तेल अवीव/बेरूत: इजराइल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ अपने सैन्य अभियान को नए स्तर पर पहुंचाते हुए लेबनान में सीमित जमीनी हमलों की शुरुआत की है। इस कार्रवाई से पहले, इजराइल हिजबुल्लाह के ठिकानों पर मुख्य रूप से हवाई हमले कर रहा था, लेकिन अब उसने जमीनी हमलों का सहारा लिया है। इजराइली रक्षा बल (आईडीएफ) ने बताया कि ये हमले राजनीतिक नेतृत्व के निर्देशों और सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर चलाए जा रहे हैं। इस सैन्य अभियान को “नॉर्दर्न एरोज” नाम दिया गया है, जो गाजा और अन्य क्षेत्रों में चल रही लड़ाई के साथ-साथ जारी रहेगा।
जमीनी हमलों का उद्देश्य और रणनीति
आईडीएफ के अनुसार, इन हमलों का मुख्य उद्देश्य हिज़बुल्लाह के ठिकानों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना है, जो इजराइल-लेबनान सीमा के पास स्थित हैं। ये ठिकाने इजराइल के उत्तरी हिस्सों के लिए खतरा बन रहे हैं, और इनसे इजराइल की सुरक्षा को सीधा जोखिम है। आईडीएफ के सैनिकों को इजराइली वायु सेना और तोपखाने भी बैकअप दे रहे हैं, जिससे हमले सटीक और प्रभावी हो रहे हैं। इजराइली सेना का लक्ष्य दक्षिणी लेबनान के अंदर एक बफर जोन बनाना है, ताकि हिजबुल्लाह के लड़ाकों को सीमा से दूर रखा जा सके और इजराइल के नागरिकों को उनके घरों में सुरक्षित वापसी का मौका मिल सके।
In accordance with the decision of the political echelon, a few hours ago, the IDF began limited, localized, and targeted ground raids based on precise intelligence against Hezbollah terrorist targets and infrastructure in southern Lebanon. These targets are located in villages…
— Israel Defense Forces (@IDF) September 30, 2024
वॉशिंगटन पोस्ट की मानें तो 2011 तक, इजराइली खुफिया एजेंसियों ने दक्षिण में 1,000 लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार कर ली थी। सेना ने पिछले हफ्ते कहा था कि इजराइली युद्धक विमानों ने मात्र 36 घंटों में 1,500 लक्ष्यों को निशाना बनाया। हवाई हमलों के पहले छह घंटों में ही सैन्य प्रवक्ता मेजर डोरोन स्पीलमैन ने कहा कि इजरायली रक्षा बलों ने हिजबुल्लाह को 2006 के युद्ध के 34 दिनों के दौरान हुए नुकसान से भी अधिक नुकसान पहुंचाया है। लेबनानी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में लेबनान में इजराइली हमलों में कम से कम 95 लोग मारे गए हैं और 172 घायल हुए हैं।
हिजबुल्लाह की मुकाबला करने की चेतावनी
दूसरी ओर, हिजबुल्लाह ने इजराइल की इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया है और इसका मुकाबला करने की चेतावनी दी है। हाल के दिनों में, संगठन ने अपने कई शीर्ष नेताओं को खो दिया है, जिनमें हिजबुल्लाह के प्रमुख नेता हसन नसरल्लाह भी शामिल हैं। इजराइल द्वारा बेरूत में किए गए हवाई हमले में नसरल्लाह की मौत को हिजबुल्लाह के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। बीबीसी के अंतरराष्ट्रीय संपादक जेरेमी बोवेन ने कहा कि नसरल्लाह की मौत हिजबुल्लाह के लिए सबसे बड़ा नुकसान है, क्योंकि वह संगठन के लिए पिछले 30 वर्षों से एक धड़कता दिल था। नसरल्लाह की हत्या के बाद, हिजबुल्लाह अब अपने नए नेता का चयन करने की योजना बना रहा है।
इजराइल की रणनीतिक जीत
इजराइल के लिए नसरल्लाह की हत्या एक बड़ी जीत है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने भाषण में कहा कि इजराइल अपने दुश्मनों के खिलाफ युद्ध “जीत” रहा है। हिजबुल्लाह, जो ईरान के समर्थन से इजराइल के खिलाफ वर्षों से एक बड़ा खतरा बना हुआ था, को अब गहरे झटके का सामना करना पड़ रहा है। नसरल्लाह के नेतृत्व में हिजबुल्लाह ने इजराइल को 2000 में दक्षिणी लेबनान से पीछे हटने के लिए मजबूर किया था, और 2006 में एक महीने लंबे युद्ध में इजराइल को कड़ी टक्कर दी थी।
इजराइल का 2006 के युद्ध से सबक और मौजूदा सैन्य अभियान
2006 में जब इजराइल ने लेबनान पर आक्रमण किया था, तो उसे हिजबुल्लाह के लड़ाकों के सामने कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। उस युद्ध में 121 इजराइली सैनिक मारे गए थे, और दोनों पक्षों ने अंत में खुद को विजेता घोषित किया था। हालाँकि, इजराइल के सैन्य अभियान की विफलताओं की जांच करने वाले विनोग्राड आयोग ने इसे एक “खोया हुआ अवसर” करार दिया था।
अब, इजराइल ने अपने पिछली गलतियों से सीखते हुए हिज़बुल्लाह की रसद और संचार प्रणाली पर हमला किया है, प्रमुख हथियार भंडार नष्ट किए हैं और संगठन के वरिष्ठ कमांडरों को मार गिराया है। हिजबुल्लाह के लिए यह एक बड़ा धक्का है, क्योंकि यह संगठन वर्षों से इजराइल के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक रहा है।
ईरान और क्षेत्रीय खतरा
हिजबुल्लाह की इस हार से ईरान के नेतृत्व वाले “एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस” पर भी गहरा असर पड़ा है। ईरान के नेतृत्व में हिजबुल्लाह, इराक, सीरिया और यमन की कुछ मिलिशियाओं का गठबंधन बना हुआ है, जो इजराइल के खिलाफ एक क्षेत्रीय रणनीति का हिस्सा है। इजराइल के लिए चिंता की बात यह है कि इस गठबंधन के माध्यम से, ईरान पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ा सकता है और हिजबुल्लाह के सहयोगी समूह जैसे हूती विद्रोही भी इजराइल पर हमले कर सकते हैं।
जो बाइडन और पीएम मोदी ने संघर्ष विराम की अपील की
इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच बढ़ते संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता बढ़ा दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने संघर्षविराम की अपील की है, जबकि अन्य अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने भी इस संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की मांग की है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पश्चिम एशिया के मौजूदा हालात पर चिंता जताई है। उन्होंने इस बाबत इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बात की और संघर्ष विराम की पहल की। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा- पश्चिम एशिया में हाल ही में हुए घटनाक्रमों के बारे में प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बात की। आतंकवाद का हमारे विश्व में कोई स्थान नहीं है। क्षेत्रीय तनाव को रोकना और सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। भारत शांति और स्थिरता की शीघ्र बहाली के प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हालांकि, इजराइल ने अपनी रणनीति को लेकर सख्त रुख अपनाया हुआ है और नेतन्याहू ने घोषणा की है कि इजराइल “पूरी ताकत” से हिजबुल्लाह पर हमले जारी रखेगा। मंगलवार की सुबह, इजराइल ने लेबनान के सिडोन शहर के पास ऐन एल-हिलवे शरणार्थी शिविर में अल-अक्सा शहीद ब्रिगेड के कमांडर मुनिर मकदह को निशाना बनाया। यह हमला इजरायल-हिजबुल्लाह संघर्ष शुरू होने के बाद शिविर पर पहला हमला था।
इसी बीच, सीरिया की राजधानी दमिश्क में रात के समय एक इजराइली हमले में टीवी एंकर सफा अहमद और दो अन्य लोग मारे गए। सीरियाई रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह हमला गोलन हाइट्स की ओर से इजरायली विमानों और ड्रोन द्वारा किया गया था।
इजराइल द्वारा हिजबुल्लाह के खिलाफ चलाए जा रहे इस अभियान से यह स्पष्ट है कि यह संगठन अब गंभीर रूप से कमजोर हो चुका है। हालाँकि, हिजबुल्लाह के पास अब भी लंबी दूरी के रॉकेट और मिसाइलों का एक बड़ा भंडार है, जो इजराइल के लिए एक प्रमुख खतरा बना हुआ है। यदि इस संघर्ष में हिजबुल्लाह इन हथियारों का बड़े पैमाने पर उपयोग करता है, तो इजराइल की प्रतिक्रिया और भी घातक हो सकती है।