जम्मू-कश्मीरः विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस की प्रवेश प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं जहां 50 में से 42 सीटें मुस्लिम उम्मीदवारों को दी गई हैं। हिंदू छात्रों को 7 सीटें मिली हैं और एक सीट सिख उम्मीदवार को आवंटित की गई है। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड (SMVDSB), जो श्री माता वैष्णो देवी मंदिर का प्रबंधन करता है। इसके अध्यक्ष उपराज्यपाल मनोज सिन्हा हैं।
इस श्राइन बोर्ड की स्थापना पवित्र गुफा मंदिर के प्रशासन के लिए की गई है। बोर्ड को हिंदू और सिख श्रद्धालुओं से करोड़ों रुपये का दान मिलता है।
वीएचपी ने इस मामले में उपराज्यपाल सिन्हा से जांच करने का आग्रह किया है कि आखिर ऐसा कैसे हो गया कि हिंदू श्रद्धालुओं के दान से स्थापित एक मेडिकल कॉलेज इतनी बड़ी संख्या में छात्रों की संख्या का खर्च उठा रहा है। कुछ दिन पहले सिन्हा को लिखे पत्र में वीएचपी के महामंत्री बजरंग बागड़ा ने लिखा “हमें पता चला है कि इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस के 50 छात्रों के पहले बैच में केवल आठ हिंदू हैं जबकि 42 मुस्लिम हैं।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि श्राइन बोर्ड द्वारा स्थापित नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाने वाले अधिकांश शिक्षक या तो मुस्लिम हैं या ईसाई। यहां तक कि नर्सिंग कॉलेज में भी अधिकांश छात्र मुस्लिम हैं और यह कॉलेज पिछले कुछ वर्षों से चल रहा है।
वीएचपी के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा “यह तथ्य न केवल धार्मिक मान्यताओं का खंडन करता है बल्कि स्थानीय और व्यापक हिंदू समुदाय की भावनाओं को भी गहरा ठेस पहुँचाता है।” उन्होंने जनता के लिए जारी एक बयान में कहा कि “हमें अभी मेडिकल कॉलेज प्रवेश प्रक्रिया की आंतरिक प्रकृति की पूरी जानकारी नहीं है; लेकिन माता वैष्णो देवी के इस पवित्र संस्थान में प्रवेश प्रणाली में धार्मिक संवेदनशीलता, सांस्कृतिक विरासत और भावी समाज की अपेक्षाओं का उचित रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए।”
बागड़ा ने कहा कि वीएचपी को उम्मीद है कि श्राइन बोर्ड “स्थिति की गंभीरता को सम्मानपूर्वक समझते हुए, अपनी प्रवेश और नियुक्ति नीतियों की शीघ्र समीक्षा करेगा ताकि संस्था की धार्मिक प्रतिबद्धता, संतुलन और श्रद्धालुओं व समाज की अपेक्षाओं की रक्षा हो सके।” समस्या की जड़ यह है कि देश-विदेश से आने वाले हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान का पैसा मुसलमानों पर खर्च किया जा रहा है। व्यापक रूप से ऐसा माना जाता है कि यह श्राइन बोर्ड के संचालकों की ऐसी प्रक्रियाएं बनाने में विफलता है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा दिया गया धन हिंदुओं के कल्याण के लिए उपयोग किया जाए।
अधिकतर हिंदू श्रद्धालु मानते हैं कि ऐसे सभी संस्थानों में केवल हिंदू शिक्षक और स्टाफ की नियुक्ति होनी चाहिए। इसके अलावा वे चाहते हैं कि इस धन का उपयोग केवल हिंदू छात्रों के कल्याण के लिए हो। हिंदू फैकल्टी और हिंदू छात्रों की मांग का भी वीएचपी ने समर्थन किया है।
बागड़ा ने उपराज्यपाल सिन्हा को लिखे पत्र में लिखा “यह अनुरोध करना भी उचित है कि बोर्ड केवल ऐसे जन कल्याणकारी कार्य ही करे जिनसे माता रानी के भक्तों और धर्मनिष्ठ हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुँचे।”
राष्ट्रीय बजरंग दल ने जम्मू में नए स्थापित श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस को ‘अल्पसंख्यक संस्थान’ का दर्जा देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था ताकि जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं के लिए सीटें आरक्षित हो सकें। यह इस तर्क पर आधारित है कि 23 फीसदी हिंदू आबादी जम्मू-कश्मीर में स्पष्ट रूप से अल्पसंख्यक हैं क्योंकि केंद्रशासित प्रदेश में 69 फीसदी (हिंदुओं से तीन गुना अधिक) मुसलमान हैं। भारतीय संविधान के तहत मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन जैसे अल्पसंख्यकों को अपने स्वयं के शैक्षणिक संस्थान चलाने की अनुमति है। बजरंग दल की मांग इसी प्रावधान में निहित तर्क पर आधारित है।
हिंदु श्रद्धालुओं के पैसे से स्थापित एक मेडिकल कॉलेज में मुसलमानों के दाखिले को लेकर विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। वहीं, पुलिस ने रविवार, 9 नवंबर को हरियाणा के फरीदाबाद से 300 किलो आरडीएक्स, एक एके-47 और गोला-बारूद बरामद किया।
यह बड़ी बरामदगी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से एक कश्मीरी डॉक्टर की श्रीनगर में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का कथित तौर पर प्रचार करने के आरोप में गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद हुई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, फरीदाबाद में यह बरामदगी डॉ. आदिल अहमद राठेर द्वारा पूछताछ के दौरान किए गए खुलासे के बाद हुई। जांचकर्ताओं ने बताया कि विस्फोटक और हथियार एक अन्य डॉक्टर, डॉ. मुजाहिल शकील के पास रखे गए थे जो अब जांच के दायरे में है।
अधिकारी दिल्ली के पास विस्फोटकों का इतना बड़ा जखीरा जमा करने के पीछे के मकसद की जांच कर रहे हैं और यह भी पता लगा रहे हैं कि इसे बिना पकड़े कैसे पहुंचाया गया? “इन विस्फोटकों के उद्देश्य का पता लगाने और अन्य संभावित सहयोगियों की पहचान करने के लिए एक विस्तृत जाँच चल रही है।” अनंतनाग के डॉक्टर की यह गिरफ्तारी और उसके आतंकी संबंधों ने श्राइन बोर्ड मेडिकल कॉलेज में दाखिले को लेकर विवाद को और बढ़ा दिया है।
कश्मीरी डॉक्टर की गिरफ्तारी का यह मामला श्रीनगर के कई हिस्सों में जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन वाले पोस्टर दिखने के बाद शुरू हुआ। सीसीटीवी फुटेज से पुलिस को राठेर की पहचान इस घटना के पीछे के व्यक्ति के रूप में हुई जिसके बाद पिछले हफ्ते उसे सहारनपुर में गिरफ्तार कर लिया गया जहां वह एक निजी अस्पताल में डॉ. के तौर पर काम कर रहा था।

