वॉशिंगटन: भारतीय लोगों के लिए अमेरिका में स्थायी निवास की सहूलियत हासिल करना अब और मुश्किल होगा। दरअसल भारतीयों को कम से कम 2028 तक यूनाइटेड स्टेट्स डाइवर्सिटी विजा (DV) लॉटरी से बाहर कर दिया गया है। अमेरिका के इस वीजा प्रोग्राम को ‘ग्रीन कार्ड लॉटरी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रोग्राम के तहत पिछले पाँच वर्षों में अमेरिका में आप्रवासन की कम दर वाले देशों से आवेदकों का चयन करके अमेरिका में आप्रवासी आबादी में विविधता लाने का लक्ष्य रखा जाता है।
इसमें केवल उन देशों के नागरिकों को हिस्सा लेने की अनुमति मिलती है जिन्होंने पिछले पाँच वर्षों में 50,000 से कम आप्रवासियों को अमेरिका भेजा है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में अमेरिका में उच्च आप्रवासन दर की वजह से भारत ने पात्रता सीमा को पार कर लिया है, जिससे वह लॉटरी के लिए अयोग्य हो गया है।
आंकड़े बताते हैं कि 2021 में, 93450 भारतीय अमेरिका गए। 2022 में यह संख्या 127,010 थी, जो अमेरिका जाने वाले दक्षिण अमेरिकी (99,030), अफ्रीकी (89,570) या यूरोपीय (75,610) प्रवासियों की कुल संख्या से ज्यादा रही। इसके बाद साल 2023 में, 78,070 भारतीय अमेरिका गए। ऐसे में इन आँकड़ों ने 2028 तक भारतीयों को DV लॉटरी के लिए अयोग्य बना दिया है।
ये देश भी ग्रीन कार्ड लॉटरी सिस्टम से बाहर
2026 के लिए DV लॉटरी के लिए क्वालीफाई नहीं करने वाले अन्य देशों में चीन, दक्षिण कोरिया, कनाडा और पाकिस्तान जैसे नाम भी शामिल हैं।
बहरहाल, एक और रास्ता बंद होने के साथ भारतीयों के पास अमेरिका में स्थायी आव्रजन के अब सीमित रास्ते बचे हैं। इन विकल्पों एच-1बी वर्क वीजा को स्थायी निवास में बदलना, निवेश-आधारित आव्रजन, शरण या पारिवारिक प्रायोजन के माध्यम से आवेदन आदि करना शामिल है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कठिन आव्रजन नियमों के तहत ये सभी रास्ते भी कम होते जा रहे हैं।
बता दें कि सत्ता में आने के बाद से ट्रंप प्रशासन ने आव्रजन को लेकर कठिन रुख अपनाया है। खासकर छात्र वीजा के प्रति ये और कठिन हुआ है, जहां अब सोशल मीडिया अकाउंट की भी कड़ी जाँच की जा रही है। इस साल विदेश विभाग के निर्देशों में विदेशों में तैनात अमेरिकी राजनयिकों को ऐसे किसी भी आवेदक के प्रति सतर्क रहने का आदेश दिया गया है जिसे अमेरिका के प्रति शत्रुतापूर्ण और राजनीतिक सक्रियता का इतिहास रखने वाला मान जा सकता हो।
अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों से उन लोगों की भी जांच करने को कहा गया है, ‘जो विदेशी आतंकवादियों और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अन्य खतरों की वकालत, सहायता या समर्थन करते हैं; या जो गैरकानूनी यहूदी विरोधी उत्पीड़न या हिंसा करते हैं।’
ट्रंप प्रशासन को कानूनी चुनौती
यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने गुरुवार को एच-1बी वीजा आवेदनों पर 1,00,000 डॉलर का शुल्क लगाने के ट्रंप सरकार के फैसले के खिलाफ कानूनी कदम उठाते हुए इसे मौजूदा आव्रजन कानून का उल्लंघन बताया है। अपनी शिकायत में, चैंबर ने तर्क दिया कि नया शुल्क आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम द्वारा निर्धारित सीमा से परे है, जिसके अनुसार वीजा शुल्क में केवल सरकार के प्रशासनिक खर्चों को दर्शाना आवश्यक है।
चैंबर के कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य नीति अधिकारी नील ब्रैडली ने कहा कि यह भारी शुल्क कई अमेरिकी नियोक्ताओं, खासकर स्टार्ट-अप और छोटे व्यवसायों के लिए कुशल विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करना लगभग असंभव बना देगा।