नई दिल्ली: नई सरकार के गठन के बाद संसद के पहले सत्र के दौरान एक नया विवाद पैदा हो गया है। दरअसल, समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने संसद में सेंगोल की जगह संविधान की प्रति रखने की मांग की है।
समाजवादी पार्टी के नेता आरके चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और प्रोटेम स्पीकर को चिट्ठी लिखकर संसद में लगे सेंगोल को हटाने को कहा है। लखनऊ की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से सांसद चौधरी ने सेंगोल को राजा महाराजाओं का प्रतीक बताया है।
चौधरी ने क्या तर्क दिया है
चौधरी ने तर्क दिया है कि ‘सेंगोल’ राजतंत्र का प्रतीक है जिसका का अर्थ ‘राज-दंड’ या ‘राजा का डंडा’ होता है। उन्होंने कहा है कि सेंगोल जो एक राजसी आदेश का प्रतीक है भारत के स्वतंत्रता के साथ समाप्त हो गया है। चौधरी ने सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या देश किसी राजा के डंडे से चलना चाहिए या फिर संविधान से चलना चाहिए।
कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने चौधरी का किया है समर्थन
चौधरी ने मांग की है कि संसद जो लोकतंत्र का एक मंदिर है वहां से सेंगोल को हटा देना चाहिए। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन सहित विपक्षी दलों ने सेंगोल के इर्द-गिर्द भाजपा की कहानी की आलोचना करते हुए चौधरी के रुख का समर्थन किया है।
मांग पर एनडीए ने भी प्रतिक्रिया दी है
सपा नेता ने सरकार पर संसदीय धर्मनिरपेक्षता को कमजोर करने और तमिलनाडु में राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। चौधरी की मांग पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने कड़ा एतराज जताया है। सत्तारूढ़ एनडीए सरकार ने विपक्ष पर भारतीय संस्कृति का अपमान करने का आरोप लगाया है।
पत्र में सपा सांसद ने क्या लिखा है
सपा सांसद ने पत्र में लिखा, ”मैं सदन की कुर्सी की दाईं ओर सेंगोल को देखकर हैरान रह गया। महोदय, हमारा संविधान भारत के लोकतंत्र का एक पवित्र दस्तावेज है, जबकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है।”
चौधरी ने आगे कहा है, “हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है, किसी राजा या राजघराने का महल नहीं है। मैं आग्रह करना चाहूंगा कि संसद भवन में सेंगोल हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित की जाए।”
अखिलेश यादव ने क्या कहा है
वहीं इस मामले पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हमारे सांसद आरके चौधरी ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब शपथ लेने गए थे तो प्रणाम नहीं किया था।
इसलिए चौधरी को यह भावना आई कि सेंगोल को संसद से हटाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को संसद में भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति लगाने में क्या दिक्कत है।
कब स्थापित हुआ था सेंगोल
सेंगोल का नाम तमिल शब्द ‘सेम्मई’ से लिया गया है जिसका अर्थ धार्मिकता होता है। इसकी स्थापना पीएम मोदी ने की थी। 28 मई 2023 को नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान इसे स्थापित किया गया था। सेंगोल को पीएम मोदी ने भारत और उसके प्राचीन परंपराओं की बीच की एक कड़ी बताया है।
क्या है सेंगोल का इतिहास
सन 1947 में जवाहरलाल नेहरू ने यह कहा था कि वे ब्रिटिश शासन द्वारा भारत छोड़ने के समय को यादगार बनाना चाहते हैं। ऐसे में सी राजगोपालाचारी ने सलाह दी थी कि पुरानी चोल परंपरा में जब एक राजा का राज्याभिषेक होता था तब उस समय एक राजदंड दिया जाता था।
उनकी सलाह पर मद्रास के वुम्मुडी बंगारू चेट्टी नामक एक जौहरी द्वारा एक महीने में सेंगोल को तैयार किया गया था। सेंगोल के तैयार होने के बाद 14 अगस्त को वायसराय माउंटबेटन ने राजदंड को तमिल पुजारियों को दिया था।
कांग्रेस ने क्या कहा था
इसके बाद तमिल पुजारियों द्वारा इसे शुद्ध किया गया था और फिर इसे जवाहरलाल नेहरू को उनके घर पर दिया था। नेहरू सेंगोल को संसद भवन ले गए थे जहां वे 14 और 15 अगस्त 1947 की आधी रात को अपना प्रसिद्ध भाषण दिया था।
हालांकि कांग्रेस ने इस बात से इंकार किया है कि जवाहरलाल नेहरू को सेंगोल दिया गया था। पार्टी का कहना है कि इस दावे से जुड़ा कोई भी सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके।
सेंगोल को मिली नई जगह
कई सालों से सेंनगोल इलाहाबाद संग्रहालय में रखा हुआ था और इसे नेहरू की ‘गोल्डन वॉकिंग स्टिक’ के रूप में जाना जाता था। इसके बारे में एक वीडियो सामने आने के बाद पीएम मोदी का ध्यान इस पर गया था और संग्रहालय से निकाल कर पारंपरिक तरीके से नए संसद में स्थापित किया था।
सेंगोल को बंगारू चेट्टी द्वारा 100 से अधिक सोने के सिक्कों से तैयार किया गया है।
राजद ने चौधरी की मांग को ठहराया है सही
समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने नए संसद भवन में लगे सेंगोल को हटाने की मांग पर राष्ट्रीय जनता दल की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। चौधरी की मांग को सही बताते हुए राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने अपना समर्थन दिया है।
सिंह ने कहा कि सेंगोल हमारा प्रतीक नहीं है। हमारा प्रतीक अशोक स्तंभ और बाबा भीम राव अम्बेडकर का संविधान है।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने क्या कहा है
इस मामले में आचार्य प्रमोद कृष्णम की भी प्रतक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि सपा और अखिलेश यादव का अगर वश चले तो सेंगोल को ही नहीं वह सनातन को भी हटा दें।
वे संविधान हटा सकते हैं, भारत की संसद को ही हटा सकते हैं। भारत की जिस संसद में बैठे हैं इसका इन्होंने बहिष्कार किया था। उन्होंने कहा कि संविधान तो बहाना है, ये लोग सनातन विरोधी हैं।
योगी ने इंडी गठबंधन पर साधा निशाना
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा के सेंगोल हटाने की मांग पर इंडी गठबंधन को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि यह तमिल संस्कृति के प्रति इंडी गठबंधन की नफरत को भी दिखाता है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सीएम योगी ने लिखा, ”समाजवादी पार्टी को भारतीय इतिहास या संस्कृति का कोई सम्मान नहीं है। सेंगोल पर उनके शीर्ष नेताओं की टिप्पणी निंदनीय है और उनकी अज्ञानता को दर्शाती है।”
सीएम योगी ने आगे लिखा, “यह विशेष रूप से तमिल संस्कृति के प्रति इंडी गठबंधन की नफरत को भी दर्शाती है। सेंगोल भारत का गौरव है और यह सम्मान की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में इसे सर्वोच्च सम्मान दिया है।”
रविशंकर प्रसाद ने भी दी है प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले पर भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद का भी बयान सामने आया है। उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को हिदायत देते हुए कहा कि उन्हें इतिहास पढ़ने की जरूरत है। इसके अलावा, सपा नेता आरके चौधरी की मांग पर कहा कि ये कुछ नहीं पब्लिक स्टंट है, जो उचित नहीं है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, “अखिलेश यादव को इतिहास पढ़ने की जरूरत है। यह सेंगोल धर्मदंड है। चोला साम्राज्य की परंपरा के दौरान जब एक राजा दूसरे राजा को कमान सौंपता था, तब से यह व्यवस्था चली रही आ रही है।”
प्रसाद ने आगे कहा, “सेंगोल का मतलब सत्ता का लोकतांत्रिक तरीके से हस्तांतरण और यह सेंगोल उस धार्मिक मर्यादा का परिचय था, जिसे आपको फॉलो करना है, इसलिए वो नेहरू जी ने स्वीकार किया था। इन लोगों को इतिहास के बारे में कुछ नहीं पता। पता नहीं ये लोग क्या बात करते हैं।”
शहजाद पूनावाला ने भी दी है प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी विपक्ष को घेरा है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी का लंबा चरित्र और इतिहास रहा है।
वो भारतीय सेना, भारत की संस्कृति और सनातन धर्म का लगातार अपमान करते आए हैं। रामचरित मानस को गाली देना, हिंदू धर्म को गाली देना और आज गाली देते हुए, सेंगोल जो भारतीय तमिल संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, उसको भी गालियां दी और अपमानित करने का काम किया है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ