Friday, October 17, 2025
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J&K: बंद हाईवे के कारण सेब उत्पादकों को 400 करोड़ का नुकसान, कश्मीर में बागबानों की दो दिन की हड़ताल

पिछले 15 दिनों से राजमार्ग बंद होने के कारण करोड़ों रुपये की फसल सड़ गई, जिसके विरोध में कश्मीर की सभी फल मंडियां बंद रहीं। इस नाकेबंदी से बागवानी उद्योग को अब तक करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।

श्रीनगर: कश्मीर घाटी में श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग के लगातार बंद रहने से बागवानी उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ है। सेब व्यापारी इससे काफी नाराज हैं। इसी के विरोध में सोमवार पूरे कश्मीर मंडल की फल मंडियों ने दो दिन की हड़ताल कर दी है। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर फलों से भरे ट्रकों की आवाजाही सुनिश्चित करने को लेकर सरकार के खिलाफ शोपियां में सेब और अखरोट किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया।

पिछले 15 दिनों से राजमार्ग बंद होने के कारण करोड़ों रुपये की फसल सड़ गई, जिसके विरोध में कश्मीर की सभी फल मंडियां बंद रहीं। अब राजमार्ग को आंशिक रूप से खोला गया है लेकिन भारी जाम के कारण वाहनों की आवाजाही बेहद धीमी है। इस नाकेबंदी से बागवानी उद्योग को अब तक करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।

इस बीच, कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री जावेद डार ने सोमवार को काजीगुंड का दौरा किया ताकि श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर फंसे फलों से भरे ट्रकों की स्थिति का जायजा लिया जा सके।

गौरतलब है कि सितंबर और अक्टूबर के महीने कश्मीर घाटी के बागवानी उद्योग के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि यह पूरे भारत में सेब की कटाई और वितरण का चरम समय होता है। भारत में पैदा होने वाले कुल सेब का लगभग 78% हिस्सा कश्मीर में ही होता है। यह उद्योग क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 15% का योगदान देता है, जिससे सालाना लगभग 25 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। इसका आर्थिक मूल्य 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये के बीच अनुमानित है।

Wion न्यूज से बात करते हुए हंदवाड़ा फ्रूट एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद अमीन वानी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग पिछले करीब 20 दिनों से बंद है, जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ है। हम यह विरोध सिर्फ एक मांग के लिए कर रहे हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग को जल्द से जल्द खोला जाए। अमीन वानी ने यह भी आरोप लगाया कि हमारी चुनी हुई सरकार चुपचाप तमाशा देख रही है और हमारे जिले के छह विधायकों ने भी एक शब्द तक नहीं बोला। उन्होंने कहा कि इस विरोध का मकसद जम्मू-कश्मीर की सोई हुई सरकार को जगाना है।

सेब उत्पादकों ने हाईवे सेना को सौंपने की मांग की

कुछ फल उत्पादकों ने सरकार से मांग की है कि राष्ट्रीय राजमार्ग को भारतीय सेना के हवाले कर दिया जाए। उनका आरोप है कि कश्मीर मंडल का एक भी विधायक राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने और इससे किसानों को हो रहे नुकसान पर नहीं बोला है।

सोपोर मंडी के फ़ैयाज़ अहमद मलिक ने चेतावनी दी कि अगर दो दिन में हाईवे नहीं खुला तो हम सड़कों पर उतरेंगे। पर्यटन उद्योग पहले ही पहलगाम हमले के बाद चौपट हो गया है और अब बागवानी भी दम तोड़ रही है। हमारी माँग है कि हाईवे को सेना को सौंप दिया जाए, वे इसे एक दिन में बहाल कर देंगे।

बागवानों की मदद के लिए ‘पार्सल ट्रेन’ सेवा शुरू

इस बीच, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुडगाम से नई दिल्ली के लिए आठ डिब्बों वाली एक पार्सल ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। यह पहल सेब उत्पादकों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करती है, जिन्हें कटाई के समय राजमार्ग के बंद होने से चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। बुडगाम से चलने वाली दो पार्सल ट्रेनें विभिन्न जिलों से ताजे सेब को भारत के कई राज्यों तक पहुंचाएंगी, जिससे क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

यह सेवा श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-44) पर अक्सर होने वाली रुकावटों को दूर करने के उद्देश्य से शुरू की गई है, जिनमें भूस्खलन और खराब मौसम के कारण बंद होना शामिल है। ये रुकावटें हर साल किसानों के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान का कारण बनती थीं, जिससे उनकी खराब होने वाली उपज समय पर नहीं पहुँच पाती थी।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, “मेरा मानना ​​है कि यह ट्रेन आर्थिक उत्थान में बहुत योगदान देगी। हमें पता है कि भारी बारिश के कारण राजमार्ग कभी-कभी बंद हो जाता था, जिससे फल उत्पादकों को नुकसान होता था। मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में भारतीय रेलवे के कारण कश्मीर में एक बड़ा बदलाव आएगा। रेलवे ने एक बहुत अच्छी सेवा शुरू की है और मैं इसके लिए उनका धन्यवाद करना चाहता हूं, कम से कम कश्मीर के किसानों का सामान देश के बाकी हिस्सों में बाजारों तक पहुंचेगा।”

यह पार्सल ट्रेन बुडगाम से नई दिल्ली के आदर्श नगर रेलवे स्टेशन तक एक नियमित सेवा के रूप में चलेगी। यह बुडगाम से सुबह 6:00 बजे रवाना होगी और बारी ब्राह्मणा और जम्मू में रुकते हुए लगभग 23 घंटों में आदर्श नगर पहुंचेगी। शुरुआत में, प्रत्येक ट्रेन में फल परिवहन के लिए आठ पार्सल वैन होंगी, जो प्रतिदिन 180-200 मीट्रिक टन सेब ले जाएंगी। इस परिवहन का खर्च सड़क परिवहन की तुलना में लगभग आधा होने की उम्मीद है।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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