इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी से पूछा है कि किसी एफआईआर में संदिग्धों की जाति का उल्लेख करने की जरूरत क्यों है? कोर्ट ने कहा कि जाति का जिक्र करने से समाज में भेदभाव और पूर्वाग्रह को बढ़ावा मिल सकता है। जस्टिस विनोद दिवाकर ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि पुलिस को ये साफ करना होगा कि एफआईआर में जाति लिखने का आखिर किसका और क्या भला होता है।

साथ ही कोर्ट ने डीजीपी को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिर कर इस पर जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख पर वह बताएं कि आखिर किसी मामले की एफआईआर में संदिग्धों की जाति लिखने की क्या जरूरत है। एक ऐसे समाज में ऐसा क्यों जरूरी है, जहां जाति एक संवेदनशील मसला है और उसके नाम पर समाज में विभाजन की स्थिति पैदा हो सकती है।'

संविधान में हर नागरिक को समानता का अधिकार

जस्टिस ने कहा कि संविधान इस बात की गारंटी देता है कि देश में जातिगत भेदभाव खत्म होगा। सभी के लिए समानता और गरिमा के साथ बर्ताव किया जाएगा। पक्षपात के साथ न्याय की परिभाषा पूरी नहीं होती। न्याय सभी के लिए एक समान और एक जैसे तरीके से होना चाहिए। जस्टिस दिवाकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं में जाति और धर्म के उल्लेख करने पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि था कि याचिका में जाति या धर्म लिखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता। इसकी बजाय भेदभाव को ही बढ़ा देता है। अदालत ने 3 मार्च को जारी आदेश में कहा कि आप एफिडेविट दें और बताएं कि जाति का उल्लेख करने की क्या कानूनी जरूरत है। इसकी बजाय यह व्यवस्थागत भेदभाव ही करता है। 

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि ये सुनवाई साल 2023 में दायर एक केस को लेकर हुई है। दरअसल, उत्तर प्रदेश की इटावा पुलिस ने 2013 में आईपीसी और एक्साइज ऐक्ट के तहत एक केस दर्ज किया था। इस मामले में आरोपी बनाए गए शख्स को लेकर पुलिस का दावा था कि वह एक अन्य शख्स के साथ कार में सवार था। जांच के दौरान गाड़ी से व्हिस्की की 106 बोतलें पाई गईं। इन बोतलों पर लिखा था- केवल हरियाणा में बिक्री के लिए। उससे पूछताछ के बाद एक और कार को पकड़ा गया, जिससे 237 बोतलें बरामद हुई थीं। इस मामले में पुलिस का दावा था कि आरोपी गैंग लीडर है, जो हरियाणा से शराब लाता है और उसकी बिहार में बिक्री होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हरियाणा से सस्ती शराब लाकर बिहार में ऊंचे दामों पर बेचा जाए, जहां शराब पर बैन है। इस काम से वे मोटा मुनाफा कमा रहे थे।