लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 21 राज्यों की 102 सीटों पर शुक्रवार मतदान हुआ। इस बीच नागालैंड के 6 पूर्वी जिलों के किसी भी बूथ पर एक भी मतदाता मतदान करने नहीं गया। चुनाव अधिकारी नौ घंटे से अधिक समय तक इंतजार करते रहे, लेकिन क्षेत्र के लगभग 4 लाख मतदाताओं में से कोई भी नहीं गया। दरअसल अलग ‘सीमांत नागालैंड क्षेत्र’ की मांग को लेकर नागा संगठनों ने लोगों से चुनाव से दूर रहने का आह्वान किया था। इन 6 जिलों में 738 मतदान केंद्र बनाए गए थे। वहीं अन्य जगहों पर, राज्य की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के तहत हुए मतदान में लगभग 57 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
20 विधायकों ने भी नहीं किया मतदान
नागा निकायों द्वारा गुरुवार शाम से अनिश्चितकालीन बंद के आह्वान के बावजूद चुनाव आयोग ने मतदान कराने का काफी प्रयास किया लेकिन राज्य के 60 विधानसभा क्षेत्रों में से 20 को कवर करने वाले छह जिलों में कोई मतदान करने नहीं गया। इतना ही नहीं पूर्वी नागालैंड क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले 20 विधायकों ने भी छह जिलों की सात जनजातियों की शीर्ष संस्था ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) के ‘मतदान से दूर रहने’ के आह्वान पर अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया। नागालैंड के 13.25 लाख मतदाताओं में से पूर्वी नागालैंड के छह जिलों में 4,00,632 मतदाता हैं।
9 घंटों में एक भी मतदाता वोट डालने नहीं पहुंचा
नागालैंड सरकार, मुख्यमंत्री रियो, उप मुख्यमंत्री यानथुंगो पैटन और पूर्वी नागालैंड विधायक संघ (ईएनएलयू) ने पहले अलग से ईएनपीओ से चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने का आग्रह किया था। सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि उन नौ घंटों में कोई भी वोट डालने नहीं आया। यहां तक कि 20 विधायकों ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया। नागालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट पर कांग्रेस के एस. सुपोंगमेरेन जमीर, सत्तारूढ़ एनडीपीपी के उम्मीदवार चुम्बेन मरी और एक स्वतंत्र उम्मीदवार हेइथुंग तुंगो लोथा चुनाव लड़ रहे हैं।
चुनाव आयोग ने ईएनपीओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया
ईएनपीओ के इस आह्वान पर चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाते हुए संगठन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग ने कहा कि आदिवासी निकाय पर भारतीय दंड संहिता के तहत उचित कार्रवाई करने की जाएगी। इस बीच नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि उन्होंने ईएनपीओ के एफएनटी की मांग से कोई समस्या नहीं है क्योंकि उन्होंने पहले ही लोगों के विकास के लिए एक स्वायत्त निकाय के गठन का प्रस्ताव दिया है। रियो ने यह भी कहा कि उन्होंने ‘फ्रंटियर नागालैंड टेरिटरी’ के लिए ड्राफ्ट वर्किंग पेपर स्वीकार कर लिया है, जो उन्हें पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में सौंपा गया था।
ईएनपीओ छह जिलों वाले एक अलग राज्य की कर रहा मांग
ईएनपीओ इन छह जिलों वाले एक ‘फ्रंटियर नागालैंड टेरिटरी’ या अलग राज्य की मांग कर रहा है। यह छह पूर्वी जिलें- मोन, तुएनसांग, लॉन्गलेंग, किफिरे, शामतोर और नोकलाक हैं। इसके समर्थन में संगठन ने लोगों से मतदान से दूर रहने का आग्रह किया था। ईएनपीओ ने पूर्वी नागालैंड के 20 विधायकों से भी “किसी भी अप्रिय घटना को रोकने” के लिए शुक्रवार को घर के अंदर रहने का आग्रह किया था। सात पिछड़ी जनजातियां – चांग, खिआमनियुंगन, कोन्याक, फोम, तिखिर, संगतम और यिमखिउंग – पूर्वी नागालैंड के इन छह जिलों में रहती हैं। ईएनपीओ यह आरोप लगाते हुए छह जिलों वाले एक अलग राज्य की मांग कर रहा है कि लगातार सरकारों ने इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास नहीं किया है। मुख्यमंत्री रियो ने कहा कि “जब एक स्वायत्त निकाय बनाया जाता है, तो निर्वाचित सदस्यों के साथ एक उचित प्रणाली होनी चाहिए। राज्य सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। विधायकों और ईएनपीओ को एक सूत्र पर काम करने के लिए मेज पर बैठना चाहिए। हम उसके बाद ही बात कर सकते हैं।”