भारत में चुनाव के बीच पीएम मोदी और बीजेपी के खिलाफ यूट्यूब इंडिया के कर्मचारियों पर दुष्प्रचार का आरोप! पत्रकार का दावा- खुफिया एजेंसियों को मिले हैं ठोस सबूत

पत्रकार रोहन दुआ ने यह भी दावा किया है कि इस हेरफेर के कारण द न्यू इंडियन यूट्यूब चैनल भी प्रभावित हुआ है।

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YouTube India employees accused propaganda against PM Modi BJP amid loksabha elections 2024 big journalist claims intelligence agencies found concrete evidence

यूट्यूब इंडिया (Photo X@YouTubeIndia

नई दिल्ली: पत्रकार रोहन दुआ ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया है कि भारत की खुफिया एजेंसियों को कथित तौर पर यूट्यूब इंडिया के 17 कर्मचारियों की रिकॉर्डिंग प्राप्त हुई है।

इन रिकॉर्डिंगों में लोकसभा चुनाव के दौरान भारत में किसी भी तटस्थ कवरेज को रोकने और नरेंद्र मोदी के खिलाफ भावना भड़काने पर काम करने के बारे में कर्मचारी बातचीत कर रहे हैं। कथित रिकॉर्डिंग में कर्मचारी इस सिलसिले में अन्य लोगों से बातचीत करते और लिखित निर्देश देते पाए गए हैं।

क्या आरोप लगे हैं

यही नहीं कर्मचारियों के रिकॉर्डिंग से यह भी साफ हुआ है कि कैसे वे बीजेपी या फिर पीएम मोदी के खिलाफ वाले कंटेट को बढ़ावा देते थे। इन कर्मचारियों पर उन गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है जो चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं।

आरोप के तहत ये कर्मचारी तटस्थ कवरेज पर प्रतिबंध लगाने और पीएम मोदी के खिलाफ नकारात्मक सामग्री को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।

93 पत्रकारों और 42 चैनलों पर लगे हैं बैन

रोहन दुआ ने कहा है कि जिन कर्मचारियों के बारे में जिक्र किया गया है वे मुंबई, केरल और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। इन कर्मचारियों में 12 पुरुष और पांच महिलाएं शामिल हैं।

YouTube India employees accused propaganda against PM Modi BJP amid loksabha elections 2024 big journalist claims intelligence agenciesfound concrete evidence रोहन दुआ (Photo X@rohanduaT02

इन पर आरोप कि इन कर्मचारियों पर यूट्यूब के एल्गोरिदम को बदलने और चुनाव में बीजेपी की तटस्थ रिपोर्टिंग करने वाले 93 पत्रकारों और 42 चैनलों पर बेरोकटोक और मनमाने प्रतिबंध लगाने का संदेह है।

पत्रकार का भी यूट्यूब चैनल हुआ है प्रभावित

दुआ ने कहा है कि इस हेरफेर का असर द न्यू इंडियन यूट्यूब चैनल पर भी पड़ा है। उन्होंने दावा किया है कि ऐसा सच में हुआ है और उनकी अपनी निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए खामियाज़ा भुगतना पड़ा है। इनके साक्ष्य कानूनी विशेषज्ञों की सहायता से दिल्ली उच्च न्यायालय और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दिए जा रहे हैं।

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