पटना: बिहार में चुनावी सरगर्मी के बीच एक और नाटकीय मोड़ सामने आया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अब घोषणा की है कि वह विधानसभा चुनावों में भाग नहीं लेगा। इससे पहले हाल ही में पार्टी ने छह सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली JMM ने पिछले ही हफ्ते घोषणा की थी कि वह बिहार की छह विधानसभा सीटों- चकाई, धमदाहा, कटोरिया, मनिहारी, जमुई और पीरपैंती विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। 18 अक्टूबर को जेएमएम के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस संबंध में ऐलान किया था।
जेएमएम के कदम को विपक्षी महागठबंधन में सीटों के बंटवारे और जारी उलझन की स्थिति के तौर पर देखा गया था। अब जेएमएम ने अचानक चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर एक बार फिर चौंका दिया है। यह सबकुछ उस समय हो रहा है कि जब इंडी गठबंधन (INDIA) में उसके सहयोगियों राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अंदरूनी खींचतान की खबरें लगातार आ रही हैं।
JMM का महागठबंधन की सहयोगी पार्टियों पर आरोप
न्यूज-18 की रिपोर्ट के अनुसार झामुमो ने बिहार में चुनाव लड़ने की अपनी योजना रद्द करते हुए अपने गठबंधन सहयोगियों पर जानबूझकर उसे दरकिनार करने का आरोप लगाया है। झामुमो के वरिष्ठ नेता सुदिव्य कुमार ने राजद और कांग्रेस पर झामुमो को सीटें न देकर ‘राजनीतिक साजिश’ रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस कथित विश्वासघात की वजह से अब झारखंड में गठबंधन की समीक्षा की जाएगी।
झामुमो नेताओं के अनुसार पार्टी अपमानित महसूस कर रही है क्योंकि उसने झारखंड में राजद को सीटें दी थीं (2019 में सात सीटें, 2024 में छह) और राजद के मंत्रियों को भी कैबिनेट जगह दी थी, लेकिन अब बिहार में उसे कोई ‘सम्मान’ नहीं मिल रहा है। झामुमो नेताओं के अनुसार पार्टी की ओर से पहले कहा जा चुका था कि अगर 15 अक्टूबर तक ‘सम्मानजनक संख्या’ में सीटें आवंटित नहीं की गईं, तो वे अकेले ही चुनाव लड़ेंगे। हालाँकि, अब पार्टी ने चुनाव से ही बाहर होने का फैसला किया है।
झामुमो के वरिष्ठ नेता और मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा, ‘मैंने ‘राजनीतिक धूर्तता’ शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया क्योंकि जब मैं 7 अक्टूबर को अपनी पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर पटना गया था, तो बातचीत सौहार्दपूर्ण रही थी। ऐसा नहीं लग रहा था कि इंडिया ब्लॉक बिहार चुनाव से झामुमो को बाहर करने की कोशिश करेगा।’
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर उन्हें हमें सीट नहीं देना था, तो उन्हें साफ-साफ कहना चाहिए था। लेकिन 7 से 20 अक्टूबर तक उन्होंने न तो हमें हाँ कहा और न ही कोई स्पष्टता जताई। राजद ने राजनीतिक धूर्तता की, राजनीति में ऐसा होना उचित नहीं है।’
विपक्षी गुट की एकजुटता पर सवाल
बिहार चुनाव से ठीक पहले झामुमो का पीछे हटना विपक्षी गुट की एकजुटता में कमजोरी का एक और संकेत है। झामुमो ने घोषणा की है कि वह बिहार में गठबंधन के लिए सक्रिय रूप से प्रचार भी नहीं करेगा, और अब वह झारखंड में राजद और कांग्रेस के साथ अपने गठबंधन की शर्तों की खुलेआम समीक्षा करने जा रहा है। झामुमो का बहुत खास जनाधार बिहार में नहीं है लेकिन जानकारों के अनुसार पार्टी के बाहर होने का फैसला झारखंड की राजनीति सहित इंडी गठबंधन के भविष्य पर दिख सकता है।
गौरतलब है कि एनडीए में सीट बंटवारे पर समझौता हो चुका है। वहीं विपक्ष अभी भी बातचीत में उलझा हुआ है, जबकि पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की समय सीमा पहले ही बीत चुकी है। बिहार में दो चरण में 6 और 11 नवंबर को मतदान है। नतीजे 14 तारीख को आएंगे।