श्रीहरिकोटाः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार, 2 नवंबर को अब तक का सबसे भारी संचार सैटेलाइट लांच किया है। यह सैटेलाइट 4.4 टन की है। इसे एलवीएम-3 रॉकेट के जरिए लांच किया गया। इस भारतीय नौसेना और समुद्री सुरक्षा के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पीएम ने इस कम्युनिकेशन सैटेलाइट सीएमएस-03 की सफलतापूर्वक लांचिग के बाद इसरो को बधाई दी।
इस सैटेलाइट का वजन 4,410 किलोग्राम था जिसे एलवीएम3-एम5 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया। एलवीएम को अपनी क्षमताओं के लिए ‘बाहुबली’ रॉकेट कहा जाता है। यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 5 बजकर 26 मिनट पर किया गया।
प्रक्षेपण के 16 मिनट बाद अंतरिक्ष में हो गया अलग
प्रक्षेपण के 16 मिनट बाद ही सैटेलाइट सीएमएस-03 रॉकेट एलवीएम3 से अंतरिक्ष में अलग हो गया। इसरो के इस प्रक्षेपण ने स्वदेशी भारी उपग्रह प्रक्षेपण और समु्द्री संचार के क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात किया।
ISRO के मुताबिक, सीएमएस-03 एक बहु-बैंड संचार उपग्रह है जो भारतीय भूभाग सहित विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेगा।
ISRO चेयरमैन वी नारायणन ने कहा कि प्रक्षेपण यान ने संचार उपग्रह को आवश्यक कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। उन्होंने याद दिलाया कि रॉकेट का पिछला प्रक्षेपण “सबसे प्रतिष्ठित चंद्रयान-3 था, जिसने राष्ट्र को गौरवान्वित किया था।”
इस दौरान उन्होंने कहा कि इस उपग्रह की सफल लांचिंग ने भारत को एक और गौरव प्राप्त हुआ है। प्रायोगिक मिशनों को मिलाकर एलवीएम-03 के जरिए अब तक 8 प्रक्षेपण किए गए हैं और सभी सफल रहे हैं। इसका सफलता रेट 100 फीसदी है।
पीएम मोदी ने ISRO को दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो को बधाई दी।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर लिखा कि हमारा अंतरिक्ष क्षेत्र हमें निरंतर गौरवान्वित करता है। भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो को बधाई। हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की बदौलत हमारा अंतरिक्ष क्षेत्र उत्कृष्टता और नवाचार का पर्याय बन गया है यह सराहनीय है। उनकी सफलताओं ने राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाया है और अनगिनत लोगों को सशक्त बनाया है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने ISRO की इस नवीनतम उपलब्धि की सराहना की।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “इसरो टीम को बधाई। भारत का बाहुबली एलवीएम3-एम5 मिशन के सफल प्रक्षेपण के साथ आसमान में उड़ान भर रहा है। ‘बाहुबली,’ जैसा कि इसे लोकप्रिय रूप से जाना जाता है, एलवीएम3-एम5 रॉकेट सीएमए-03 संचार उपग्रह को ले जा रहा है जो भारतीय धरती से भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में प्रक्षेपित किया गया अब तक का सबसे भारी उपग्रह है। इसरो एक के बाद एक सफलताएं लिख रहा है। सरकार के अटूट समर्थन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद।”
यह संचार उपग्रह 2013 में प्रक्षेपित जीसैट 7 श्रृंख्ला का प्रतिस्थापन है। इसे वांछित भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किया गया। इस उपग्रह को कम से कम 15 सालों तक संचार सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। हालांकि, प्रतिकूल मौसम के कारण इसरो के वैज्ञानिकों को इसकी लांचिंग में चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन फिर भी वे इसकी सफलता सुनिश्चित करने में सफल रहे।

