बगदादः इराक एक विवादास्पद नया कानून लाने जा रहा है जो पुरुषों को मात्र 9 साल की उम्र की लड़कियों से विवाह करने की अनुमति देगा। इसके साथ ही महिलाओं के तलाक, बच्चों की अभिरक्षा और संपत्ति में अधिकारों को भी सीमित करने का प्रावधान किया गया है।
इराकी संसद द्वारा पर्सनल स्टेटस लॉ (कानून 188) में संशोधन के इस प्रस्ताव ने देश और दुनिया में तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं, और इसे महिलाओं के अधिकारों पर बड़े हमले के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि लड़कियों की विवाह की उम्र अभी 18 वर्ष है। आलोचकों का मानना है कि यह कानून इराक को तालिबानी हुकूमत वाले अफगानिस्तान जैसी स्थिति में पहुँचा सकता है।
महिलाओं के अधिकारों पर असर
आलोचकों का कहना है कि यह कानून महिलाओं को सभी निर्णय लेने से वंचित कर देगा। ब्रिटिश अखबार दि गार्जियन से बात करते हुए विधेयक की मुखर विरोधी राया फैयक ने कहा है कि यह कानून नाबालिग लड़कियों की शादी का रास्ता खोल देगा और परिवार के लगभग सभी निर्णय धार्मिक अधिकारियों के हाथ में दे देगा। उन्होंने कहा, यह महिलाओं के लिए एक आपदा है। साथ ही चेतावनी दी कि इससे बाल दुर्व्यवहार वैध हो जाएगा।
सांप्रदायिक संघर्ष और धार्मिक प्रभुत्व
इराक की सरकार पर दशकों के सांप्रदायिक संघर्ष का असर है, जिसमें शिया मुस्लिम धार्मिक बहुसंख्या का प्रभाव बढ़ा है। पहले भी दो बार इस कानून में संशोधन के प्रयास हुए हैं, लेकिन हर बार इराकी महिलाओं के कड़े विरोध के कारण ये प्रयास विफल हो गए। लेकिन, इस बार धार्मिक गुटों के समर्थन के चलते कानून का विरोध कठिन हो गया है।
वर्तमान में संसद में धार्मिक समूहों के पास मजबूत बहुमत है, इसलिए फैक और 25 महिला प्रतिनिधियों को बिल को मंजूरी देने वाले दूसरे वोट को रोकने में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। एक इराकी प्रतिनिधि ने कहा कि इस कानून का समर्थन पुरुष सांसद भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि नाबालिग से शादी करने में क्या गलत है?’ उनकी सोच संकीर्ण है।
महिलाओं के कानूनी अधिकारों में कटौती
यदि यह कानून पास हो जाता है, तो न केवल महिलाओं के विवाह की उम्र घटेगी, बल्कि तलाक, बच्चों की अभिरक्षा और संपत्ति में उनके अधिकारों को भी समाप्त कर दिया जाएगा। शिया गठबंधन इसे “लड़कियों को अनैतिक संबंधों से बचाने” का प्रयास बता रहा है, जबकि मानवाधिकार संगठनों ने इसे महिला अधिकारों पर कुठाराघात करार दिया है।
विरोध और सामाजिक तनाव
इस प्रस्ताव ने इराक के भीतर और वैश्विक स्तर पर आलोचना का सामना किया है। ह्यूमन राइट्स वॉच की सारा सनबर ने चेतावनी दी है कि इस बदलाव से समाज में विभाजन गहरे होंगे और महिलाएं शोषण की शिकार हो सकती हैं। महिलाओं के अधिकारों के समर्थक इसे इराकी समाज को दशकों पीछे ले जाने और धार्मिक आधार पर शासन स्थापित करने का कदम मान रहे हैं।
ब्रिटिश थिंक टैंक चैथम हाउस के डॉ. रेनाड मंसूर का कहना है कि यह धार्मिक प्रभुत्व को सुदृढ़ करने की राजनीतिक रणनीति है। महिला अधिकार समूहों ने इस कदम को “बाल बलात्कार को वैध बनाने” का प्रयास बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है और इसे लैंगिक समानता के लिए बड़ा खतरा बताया है।
1950 के दशक से इराक में नाबालिगों की शादी पर प्रतिबंध है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, इराक में 28% लड़कियों का विवाह 18 साल से पहले हो चुका है।