वक्फ विधेयक की जरूरत क्यों पड़ी, गैर-मुस्लिम सदस्य वक्फ बोर्ड में क्यों?, अमित शाह ने समझाया

गृह मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि 2013 में कांग्रेस सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के लुटियंस जोन में 123 वीवीआईपी संपत्तियां वक्फ को सौंप दी थीं।

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह। Photograph: (IANS)

नई दिल्लीः लोकसभा में बुधवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर अल्पसंख्यकों को गुमराह करने और तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 2013 में कांग्रेस सरकार द्वारा वक्फ कानून में किए गए संशोधन के कारण ही इस नए विधेयक की जरूरत पड़ी। शाह ने विपक्ष पर देश को विभाजित करने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया।

शाह ने बताया कि 'वक्फ' एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ धार्मिक या सामाजिक भलाई के लिए स्थायी रूप से संपत्ति दान करना है। इसका उपयोग पहली बार खलीफा उमर के समय हुआ था। और यदि आज के समय में इसे समझें तो यह एक ऐसी संपत्ति का दान है, जो किसी व्यक्ति द्वारा धार्मिक या सामाजिक भलाई के लिए बिना वापस लेने के उद्देश्य से दी जाती है। इस प्रक्रिया को 'वक्फ' कहा जाता है। शाह ने कहा कि दान का महत्व बहुत है, लेकिन दान उसी चीज का किया जा सकता है, जो हमारी अपनी हो। सरकारी संपत्ति का दान कोई नहीं कर सकता और न ही किसी और की संपत्ति का दान किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि देश में वक्फ का अस्तित्व दिल्ली के सल्तनत काल के प्रारंभ में आया था और अंग्रेजों के समय में इसे धार्मिक दान अधिनियम के तहत चलाया गया। बाद में 1890 में चैरिटेबल प्रॉपर्टी एक्ट के तहत इसकी प्रक्रिया चली, फिर 1913 में मुसलमान वक्फ वैलिडेटिंग एक्ट अस्तित्व में आया। इसके बाद 1954 में इसे केंद्रीकरण के लिए बदला गया और 1995 में वक्फ अधिकरण और वक्फ बोर्डों की स्थापना हुई। उन्होंने जोर देते हुए कहा, "वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड 1995 से अस्तित्व में आए हैं।"

विधेयक की जरूरत क्यों पड़ी?

लोकसभा में चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 2013 में चुनाव से पहले तुष्टिकरण की राजनीति के तहत वक्फ कानून को और अधिक कठोर बना दिया था। इसके परिणामस्वरूप दिल्ली के लुटियन्स क्षेत्र की 123 वीवीआईपी संपत्तियां चुनाव से महज 25 दिन पहले वक्फ को सौंप दी गईं।

उन्होंने कहा, 'कांग्रेस ने यह नियम बनाया कि जिन लोगों की जमीन वक्फ में शामिल कर ली गई है, वे अदालत में शिकायत दर्ज नहीं करा सकते। किसी भी सरकारी फैसले या संगठन को अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखना असंवैधानिक है। अब इस संशोधन के जरिए कोई भी व्यक्ति, जिसकी जमीन वक्फ में शामिल कर ली गई है, अदालत का रुख कर सकेगा।'

शाह ने कहा कि 2013 में किए गए संशोधन के कारण कई जटिलताएं उत्पन्न हुईं, जिससे वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग के मामले बढ़ गए। इस कारण सरकार को 2025 में वक्फ संशोधन विधेयक लाना पड़ा ताकि पारदर्शिता बनी रहे और प्रशासनिक सुधार हो सके। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए अल्पसंख्यकों को भ्रमित कर रहे हैं और डर का माहौल बना रहे हैं।

गैर-मुस्लिम सदस्य वक्फ बोर्ड में क्यों?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के इस सवाल का भी जवाब दिया का वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति क्यों। उन्होंने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति केवल प्रशासनिक निगरानी के लिए होगी, न कि धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के लिए। 

उन्होंने विपक्ष पर "गलतफहमी फैलाने" का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कानून किसी भी समुदाय की धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं करता है। शाह ने कहा कि गैर-मुस्लिम सदस्यों की भूमिका केवल प्रशासनिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने तक सीमित रहेगी। वे वक्फ की धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, बल्कि यह सुनिश्चित करेंगे कि वक्फ कानून और दान में प्राप्त धन का सही उपयोग हो रहा है या नहीं। साथ ही, उनकी जिम्मेदारी प्रशासन की निगरानी करना होगी कि वह कानूनी रूप से कार्य कर रहा है और दान की गई राशि गरीबों और अल्पसंख्यकों के विकास में लगाई जा रही है या नहीं।

इसके अलावा, शाह ने वक्फ संपत्तियों की हेराफेरी पर भी सरकार की सख्ती की बात कही। उन्होंने बताया कि वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद की भूमिका उन लोगों पर कार्रवाई करने की होगी जो वक्फ संपत्तियों की अवैध बिक्री या दीर्घकालिक लीज के नाम पर हेराफेरी कर रहे हैं। उन्होंने चिंता जताई कि वक्फ संपत्तियों की आय लगातार घट रही है, जिससे अल्पसंख्यकों के विकास के लिए मिलने वाला धन चोरी हो रहा है। सरकार का उद्देश्य इन संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना और उन्हें सही तरीके से संचालित करना है ताकि वक्फ की आय का उपयोग सही दिशा में हो सके।

विपक्ष द्वारा फैलाई जा रही भ्रांतियां

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड का कार्य धार्मिक गतिविधियों को संचालित करना नहीं है, बल्कि यह एक प्रशासनिक निकाय है जो वक्फ संपत्तियों की निगरानी करता है। उन्होंने बताया कि वक्फ बोर्ड का गठन ट्रस्ट एक्ट के तहत हुआ है और ट्रस्टी किसी भी धर्म के हो सकते हैं क्योंकि उनका कार्य केवल प्रशासनिक है, धार्मिक नहीं।

शाह ने कहा कि पहले के कानूनों के अनुसार, वक्फ बोर्ड और परिषद में केवल इस्लाम धर्म के लोगों को ही नियुक्त किया जाता था। उन्होंने इसे देश को विभाजित करने का षड्यंत्र बताया और कहा कि सरकार इस तरह की व्यवस्था को समाप्त करना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड और परिषद का कार्य धार्मिक क्रियाकलापों का संचालन नहीं, बल्कि वक्फ संपत्तियों का सही प्रशासन सुनिश्चित करना है।

विपक्ष के दावे को किया खारिज

विपक्षी दलों द्वारा मुसलमानों की संपत्ति और उनके अधिकारों को नुकसान पहुंचाने के आरोपों पर शाह ने कहा कि वक्फ बोर्ड 1995 से अस्तित्व में हैं और यह केवल संपत्तियों के प्रशासन और नियमन से संबंधित हैं, न कि किसी धर्म के आस्थाओं में दखल देने के लिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष जानबूझकर अल्पसंख्यकों को डराने की राजनीति कर रहा है ताकि उन्हें वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।

अमित शाह ने विपक्ष के उस दावे को भी खारिज कर दिया कि यह विधेयक पिछली तिथि से लागू होगा। उन्होंने कहा कि विधेयक में स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह कानून तभी प्रभावी होगा जब सरकार इसकी अधिसूचना जारी करेगी।

 

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