लखनऊ: वाराणसी स्थित उदय प्रताप कॉलेज के परिसर में मौजूद मस्जिद छात्रों के विरोध के कारण फिलहाल बंद है। यूपी कॉलेज के नाम से भी जाने जाने वाले कॉलेज के छात्रों ने 29 नवंबर को मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। छात्रों ने चार दिसंबर को भी विरोध किया और मस्जिद के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ा।
29 नवंबर के छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद कॉलेज प्रिंसिपल ने मस्जिद के इमाम गुलाम रसूल के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मस्जिद और कॉलेज गेट पर भारी पुलिस बल तैनात है, और केवल वैध कॉलेज आईडी कार्ड वाले छात्रों को ही परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है।
वहीं, मस्जिद से जुड़े लोग परिसर में फिर से नमाज शुरू करने के लिए प्रशासन और पुलिस के निर्देशों का इंतजार कर रहे। परिसर में हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं, लेकिन वाराणसी के पुलिस उपायुक्त चंद्रकांत मीना ने कहा कि मौके पर पुलिस की मौजूदगी से स्थिति नियंत्रण में है।
परिसर को लेकर प्रशासन और उदय प्रताप कॉलेज का क्या कहना है
मस्जिद की जमीन को लेकर मस्जिद प्रबंधन और कॉलेज प्रशासन अलग-अलग दावे कर रहे हैं। जिला प्रशासन और पुलिस के अनुसार, राजस्व रिकॉर्ड में यह जमीन यूपी कॉलेज की संपत्ति के रूप में दर्ज है, इसलिए प्रशासन इस मामले में हस्तक्षेप करने में असमर्थ है।
वहीं, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी स्पष्ट किया है कि यह जमीन वक्फ संपत्ति नहीं है। जिला मजिस्ट्रेट एस. राजलिंगम ने कहा कि जमीन निजी संपत्ति के रूप में दर्ज है और रिकॉर्ड में मस्जिद का कोई जिक्र नहीं है।
कॉलेज के प्रिंसिपल धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि मस्जिद की जगह पहले एक मजार था और बीच-बीच में वहां पर निर्माण हुआ, जिसके बाद मस्जिद अस्तित्व में आई। पिछली बार 2012 में परिसर में निर्माण हुआ था, जिसका छात्रों ने विरोध किया था। कॉलेज ने बताया कि हाल ही में मस्जिद की बिजली भी काट दी गई है।
ताजा विरोध पर बात करते हुए सिंह ने साल 2018 के एक नोटिस का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कथित तौर पर 2018 का नोटिस नवंबर के आखिरी हफ्ते में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
इस नोटिस को कॉलेज के मैनेजर को भेजा गया था, जिसमें वाराणसी के एक निवासी के दावे पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी। उस निवासी ने दावा किया था कि मस्जिद जिस जमीन पर बनी है, वह वक्फ की संपत्ति है और इसे रजिस्टर किया जाना चाहिए।
हालांकि, वक्फ बोर्ड ने बाद में स्पष्ट किया कि इस नोटिस को 18 जनवरी 2021 को बोर्ड के अध्यक्ष के आदेश के बाद रद्द कर दिया गया था और अब इस मामले में कोई आगे की कार्रवाई नहीं हो रही है। नोटिस के फिर से वायरल होने के बाद मामला गरमा गया और छात्रों का विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था।
वाराणसी के मस्जिद प्रबंधन ने अपनी तर्क में क्या कहा है
मस्जिद प्रबंधन ने कॉलेज प्रशासन के दावे को नकारते हुए कहा है कि यह जमीन मस्जिद की है और इसका निर्माण 19वीं सदी में टोंक के नवाब ने कराया था। प्रबंधन ने कहा है कि वे मस्जिद से जुड़े कागजात को जमा करने में लगे हैं।
मस्जिद के पूर्व कार्यवाहक मोहम्मद नजीर ने बताया कि सन 1867 में अंग्रेजों द्वारा नवाब को सत्ता से हटाने और टोंक लौटने पर प्रतिबंध लगाने के बाद नवाब ने वाराणसी में दो मस्जिदें बनवाईं, जिनमें से एक कॉलेज परिसर में स्थित है। यह मस्जिद जिला मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूर है।
वर्तमान कार्यवाहक मोहम्मद आजम ने बताया कि आसपास के लोग यहां नियमित रूप से नमाज पढ़ते हैं, और शुक्रवार को यह संख्या 200 तक पहुंच जाती है। स्थानीय निवासी इसरार खान ने कॉलेज अधिकारियों पर जानबूझकर मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोकने का आरोप लगाया है।
वहीं, विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि वे परिसर में नमाज पढ़ने नहीं देंगे। यूपी कॉलेज छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष अभिषेक सिंह ने तर्क दिया कि मस्जिद में दोबारा से नमाज की अनुमति देने से छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ सकता है।