नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के फारसी विभाग में प्रोफेसर मजहर आसिफ को केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया का नया कुलपति नियुक्त किया गया है। 53 वर्षीय प्रोफेसर आसिफ सूफी काव्य के विशेषज्ञ माने जाते हैं। प्रोफेसर आसिफ की उच्च शिक्षा जेएनयू से ही सम्पन्न हुई है। वह मूलतः बिहार के पूर्वी चम्पारण के रहने वाले हैं।
वर्ष 2017 में जेएनयू में नियुक्ति से पहले प्रोफेसर आसिफ गुवाहाटी यूनिवर्सिटी में फारसी के प्रोफेसर थे। प्रोफेसर आसिफ नेशनल ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ का मसौदा तैयार करने वाली समिति के सदस्य थे। प्रोफेसर आसिफ जेएनयू फारसी और मध्य एशिया अध्ययन केंद्र के डीन भी रहे हैं।
प्रोफेसर आसिफ फारसी, इंग्लिश और असमिया तीनों भाषाओं में अकादमिक लेख लिखते रहे हैं। उन्होंने फारसी-असमिया-इंग्लिश शब्दकोश का भी सम्पादन किया है।
भारत के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रोफेसर आसिफ की नियुक्ति को अंतिम मंजूरी दे दी है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया अधिनियम 1988 के प्रावधानों के तहत निर्मित चयन समिति कुलपति पद के लिए आवेदनों में से तीन नाम शिक्षा मंत्रालय के पास भेजती है जिसे मंत्रालय राष्ट्रपति के पास भेजता है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने का बाद कुलपति की नियुक्ति की अधिसूचना जारी होती है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति का पद पिछले साल नवंबर से ही रिक्त था। पूर्व कुलपति नजमा अख्तर का कार्यकाल पिछले साल ही समाप्त हो गया था। इसके बाद कार्यकारी कुलपति ही विश्वविद्यालय का कार्यभार देख रहे थे।
जेएनयू में नियुक्ति पर हुआ था विवाद
प्रोफेसर आसिफ के वर्ष 2017 में जेएनयू में नियुक्ति को जेएनयू शिक्षक संघ ने न्यायालय में चुनौती दी थी।
वर्ष 2018 में प्रोफेसर आसिफ को जेएनयू के कला एवं सौंदर्य विद्यालय का कार्यकारी डीन नियुक्त किया गया था। इस पद पर उनकी नियुक्ति को जेएनयू के कुछ शिक्षकों ने न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायालय के निर्णय के बाद उन्हें इस पद से हटा दिया गया।