लखनऊ: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में डॉ रामचंद्रन श्रीनिवासन द्वारा लिखी गई “मेरे पापा परमवीर” पुस्तक का विमोचन किया है। यह पुस्तक परमवीर चक्र विजेता शहीद अब्दुल हमीद पर आधारित है।
पुस्तक के विमोचन से पहले परमवीर चक्र को लेकर अब्दुल हमीद के परिवार में विवाद छिड़ गया था। यह विवाद अब्दुल हमीद के सबसे बड़े बेटे जैनुल हसन और उसके भतीजे जमील आलम के बीच शुरू हुआ है।
चाचा करना चाहते हैं अपना प्रमोशन- जमील
जमील आलम का कहना है कि किताब लॉन्च का आयोजन करने वाले उसके चाचा जैनुल हसन इस प्रोग्राम में परमवीर चक्र का प्रदर्शन करना चाहते थे जिसके लिए उसने मना कर दिया था।
इस बात से उसके चाचा उससे नाराज हो गए हैं। जमील का कहना है कि उसके चाचा परमवीर चक्र को लेकर अपना प्रमोशन करना चाहते हैं। यही नहीं उसने अपने चाचा पर कई और गंभीर आरोप भी लगाए हैं।
उनके नाम दादी ने किया था पदक-जमील
बता दें कि भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान वीर अब्दुल हमीद शहीद हुए थे। उनकी विरता के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने उनकी पत्नी रसूलन बीबी को परमवीर चक्र से सम्मानित किया था।
जमील का कहना है कि वीर अब्दुल हमीद की पत्नी और उसकी दादी रसूलन बीबी का 2019 में निधन हुआ था। जमील का दावा है कि उसकी दादी ने अपने निधन से पहले पदक के साथ अपनी सारी विरासत को उसके नाम कर दिया था।
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जमील ने क्या आरोप लगाया है
जमील का कहना है कि उसके चाचा जो दो साल पहले ही सेना से रिटायर हुए हैं वे खुद के प्रमोशन के लिए पदक की मांग कर रहे हैं। उसने अपने चाचा जैनुल हसन पर आरोप लगाया कि वे कभी भी परिवार को नहीं देखें हैं और न ही अपनी मां की देखभाल की है।
जमील का दावा है कि चाचा का स्वभाव देखकर उनकी दादी ने पदक को उन्हें सौंपा था। उसका यह भी आरोप है कि सेना में ड्यूटी के दौरान वे कभी भी उनकी दादी और उनका हाल नहीं पूछे थें लेकिन अब खुद के प्रमोशन के लिए उन्हें वीर हमीद की विरासत की जरूरत पड़ रही है।
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चाचा जैनुल हसन ने क्या कहा है
प्रोग्राम से पहले जैनुल ने कहा था कि वीर अब्दुल हमीद को याद करते हुए उनके 91वीं जयंती के अवसर पर गाजीपुर के धामूपुर में इस किताब का लॉन्च रखा गया है। धामूपुर में पत्रकारों से बात करते हुए जैनुल ने कहा था इस पुस्तक लॉन्च में मोहन भागवत मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगें और वे कितान का विमोचन भी करेंगे।
परमवीर चक्र के बारे में बोलते हुए जैनुल ने कहा था कि प्रोग्राम में पर्दशन के लिए जमील पदक नहीं दे रहा है।
जैनुल ने क्या दावा किया है
जैनुल ने कहा कि जमील या तो उस पदक को मुझे दे दे या फिर उसे सेना संग्रहालय में दान कर दे। जैनुल का दावा है कि उसकी मां की यह इच्छा थी कि यह पदक सेना संग्रहालय में दान होना चाहिए।
ऐसे में वह अपनी मां की इच्छा को पूरा करना चाहते हैं। जैनुल ने कहा है कि वे और फिल्म निर्माता विक्रम खाखर पत्रकार रामचंद्रन श्रीनिवासन द्वारा लिखी गई इस किताब पर एक फिल्म को बनाने की योजना बना रहे हैं।
सेवानिवृत्त से पहले चाचा ने नहीं पूछा था हाल-जमील
जमील का आरोप है कि उसके चाचा ने दादी का जरा भी ख्याल नहीं रखा है और जब तक वे जीवित थीं उसने उनका ध्यान रखा है। उसका यह भी आरोप है कि उसका चाचा हाल में सेना से सेवानिवृत्त हुए हैं और इससे पहले उन्होंने यह जानने की कोशिश भी नहीं की थी कि उनका भतीजा और उनकी मां किस हालत में हैं।
जमील ने मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की भी दी धमकी
जमील एक किसान हैं और वे इस हालत में अपनी दादी का ख्याल रखने का दावा करते हैं।
जमील ने कहा है कि वे पदक को अपने चाचा को नहीं देंगे। उसने मुख्यमंत्री के शिकायत पोर्टल पर उनके खिलाफ दायर की गई शिकायत का भी जवाब दिया है। जमील ने कहा है कि अगर उसके चाचा उन पर इस तरह के झूठे आरोप लगाते रहेंगे तो वे उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर देंगे।
किताब लॉन्च के बाद मोहन भागवत ने क्या कहा
पुस्तक का विमोचन करने के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जानवर और इंसान में फर्क पर बात करते हुए कहा कि जानवर अपने लिए जीता है, लेकिन इंसान दूसरे के लिए जीता है।
इसी तरह अब्दुल हमीद देश के लिए जिये और देश के लिए रण में शहीद हो गए। उन्होंने कहा कि हाथी अगर साइकिल चलाने लगे तो वह विकास नहीं है। लेकिन, हां अगर हाथी सूंड से अपने बच्चे की रक्षा करता है तो ये विकास है। बलिदान की भावना ही मनुष्य को अमर शहीद बनाती है।
कौन है अब्दुल हमीद?
परमवीर चक्र विजेता शहीद अब्दुल हमीद भारतीय सेना में तैनात थे। 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान 10 सितंबर को वह खेमकरन सेक्टर के अग्रिम मोर्चे पर तैनात थे। ड्यूटी के दौरान आरसी गन से पाकिस्तानी सेना के कई पैटर्न टैंकों को ध्वस्त कर शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए वो शहीद हो गए।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध के दैरान उन्होंने पाकिस्तान के आठ टैंकों को नष्ट किया था और नौवीं के दौरान वे शहीद हो गए थे। शहादत के बाद मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया था।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ