव किया है। पहले जहां कंपनियां उम्मीदवारों के चुनाव के लिए एप्टिट्यूड, रीजनिंग और कम्युनिकेशन स्किल्स पर ध्यान देती थीं।

अब कंपनियां डाटाबेस मैनेजमेंट और कोडिंग की जानकारी रखने वाले अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दे रही हैं। खासकर बड़े पदों पर भर्ती के लिए जिनका सालाना वेतन 10-12 लाख रूपये है। 

इन सब कारणों से अब कोर इंजीनियरिंग के छात्र दोहरी समस्या का सामना कर रहे हैं। कोर जॉब के लिए कम कंपनियां भी प्लेसमेंट करती हैं। इसके अलावा बहुत से छात्र आईटी में जॉब के लिए योग्यता भी नहीं रखते हैं। इसी के परिणामस्वरूप कोर इंजीनियरिंग ग्रुप के छात्र नॉन-टेक्निकल और एड-टेच कंपनियों में जॉब करने को मजबूर हैं। 

ऐसे में कोर इंजीनियरिंग के छात्र कुछ टिप्स अपना सकते हैं। जिससे जॉब मार्केट में वे प्रतियोगिता में बनें रहें। कोर इंजीनियरिंग के छात्रों को कुछ रणनीतियां अपनानी चाहिए जिससे कंप्यूटर साइंस बैकग्राउंड के छात्रों को मिल रही प्राथमिकता के बावजूद अपनी जॉब सुनिश्चित कर सकें। 

कोडिंग लैंग्वेंज सीखें - कोर इंजीनियरिंग के छात्रों को आईटी क्षेत्र में जॉब के लिए कोडिंग लैंग्वेंज सीखने पर जोर देना चाहिए। इनमें जावा, पाइथन, सी++ और एसक्यूएल भाषाएं सीखनी चाहिए। इसके साथ ही टेक्निकल चीजों को सीखने पर भी जोर देना चाहिए। इसके लिए कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इनसे प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल  को धार दे सकते हैं। 

इंडस्ट्री के मुताबिक टूल्स में दक्षता हासिल करें - तकनीक के युग में आए दिन बदलाव होते रहते हैं। ऐसे में जरूरी है कि इंडस्ट्री के मानकों के अनुरूप टूल्स की जानकारी रखें। इसके लिए एआई टूल्स और डेटा एनालिटिक्स सीखने पर ध्यान दें। सॉलिड वर्क्स, ऑटोकैड जैसे एप्लिकेशन सीखना चाहिए। इसके अलावा जॉब रोल में प्रासंगिकता के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सिक्योरिटी और आईओटी को सीखने पर जोर देना चाहिए। इसके साथ ही इन टेक्नोलॉजी में सर्टिफिकेशन भी हासिल करने चाहिए। 

इंटर्नशिप करें- कोर इंजीनियरिंग के छात्रों को इंडस्ट्री के मुताबिक खुद को अपडेट रखने के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट्स में हिस्सा लें और इंटर्नशिप सर्टिफिकेट भी हासिल करें। इससे छात्रों को तकनीकी जानकारी मिलेगी और साथ ही प्रैक्टिकल जानकारी भी हासिल होगी।