नई दिल्ली: राहुल गांधी पिछले कुछ सालों से राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की बात लगातार करते रहे हैं। उन्होंने सोमवार को भी संसद में जाति जनगणना का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने जाति जनगणना की बात रखते हुए तेलंगाना के कास्ट सर्वे का उदाहरण पेश कर दिया। तेलंगाना की जाति जनगणना की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में पिछड़ा वर्ग (बीसी) राज्य की आबादी का 46% है।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कई जानकार मान रहे हैं कि यह कांग्रेस के लिए ही आने वाले दिनों में बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है। तेलंगाना में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में इसकी सिफारिशों को लागू करने की मांग तेज हो रही है। इस बीच ऐसी भी खबरें हैं कि कैबिनेट में रिपोर्ट को रखे जाने से पहले ही इसके अंश सार्वजनिक किए जाने से मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी नाराज हैं। सूत्रों के अनुसार रेवंत रेड्डी को बिना जानकारी दिए ही इसे सार्वजनिक कर दिया गया।
तेलंगाना की जाति जनगणना की रिपोर्ट में क्या है?
बहरहाल, तेलंगाना के सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा, रोजगार, राजनीतिक और जाति सर्वेक्षण जिसे जाति जनगणना कहा गया है, इससे पता चला है कि पिछड़ा वर्ग (मुस्लिम पिछड़े वर्ग को छोड़कर) तेलंगाना की आबादी का 46.25% है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि तेलंगाना की आबादी में अनुसूचित जाति (एससी) 17.43%, अनुसूचित जनजाति (एसटी) 10.45% और मुस्लिम बीसी 10.08% हैं। यह भी बताया गया है कि करीब 3 प्रतिशत आबादी (16 लाख) सर्वेक्षण से बाहर रह गई, क्योंकि या तो वे उपलब्ध नहीं थे या उन्होंने इस सर्वे में रूचि नहीं ली।
रिपोर्ट में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 61,84,319, अनुसूचित जनजातियों की 37,05,929, मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अलावा पिछड़ी जातियों की जनसंख्या 1,64,09,179 बताई गई है।
कांग्रेस सरकार पर बढ़ने लगा है दबाव
रिपोर्ट के सामने आने के साथ पिछड़े वर्ग के नेताओं ने चेतावनी देनी शुरू कर दी है कि अगर इनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की कांग्रेस सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जा सकता है।
के चंद्रशेखर राव की बेटी बीआरएस की के कविता ने सोमवार को समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, 'तेलंगाना सरकार द्वारा कराया गया जाति जनगणना का रिजल्ट कल (रविवार) आया। सरकार ने घोषणा की है कि 46.3% बीसी हैं, साथ ही 10.2% मुस्लिम बीसी हैं। इन सभी को एक साथ रखा जाए तो आंकड़ा 56.3% पहुंचता है। हम कांग्रेस सरकार से मांग कर रहे हैं कि स्थानीय निकाय चुनावों में जाने से पहले, आपको इस 56.3% को आरक्षण देना चाहिए।'
फिलहाल ये रिपोर्ट लिखे जाने तक तेलंगाना जाति जनगणना रिपोर्ट को रेवंत रेड्डी कैबिनेट द्वारा मंजूरी दिया जाना बाकी है। इसे मंगलवार को मंजूरी दी जा सकती है। वर्तमान में तेलंगाना स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण 23% है। कांग्रेस ने सत्ता संभालने के छह महीने के भीतर इसे बढ़ाकर 42% करने का वादा किया था।
कर्नाटक की रिपोर्ट कब आएगी सामने?
बात केवल तेलंगाना की ही क्यों करें। पड़ोसी में कांग्रेस शासित कर्नाटक में भी पार्टी जाति सर्वे की रिपोर्ट को लेकर जूझ रही है। 2018 में तैयार की गई इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए या नहीं, राज्य में कांग्रेस इस मुद्दे पर खुद बंटी हुई है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पिछले कई महीने से इस रिपोर्ट को कैबिनेट की बैठक में रखने की बात कर रहे हैं लेकिन इसे टाला जाता रहा है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और कुछ ऊंची जाति के मंत्रियों ने कांग्रेस आलाकमान को 16 जनवरी की कैबिनेट बैठक में जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने से रोकने के लिए मजबूर किया था।
करीब 160 करोड़ रुपये खर्च कर किए गए सर्वे के निष्कर्षों को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2014 में अपने पिछले कार्यकाल में शुरू किया था। इसे जनवरी में कैबिनेट बैठक में प्रस्तुत किया जाना था, लेकिन कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद इसे रोक दिया गया।
जितनी आबादी हक...उतना हक के नारे का क्या होगा?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नारा- 'जितनी आबादी, उतना हक' पिछले लोकसभा चुनाव में काफी चर्चा में रहा। इसका फायदा भी काफी हद तक पार्टी को लोकसभा चुनाव में मिला। हालांकि, अब सवाल है कि तेलंगाना में पार्टी क्या कदम उठाने जा रही है।
राहुल गांधी जाति जनगणना कराकर क्या हासिल करना चाहते, उसे दिखाने का अच्छा मौका उनके पास तेलंगाना में है। अगर वे इस पर आगे नहीं बढ़ते तो खुद राहुल और कांग्रेस के लिए भी जवाब देना मुश्किल होगा।
भाजपा से राज्यसभा सांसद और नेशनल बीसी एसोसिएशन के अध्यक्ष आर कृष्णैया के साथ-साथ तेलंगाना बीसी आयोग के पूर्व अध्यक्ष वकुलभरनम कृष्ण मोहन राव सहित पिछड़ा वर्ग के कई नेताओं ने तेलंगाना की कांग्रेस सरकार से आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग के लिए 42% आरक्षण लागू करने का आह्वान किया है।
'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक इन्होंने मांग पूरी न होने पर बड़े पैमाने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है। दूसरी ओर टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ बीसी निकायों ने यह भी आरोप लगाया है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम क्षेत्र के कई घरों को सर्वेक्षण में शामिल नहीं किया गया।
कुल मिलाकर तेलंगाना में जाति जनगणना की रिपोर्ट के बाद राजनीति तेज हो गई है। कर्नाटक में भी कांग्रेस की सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या एक तरह से कांग्रेस पार्टी खुद के बनाई जाल में फंसने जा रही है या उसके पास ऐसे जवाब हैं, जिससे वो विरोधियों को शांत कर सके।