वाशिंगटनः संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) का मेटा (meta) के खिलाफ अविश्वास मुकदमा सोमवार से शुरू हो रहा है। यह कानूनी लड़ाई लगभग छह साल से लड़ी जा रही है। इसके बाद दिग्गज टेक जायंट के भविष्य को नया आकार मिल सकता है। 

मेटा और एफटीसी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील इस मामले में अमेरिका की जिला अदालत में अपना पक्ष रखेंगे। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति जेम्स बोसबर्ग करेंगे। आज की सुनवाई के बाद मुकदमा शुरू हो जाएगा जो कई हफ्तों तक चल सकता है। 

मेटा सीईओ, सीओओ की हो सकती है गवाही

इस मामले में व्यापक स्तर पर साक्ष्य और कई लोगों की गवाही होगी। हिंदुस्तान टाइम्स ने एनपीआर की रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि सरकार मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग, पूर्व सीओओ शेरिल सैंडबर्ग और इंस्टाग्राम प्रमुख एडम मोसरी को गवाही के लिए बुला सकती है। 

वाल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, जुकरबर्ग ने इस मामले को वापस लेने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर दबाव डाला कि वे एफटीसी से मामला वापस लेने का आग्रह करें। हालांकि, मेटा ने इस दावे को खारिज किया है। 

ट्रंप और जुकरबर्ग के बीच संबंध तनावपूर्ण तभी से माने जा रहे हैं जब 2021 में कैपिटल हिल दंगों के बाद से मेटा के प्लेटफॉर्म्स से ट्रंप को हटा दिया गया था। 

इस संबंध में मेटा के प्रवक्ता क्रिस्टोफर स्ग्रो ने बीते सप्ताह एक बयान जारी कर कहा था कि एफटीसी द्वारा दायर किया गया मामला "वास्तविकता को चुनौती" देता है। इसके साथ ही प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी अत्यधिक प्रतिस्पर्धी सोशल मीडिया बाजार में काम करती है। 

प्रवक्ता ने कहा था "इस मामले में पेश साक्ष्य से यह पता चलेगा जो दुनिया का हर 17 वर्षीय बच्चा जानता हैः इंस्टाग्राम, फेसबुक और व्हाट्सऐप, यूट्यूब, एक्स, आईमैसेज, चीनी स्वामित्व वाले टिकटॉक और अन्य के साथ प्रतिस्पर्धा करता है। "

उन्होंने आगे कहा "एफटीसी द्वारा हमारे अधिग्रहणों की समीक्षा और मंजूरी देने के 10 साल से अधिक समय बाद आयोग की कार्रवाई यह संदेश देती है कि कोई भी सौदा कभी भी अंतिम नहीं होता है।"

एफटीसी ने मेटा पर क्या आरोप लगाए? 

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी प्रतिस्पर्धा पर निगरानी रखने वाली संस्था ने मेटा पर प्रतिस्पर्धा खत्म करने और एकाधिकार बनाने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि मेटा ने साल 2012 में इंस्टाग्राम का अधिग्रहण किया था और साल 2014 में व्हाट्सऐप का अधिग्रहण किया था। 

यह मामला डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान दायर किया गया था। हालांकि जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान इस मामले ने गति पकड़ी। अभी एफटीसी के चेयरमैन एंड्रू फर्ग्युसन के नेतृत्व में मुकदमा चल रहा है।

सरकार ने तर्क दिया कि मेटा ने अपने अधिग्रहण में "खरीदें या दफनाएं" की नीति अपनाई। इसके साथ ही सरकार ने तर्क दिया कि जिन कंपनियों को मेटा खतरा मानता था या तो उन्हें अधिग्रहित कर लिया या फिर उन्हें कारोबार से बाहर कर दिया। 

सरकारी वकील इस मामले में साल 2012 के एक ईमेल को प्रस्तुत करने की योजना बना रहे हैं। जुकरबर्ग ने इस मेल में लिखा था कि इंस्टाग्राम की खरीद का उद्देश्य "संभावित प्रतिस्पर्धी को बेअसर" करना था। एनपीआर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि एफटीसी यह दावा कर रहा है कि यह व्यवहार संघीय अविश्वास कानूनों का उल्लंघन करता है। 

अमेरिकी सरकार यह भी मानती है कि सोशल मीडिया उद्योग में मेटा जैसी दिग्गज कंपनी की पकड़ ढीली करने के लिए इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप के अधिग्रहण को रद्द करने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए। 

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर एफटीसी इस मामले को जीतने में सफल रहता है तो मेटा को व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम बेचना पड़ सकता है।