राजस्थान के बांसवाड़ा परमाणु पावर प्लांट को लेकर क्यों हो रहा विवाद? पीएम मोदी जल्द ही करने वाले हैं शिलान्यास

घटना पर बोलते हुए बांसवाड़ा के कलेक्टर डॉ. इंद्रजीत यादव ने बताया कि कुछ असामाजिक तत्वों इलाके में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे यह विवाद और भी बढ़ गया है।

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Why there controversy regarding Rajasthan Banswara Mahi Nuclear Power Plant npcil foundation stone of which going laid by PM Modi soon

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

जयपुर: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में पुलिस और स्थानीयों के बीच हिंसक झड़प में तीन पुलिसकर्मी समेत कई ग्रामीण घायल हो गए हैं। इस संघर्ष में भारत आदिवासी पार्टी के एक स्थानीय पदाधिकारी समेत 12 अन्य लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है।

यह झड़प उस समय शुरू हुआ था जब जिले के छोटी सरवन गांव के निवासी प्रस्तावित माही परमाणु पावर प्लांट की दीवार के निर्माण को लेकर विरोध कर रहे थे।

आधिकारियों का कहना है कि प्लांट के लिए जिन स्थानीयों की जमीन ली गई थी सरकार ने उन्हें दूसरी जगह जमीन दी है, इसके बावजूद भी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। बहुत पहले से स्थानीय इस परमाणु पावर प्लांट के निर्माण का विरोध कर रहे हैं।

विरोध कर रहे स्थानीयों की अलग-अलग मांग हैं। बता दें कि यह वही प्लांट हैं जिसका आधापशिला पीएम मोदी जल्द ही करने जा रहे हैं। इस बात की अधिक संभावना है कि इसी महीने या फिर अलगे महीने के पहले हफ्ते तक इसका शिलान्यास हो सकता है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, जिले के छोटी सरवन गांव में 2800 मेगावाट का माही परमाणु पावर प्लांट का निर्माण होने वाला है। शुक्रवार को न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के लिए बन रही दीवार के निर्माण के समय यह विरोध काफी बढ़ गया है।

सरकार के अनुसार, इस परियोजना के लिए 553 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण करने के लिए 415 करोड़ रुपए का स्थानीयों को मुआवजा दिया गया है।

जिन स्थानीयों की जमीन ली गई है उनके घर के लिए पास के खारिया देव में 60 हेक्टेयर भूखंड की पहचान की गई है। चूंकी स्थानीयों को मुआवजे में जमीन दे दी गई है वे वहां शिफ्ट होने के लिए तैयार नहीं है।

उनकी मांग है कि दूसरी जगह शिफ्ट होने से पहले उनकी कुछ शर्तें हैं जिन्हें सरकार को माननी होगी। स्थानियों की यह मांग है कि उनके लिए पास में एक अस्पताल खोला जाए साथ में उनके कुछ और भी मांगे हैं जिनके पूरे होने के बाद ही वे इस विरोध प्रदर्शन को रोकेंगे।

बता दें कि परियोजना को ध्यान में रखते हुए छह गांवों के करीब तीन हजार लोगों को प्लांट वाली जगह से अन्य जगह पर शिफ्ट किया गया है। इन छह गांवों में बारी, सजवानिया, रेल, खरिया देव, आदिभीत और कटुम्बी भी शामिल हैं।

महिलाओं ने किया था राष्ट्रीय राजमार्ग ब्लॉक

विरोध कर रहे स्थानियों और पुलिस के बीच शुक्रवार को लगभग तीन घंटे तक संघर्ष चला था। इस दौरान स्थानियों ने पुलिस पर पथराव भी किया था। यही नहीं महिलाओं ने राष्ट्रीय राजमार्ग 927-ए को भी ब्लॉक किया था। हालात को काबू करने के लिए पुलिस को काफी मुशक्कत करनी पड़ी थी।

बांसवाड़ा के एसपी हर्षवर्द्धन अग्रवाल ने कहा है कि भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे। हालात से निपटने के लिए क्विक रिस्पांस टीम (क्यूआरटी) के जवानों को भी तैनात किया गया था।

हिंसा के दौरान टीम के जवान कल्पेश गरासिया के सिर में चोट भी लगी है और उन्हें बांसवाड़ा के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना पर बोलते हुए बांसवाड़ा के कलेक्टर डॉ. इंद्रजीत यादव ने बताया कि कुछ असामाजिक तत्वों इलाके में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे यह विवाद और भी बढ़ गया है।

स्थानीयों की यह भी है मांग

विरोध कर रहे स्थानीयों की यह मांग है कि शुरू होने वाले पावर प्लांट में युवाओं को नौकरी दी जाए। उनका यह भी कहना है कि आवास आवंटन और नौकरियों के लिए हर घर के प्रत्येक परिवार के सदस्य को एक अलग इकाई माना जाना चाहिए और इस हिसाब से उन्हें घर और नौकरी देना चाहिए।

बांसवाड़ा से पहली बार सांसद बने राजकुमार रोत ने एक अखबार को बताया कि यहां के आदिवासी केवल नौकरी की ही नहीं मांग कर रहे हैं बल्कि विरोध कर रहे लोगों की अलग-अलग मांग है।

उनके अनुसार, आदिवासियों का एक समूह केवल नौकरी की मांग कर रहा है वहीं दूसरा ग्रुप पावर प्लांट के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में काफी चिंतित है, इसलिए ये भी विरोध कर रहे हैं। उनका दावा है कि कई स्थानीय लोग जो पावर प्लांट के संभावित पर्यावरण प्रदूषण से पहले अनजान थे और शुरू में मुआवजे के लिए तैयार हो गए थे।

लेकिन बाद में जब उन्हें एहसास हुआ तो वे इसके लिए मना कर दिए और इसके विरोध में आवाज उठाने लगे थे। वे सुरक्षित और हरित वातावरण पसंद करते हैं, इसलिए वे इस परियोजना के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।

इस कारण लोकसभा चुनाव का भी किया था विरोध

इस मामले को बीएपी विधायक जयकिशन पटेल ने विधानसभा में उठाया था। पावर प्लांट को लेकर स्थानीयों का विरोध काफी दिनों से चल रहा है। इस कारण उन लोगों ने लोकसभा चुनाव 2024 का भी विरोध किया था।

18 जुलाई को विस्थापित ग्रामीणों ने एक बैठक की और पावर प्लांट को बंद करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद से ही यह विरोध प्रदर्शन जोर पड़का है जिसमें हिंसा भी हुई है।

परियोजना को लेकर रिपोर्ट में क्या दावा किया गया है

एनपीसीआईएल परियोजना रिपोर्ट का दावा है कि एमबीआरएपीपी अत्याधुनिक रिएक्टर तकनीक पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कई पर्यावरण-अनुकूल और सुरक्षा विशेषताएं हैं जो प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने या उनसे बचने के लिए इसे डिजाइन किया गया है।

हालांकि इन दावों के बावजूद स्थानीयों अपनी मांग पर अड़े हैं और वे लोग विरोध प्रदर्शन जारी रख रहे हैं।

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