कोलकाता में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल क्यों नहीं हुई खत्म, रेप-हत्या मामले में न्याय के अलावा क्या है उनकी और मांगें?

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के तरफ से 51 डॉक्टरों को नोटिस दिया गया है। उन पर कथित तौर पर कॉलेज में डराने की संस्कृति को बढ़ावा देने और अस्पताल के वातावरण को खराब करने का आरोप लगा है।

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Why strike of junior doctors in Kolkata rape-murder case not ended after supreme court order what their other demands

कोलकाता में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल क्यों नहीं हुई खत्म, रेप-हत्या मामले में न्याय के अलावा क्या है उनकी और मांगें? (फाइल फोटो- IANS)

कोलकाता: आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बलात्कार-हत्याकांड मामले को लेकर डॉक्टर और स्वास्थ अधिकारियों का धरना बुधवार को भी जारी है। अस्पताल परिसर में नौ अगस्त की घटना के बाद से ही 31 साल की मृत ट्रेनी डॉक्टर के लिए न्याय की मांग की जा रही है।

धरना दे रहे है डॉक्टर और स्वास्थ अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर वापस आने का आदेश दिया था। लेकिन इसके बावजूद उनका विरोध प्रदर्शन जारी है और डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती है वे काम पर नहीं लौटेंगे।

घटना के दूसरे दिन से जूनियर डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। देखते ही देखते पूरे राज्य में विरोध बढ़ गया था जिससे पिछले कई दिनों से पूरे पश्चिम बंगाल में चिकित्सा सेवाएं बाधित हुई है।

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया है कि इस हड़ताल से राज्य के स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को काफी नुकसान हुआ और इस कारण अब तक 23 लोगों की भी मौत हो चुकी है।

प्रदर्शनकारियों की क्या है मांग

प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को उजागर करने के लिए झाड़ू और एक मॉडल मस्तिष्क को लेकर एक प्रतीकात्मक मार्च भी निकाला था।

32 दिन से चल रहे विरोध प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को राज्य के स्वास्थ भवन तक मार्च किया था और अपनी मांगे रखी थी। डॉक्टर राज्य के स्वास्थ्य सचिव और पुलिस प्रमुख सहित कई शीर्ष अधिकारियों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

विरोध कर रहे डॉक्टर और स्वास्थ अधिकारियों की मांग है कि राज्य के स्वास्थ्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा निदेशक, स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक और शहर के पुलिस प्रमुख विनीत गोयल को उनके पद से हटा दिया जाना चाहिए।

यही नहीं वे डॉक्टर और स्वास्थ अधिकारियों के लिए बेहतर सुविधाओं की भी मांग कर रहे हैं। वे उनके लिए शौचालय, वार्डों और ऑपरेशन थिएटरों के बाहर अधिक सुरक्षा और राज्य भर में बेहतर स्वास्थ्य देखभाल जैसी बुनियादी ढांचें की भी मांग कर रहे हैं।

प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर और स्वास्थ अधिकारियों का यह भी कहना है कि केवल पुलिस की उपस्थिति बढ़ाना उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। उनके अनुसार, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा की गारंटी के लिए सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए उचित सेवाएं भी सुनिश्चित कराना जरूरी है।

प्रदर्शनकारियों की यह भी मांग है कि राज्य के हर जिले में सिविक डॉक्टरों और नर्सों की नियुक्ति के आलावा वहां पर उचित सरकारी स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाएगी, वे काम पर नहीं लौटेंगे।

प्रदर्शनकारियों ने बैठक में शामिल होने से किया इनकार

मामले में मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रदर्शनकारियों को इस पर चर्चा के लिए एक बैठक में भी बुलाया था लेकिन वे लोग इसमें शामिल नहीं हुए थे।

बैठक में केवल 10 प्रतिनिधियों को ही चर्चा पर बुलाया गया था जिसे डॉक्टरों ने "अपमानजनक" बताते हुए बैठक में बुलाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। उनका कहना है कि किसी भी चर्चा या बातचीत में वे केवल अपनी मांगों को पूरा होने पर जोर देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को चेतावनी दी थी कि अगर वे काम पर नहीं लौटे तो उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। अदालत ने हड़ताल से स्वास्थ्य सेवा पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव पर जोर देते हुए पुलिस और राज्य सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने सीबीआई को 17 सितंबर तक आर जी कर जांच मामले पर एक नया रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया था।

ममता ने प्रदर्शनकारियों से क्या अपील की थी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को प्रदर्शनकारियों से अपील की थी कि वे विरोध प्रदर्शन जारी न रखें और त्योहारों के मद्देनजर अपने काम पर वापस लौट जाएं। सीएम के इस बयान पर आर जी कर मामले की पीड़िता की मां ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के साथ एकजुटता जताई थी।

पीड़िता की मां ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को संबोधित करते हुए कहा, "इस समय मेरी बेटी को न्याय दिलाने के लिए विरोध प्रदर्शन ही असली त्यौहार है। संकट की इस घड़ी में हमारे साथ होने के लिए मैं आप सभी का धन्यवाद करती हूं।"

उधर मंगलवार को राज्य के सभी कोनों से वरिष्ठ और जूनियर डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों और नर्सिंग सहित चिकित्सा क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में साल्ट लेक में स्थित राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय, स्वस्थ भवन की ओर एक विरोध मार्च का नेतृत्व किया था।

प्रदर्शनकारियों ने यहां पर शांति तरीके से विरोध प्रदर्शन किया था और अपनी मांगों को पूरा करने पर जोर दिया था।

आरजी कर के 51 डॉक्टरों को मिला है नोटिस

बता दें कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के तरफ से 51 डॉक्टरों को नोटिस दिया गया है। उन पर कथित तौर पर कॉलेज में "डराने की संस्कृति को बढ़ावा देने" और अस्पताल के वातावरण को खराब करने का आरोप लगा है। इसकी जांच के लिए एक जांच समिति का गठन किया गया है जो डॉक्टरों की बातों को 11 सितंबर को सुनेगी।

इन 51 लोगों की लिस्ट में प्रोफेसर, इंटर्न्स, हाउस स्टाफ और सिनियर रेसिडेंट डॉक्टर भी शामिल हैं। इन लोगों को तब तक कॉलेज की गतिविधियों में भाग लेने से रोक दिया गया है जब तक कि जांच समिति उनके मामलों की समीक्षा नहीं कर लेती है।

न्यायिक हिरासत में भेजे गए हैं पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष

इसी मामले में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। उनके साथ उनके एक सुरक्षा गार्ड अफसर अली, चिकित्सा उपकरणों के विक्रेता बिप्लब सिंघा और एक फार्मेसी के मालिक सुमन हजारा को भी 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

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