Sunday, November 2, 2025
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भारतीय मूल के सीईओ पर 500 मिलियन डॉलर धोखाधड़ी का आरोप, जानें पूरा मामला

भारतीय मूल के सीईओ बंकिम ब्रह्मभट्ट पर 500 मिलियन डॉलर धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। उनके वकील ने हालांकि आरोपों को निराधार बताया है।

नई दिल्लीः भारतीय मूल के सीईओ बंकिम ब्रह्मभट्ट पर एक ऋण घोटाले की साजिश रचने का आरोप लगा है। इससे कथित तौर पर वैश्विक निवेश फर्म ब्लैकरॉक को निजी ऋण शाखा और कई अन्य ऋणदाताओं को 50 करोड़ डॉलर (44 अरब 39 करोड़ रुपये) से अधिक का नुकसान हुआ है।

द वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसे वित्तीय धोखाधड़ी का एक चौंकाने वाला कृत्य बताया जा रहा है। बंकिम ब्रह्मभट्ट एक दूरसंचार कंपनी में मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

बंकिम ब्रह्मभट्ट कौन हैं?

बंकिम ब्राडबैंड टेलीकॉम और ब्रिजवाइस से जुड़े हैं। ये कंपनियां वैश्वविक दूरसंचार सेवा उद्योग में दो अपेक्षाकृत अज्ञात कंपनियां हैं। ये कंपनियां बैंकाई समूह के अंतर्गत काम करती हैं। इसी साल जुलाई में बैंकाई ने एक्स पर एक पोस्ट की जिसमें ब्रह्मभट्ट को अध्यक्ष और सीईओ बताया।

इस समूह के एक्स अकाउंट पर बायो में कंपनी को “दूरसंचार उद्योग में विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त अग्रणी के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो दूरसंचार कंपनियों, ऑपरेटरों और अन्य के साथ दूरसंचार प्रौद्योगिकी और वाहक व्यवसाय बिरादरी को संजोए हुए है।”

कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, ब्रह्मभट्ट का व्यवसाय दुनियाभर में दूरसंचार ऑपरेटरों को बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी समाधान प्रदान करता है।

वहीं, प्रोफेशनल अपडेट प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर ब्रह्मभट्ट की प्रोफाइल भी हटा दी गई है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही तक उनका कार्यालय गार्डन सिटी, न्यूयॉर्क में था।

कंपनी पर 50 करोड़ से अधिक बकाये का आरोप

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2025 में अमेरिका में इसको लेकर मुकदमा दायर किया गया। इसमें दावा किया गया कि ब्रह्मभट्ट की कंपनियों पर 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा का बकाया है। ब्लैकरॉक कंपनी के एचपीएस इनवेस्टमेंट पार्टनर्स के नेतृत्व में ऋणदाताओं ने उन पर फर्जी बिल और खातों का आरोप लगाया है। इन्हें बड़े ऋणों के लिए गिरवी रखा गया था।

इसमें यह भी आरोप लगाया गया कि ब्रह्मभट्ट की कंपनियों के नेटवर्क ने कागजों पर वित्तीय मजबूती का भ्रम पैदा किया जबकि कथित तौर पर धन को भारत और मॉरीशस भेजा गया। ब्रह्मभट्ट ने वकील ने हालांकि इन आरोपों का खंडन किया है।

ऋणदाताओं ने दावा किया कि ब्रह्मभट्ट ने वित्तपोषण साधनों का एक विस्तृत नेटवर्क बनाया। इसमें कैरिओक्स कैपिटल और बीबी कैपिटल एसपीवी शामिल हैं। इन्होंने एचपीएस इनवेस्टमेंट पार्टनर्स के नेतृत्व में निजी ऋण निवेशकों से करोड़ों डॉलर उधार लिए। एचपीएस इनवेस्टमेंट पार्टनर्स को हाल ही में ब्लैकरॉक द्वारा अधिग्रहित किया गया है।

इस मुकदमे के मुताबिक, ब्रह्मभट्ट ने कथित तौर पर ग्राहकों के बिलों में भी हेराफेरी की और फर्जी प्राप्तियों को 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा के ऋण हासिल करने के लिए संपार्श्विक (ऋण लेने वाला ऋण देने वाले को सुरक्षा के रूप में देता है) के रूप में इस्तेमाल किया।

इसमें आगे यह भी आरोप लगाया गया कि बाद में उन्होंने संपत्तियां भारत और मॉरीशस में ट्रांसफर कर दीं। हालांकि उनकी दोनों कंपनियों और ब्रह्मभट्ट ने खुद दिवालिएपन के लिए आवेदन कर दिया है।

मुकदमे में किए गए दावों की गंभीर प्रकृति के बावजूद उनके वकील ने इससे इंकार करते हुए कहा कि ये आरोप निराधार हैं।

अमरेन्द्र यादव
अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...
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