नई दिल्ली: अमेरिकी अदालत में गौतम अदानी, उनके भतीजे और छह अन्य पर आंध्र प्रदेश सरकार के एक उच्च अधिकारी को कथित तौर पर रिश्वत देने के आरोपों पर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) का बयान आया है। पार्टी ने आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए गलत बताया है। दरअसल, रिश्वत के जिस प्रकरण का जिक्र अमेरिकी अदालत में किया गया है, उस समय आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में वाईएसआर कांग्रेस ही सत्ता में थी।
मामले में अमेरिकी अभियोग के अनुसार अदानी ने कथित तौर पर 1,750 करोड़ रुपये का भुगतान किया था ताकि राज्य की बिजली वितरण कंपनियां विनिर्माण से जुड़ी परियोजना के तहत भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) से सात गीगावाट सौर ऊर्जा खरीदने के लिए सहमत हों।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने क्या सफाई दी है
अमेरिकी अदालत में लगे आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘एपी डिस्कॉम (डिस्ट्रब्यूशन कंपनी) और अदानी समूह से जुड़े सहित किसी भी अन्य संस्थाओं के बीच कोई सीधा समझौता नहीं है। इसलिए, राज्य सरकार पर लगाए गए आरोप गलत हैं।’
समझौते की प्रक्रिया क्या रही, इसे समझाते हुए पार्टी ने कहा, ‘आंध्र प्रदेश वितरण कंपनियां कृषि क्षेत्र को प्रति वर्ष लगभग 12,500 एमयू मुफ्त बिजली की आपूर्ति करती हैं। इस मोर्चे पर, सरकार वितरण कंपनियों को उस बिजली से संबंधित आपूर्ति की लागत का मुआवजा चुकाती है। आंध्र प्रदेश राज्य में पिछली सरकारों की नीतियों के कारण, अत्यधिक टैरिफ पर पीपीए (पावर पर्चेज टेरिफ) निष्पादित किए गए थे। इससे एपी सरकार पर सब्सिडी लागत बहुत ज्यादा हो रही थी। इस समस्या को कम करने के उद्देश्य से, आंध्र प्रदेश राज्य सरकार ने 2020 में राज्य में विकसित किए जाने वाले सौर पार्कों में 10,000 मेगावाट की सौर क्षमता स्थापित करने का प्रस्ताव रखा।’
बयान में आगे कहा गया कि इसी संबंध में APGECL (आंध्र प्रदेश ग्रीन एनर्जी कॉर्पोरेशन) द्वारा नवंबर 2020 में कुल 6400 मेगावाट बिजली की सौर ऊर्जा क्षमता के विकास के लिए एक निविदा जारी की गई थी। इस टेंडर के तहत 24 निविदाएं हासिल हुईं जिसमें 2.49 से रु. 2.58 प्रति किलोवाट की टेरिफ रखी गई थी। हालांकि, निविदा को कानूनी और नियामक मोर्च पर कई बाधाओं का सामना करना पड़ा और इसलिए, यह प्रक्रिया सफल नहीं हो सकी।
पार्टी ने कहा है कि तत्कालीन राज्य सरकार को भारत सरकार के उद्यम SECI से सबसे कम कीमत पर 7,000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करने का प्रस्ताव मिला था। इसमें 2.49 रुपये प्रति किलोवाट की बात कही गई थी और आईएसटीएस शुल्क की भी छूट थी।
बयान के अनुसार इसे देखते हुए आंध्र प्रदेश सरकार ने SECI से बिजली खरीदने की व्यवस्था की। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने कहा कि SECI भारत सरकार का उद्यम है, इसलिए एपी डिस्कॉम और अदानी समूह सहित किसी भी अन्य संस्थाओं के बीच कोई सीधा समझौता नहीं है। इसलिए अभियोग के तौर पर राज्य सरकार पर लगाए गए आरोप गलत हैं।
अमेरिकी कोर्ट में क्या आरोप लगे हैं?
अमेरिकी अदालत में दाखिल दस्तावेजों के अनुसार आंध्र सरकार के एक उच्च पदस्थ अधिकारी से गौतम अडानी ने एसईसीआई और राज्य बिजली वितरण के बीच समझौते को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात की। अमेरिकी दस्तावेजों में आंध्र सरकार के अधिकारी को ‘विदेशी अधिकारी #1’ से संबोधित किया गया है। ये मुलाकातें कथित तौर पर 2021 में हुई है।
इसमें आगे कहा गया है, ‘रिश्वत स्कीम को आगे बढ़ाने में, सह-साजिशकर्ताओं ने गौतम एस अदानी, सागर आर अदानी, विनीत एस जैन और अन्य के माध्यम से भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत के तौर पर लगभग 2,029 करोड़ रुपये (लगभग 265 मिलियन डॉलर) की पेशकश की थी और वादा किया था। इसका मकसद भारत सरकार के अधिकारियों द्वारा विनिर्माण लिंक्ड प्रोजेक्ट के तहत राज्य बिजली वितरण कंपनियों के साथ बिजली बिक्री समझौते (पीएसए) को अंतिम रूप देना था। इससे भारतीय ऊर्जा कंपनी (अदानी ग्रीन एनर्जी) की सहायक कंपनियों और अमेरिकी भागीदारों को लाभ होता।’
आंध्र प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों ने 1 दिसंबर, 2021 को या उसके आसपास एसईसीआई के साथ एक पीएसए किया था। इसके अनुसार राज्य लगभग सात गीगावाट सौर ऊर्जा खरीदने पर सहमत हुआ। अमेरिकी अदालत में कहा गया है कि यह किसी भी भारतीय राज्य या क्षेत्र की ओर से सौर उर्जा खरीद का सबसे बड़ा आंकड़ा है।