नई दिल्ली: भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को रिलायंस इंडिया लिमिटेड (RIL) के साथ एक एग्रीमेंट में 24 करोड़ का नुकसान हुआ है। यह दावा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग-CAG) की हालिया ऑडिट रिपोर्ट में किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रिंसपल स्पॉन्सरशिप के लिए हुए एक एग्रीमेंट में संघ को नुकसान और रिलायंस (आरआईएल) को लाभ हुआ हुआ है। एग्रीमेंट के पहले चरण के तहत रिलायंस को छह टूर्नामेंटों के लिए उसके कवरेज राइट्स मिले थे। रिलायंस को बाद में कुछ और टूर्नामेंट्स के भी कवरेज राइट्स मिले थे।
रिलायंस ने बाद में मिले कवरेज राइट्स के लिए संघ को अतिरिक्त भुगतान नहीं किया था। दावा है कि इस कारण संघ को 24 करोड़ का नुकसान हुआ है। संघ को हुए नुकसान के दावे को लेकर संघ के तरफ से सफाई भी आई है।
क्या है पूरा मामला
संघ और रिलायंस के बीच 1 अगस्त 2022 को 35 करोड़ रुपए का एक एग्रीमेंट साइन हुआ था। इसके तहत रिलायंस को साल 2022 और 2026 एशियाई खेलों, 2022 और 2026 राष्ट्रमंडल खेलों, 2024 पेरिस ओलंपिक और 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक की कवरेज राइट्स मिले थे।
एग्रीमेंट के तहत, रिलायंस को इन आयोजनों में ‘इंडिया हाउस’ बनाने और प्रदर्शित करने का अधिकार भी दिया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, 5 दिसंबर 2023 को इस एग्रीमेंट में बदलाव किया गया था। इसमें रिलायंस को चार अन्य टूर्नामेंट्स के स्पॉन्सरशिप राइट्स भी दिए गए हैं। रिलायंस को साल 2026 और 2030 शीतकालीन ओलंपिक और साल 2026 और 2030 युवा ओलंपिक खेलों के भी कवरेज राइट्स मिले थे।
दावा है कि रिलायंस को इन अतिरिक्त राइट्स मिलने के बावजूद सौदे की रकम में कोई बदलाव नहीं किया गया था। पहले एग्रीमेंट के तहत छह टूर्नामेंटों के लिए संघ को 35 करोड़ मिलने वाले थे। बाद में रिलायंस को चार और टूर्नामेंटों के राइट्स मिलने के बाद सौदे की रकम 59 करोड़ होनी थी।
लेकिन एग्रीमेंट में बदलाव के समय कुल खेलों (10 खेलों) के राइट्स का रकम 35 करोड़ ही तय हुआ था। हर एक टूर्नामेंट की कीमत छह करोड़ के हिसाब से चार अतिरिक्त टूर्नामेंटों के 24 करोड़ होते हैं।
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि चार अतिरिक्त टूर्नामेंटों के अधिकार जोड़ने के बाद प्रतिफल राशि नहीं बढ़ाने से संघ को 24 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। कैग ने आईओए अध्यक्ष पीटी उषा से इन निष्कर्षों पर जवाब देने को कहा है।
संघ ने क्या सफाई दी है
मामले में पीटी उषा के कार्यकारी सहायक अजय कुमार नारंग ने बताया कि नामकरण अधिकारों के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के नियमों में बदलाव के कारण एग्रीमेंट में फेरबदल किया गया था।
नारंग ने तर्क दिया है कि टेंडर में ‘गलती’ के कारण एग्रीमेंट में फेरबदल करना पड़ा था। उन्होंने साफ किया कि जब एग्रीमेंट बना था तब यह तय हुआ था कि ‘इंडिया हाउस’ नाम के आगे रिलायंस कंपनी का नाम लिखा जाएगा।
इसके तहत ‘रिलायंस इंडिया हाउस’ होना था लेकिन साल 2023 में आईओसी ने अपने नियमों में बदलाव किया था। आईओसी के नए नियम के अनुसार, ‘इंडिया हाउस’ में अब किसी स्पॉन्सर का नाम नहीं होगा।
ऐसे में रिलायंस ने तर्क दिया कि इससे उनकी ब्रांडिंग को नुकसान होगा जिसके बाद उसी सौदे की कीमत में अतिरिक्त चार और खेलों का कवरेज राइट्स उन्हें दिया गया था।
नारंग ने यह भी तर्क दिया है कि एग्रीमेंट के दौरान ब्रांड की दृश्यता को भी ध्यान में रखकर सौदा तय हुआ था। ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के दौरान भारत की भागीदारी काफी सही थी लेकिन शीतकालीन और युवा ओलंपिक के दौरान यह कम देखी गई है।
ऐसे में भारत की कम भागीदारी के कारण कंपनी को कम दृश्यता मिलेगी, इसे लेकर भी यह बदलाव किया गया है और चार और खेलों के अतिरिक्त रकम रिलायंस से नहीं लिया गया है।
संघ के कोषाध्यक्ष ने क्या कहा है
इस नुकसान पर संघ के कोषाध्यक्ष सहदेव यादव ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि संशोधन के बारे में कार्यकारी परिषद और स्पॉन्सरशिप कमेटी से सलाह नहीं ली गई थी। उनका दावा है कि इस बदलाव के कारण रिलायंस को लाभ हुआ है जबकि संघ को इससे करोड़ों का नुकसान हुआ है।
भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष यादव ने मामले में पारदर्शिता की कमी की भी आलोचना की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि 24 करोड़ रुपए का नुकसान से बचा भी जा सकता था।