यमुनोत्रीः उत्तराखंड में सावन के आगमन के साथ ही भारी बारिश ने कहर बरपा दिया है। विशेष रूप से यमुनोत्री धाम में बारिश ने तबाही मचा दी है।
गुरुवार रात हुई भारी बारिश के कारण पहाड़ों से मलबा आने से धाम के दोनों गर्म कुंड भर गए। एक गौशाला में दबकर एक गाय और दो बछड़े की मौत हो गई। धाम की पार्किंग में खड़ी कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुईं या बह गईं।
सप्तऋषि क्षेत्र में बादल फटने से यमुनोत्री धाम और जानकी चट्टी में भारी नुकसान हुआ है। यमुना नदी में बाढ़ आ गई और धाम के लिए जाने वाले पुल और मुख्य मार्ग बह गए।
वीआईपी रूम, पंडितों की रसोई, पुजारी महासभा का कक्ष, मंदिर की स्ट्रीट लाइट और जनरेटर भी नदी में बह गए। बारिश में जानकी चट्टी में तीन खच्चर और एक बाइक भी नदी में बह गई। गनीमत रही कि पार्किंग में सो रहे मजदूरों ने किसी तरह भाग कर अपनी जान बचाई।
प्रशासन अलर्ट पर
सूचना मिलते ही राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीम रात में ही मौके पर पहुंच गई और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। प्रशासन ने यमुना नदी के किनारे रहने वाले लोगों को माइक से अनाउंसमेंट कर सतर्क किया। साथ ही उन्हें सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया और खाने-पीने की व्यवस्था की।
गौरतलब है कि यमुनोत्री धाम तीर्थस्थल उत्तरकाशी जिले में यमुना नदी के स्रोत के पास 3,293 मीटर की ऊंचाई पर एक संकरी घाटी में स्थित है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी बचाव कार्य में जुटे हैं।
उत्तराखंड के डीएम मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि सप्तऋषि क्षेत्र में बादल फटने की घटना के बाद तुरंत मदद भेजी गई। राजस्व की टीम नुकसान का जायजा ले रही है।
यह घटना एक बार फिर उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को उजागर करती है। बारिश के मौसम में इस तरह की घटनाएं आम हो गई हैं। प्रशासन को ऐसे हालातों से निपटने के लिए और बेहतर तैयार रहने की जरूरत है।
आईएएनएस इनपुट के साथ