चंडीगढ़: पंजाब के खरड़ जिले के जंडपुर गांव में प्रवासी श्रमिकों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। प्रवासियों के आवाजाही को सीमित करने और वे गांव में किस तरीके से रहेंगे, इसके लिए 11 किस्म के सख्त नियम जारी किए गए हैं।
गांव की ओर से जारी किए गए नियमों से प्रवासियों को काफी दिक्कत हो रही है जिससे वे वहां से कथित तौर पर पलायन कर रहे हैं। जंडपुर गांव में यह पहली घटना नहीं है बल्कि इससे पहले पंजाब के मोहाली के कुराली गांव में भी इस तरह की घटना घट चुकी है जहां पर प्रवासियों की प्रवेश पर बैन लगा दिया गया था।
दरअसल, यूपी बिहार से भारी संख्या में पंजाब में मजदूर जाते हैं और वहां पर काम करते हैं। ऐसे में राज्य के कुछ गांव वालों ने इन मजदूरों के रहन सहन और खान-पान पर सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ये मजदूर उनके माहौल को बिगाड़ रहे हैं इसलिए इन नियमों को लागू किया गया है।
इस मुद्दे पर गांव वालों का नगर निगम पार्षदों ने भी साथ दिया है और नियम को लागू करवाने में उनकी मदद की है। मामले के सामने आने के बाद पुलिस ने भी इस पर एक्शन लिया है।
गांव वालों ने प्रवासियों के लिए क्या बनाया है नियम
करीब 500 प्रवासियों सहित दो हजार आबादी वाले जंडपुर गांव ने बाहर से आए मजदूरों के लिए सख्त नियम जारी किए हैं। इन नियमों की लिस्ट को गांव के जगह-जगह पर साइनबोर्ड के जरिए लगाया गया है।
नियमों के अनुसार, गांव में रहने वाले प्रवासियों के रात के नौ बजे के बाद आवाजाही पर बैन लगा दिया गया है। यही नहीं उनके सार्वजनिक रूप से सिगरेट पीने, तंबाकू चबाने, पान और गुटखा खाने और सड़कों पर थूकने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
मकान मालिकों के लिए भी बने हैं नियम
इन प्रवासियों को किराए पर घर देने वाले मकान मालिकों के लिए भी नियम बनाए गए हैं। इन नियमों के जरिए मकान मालिकों को यह निर्देश दिया गया है कि प्रवासियों को घर किराए पर देते समय उन्हें कूड़ेदान भी उपलब्ध कराया जाए।
यही नहीं एक कमरे में दो से अधिक प्रवासियों के ठहरने पर भी बैन लगा दिया गया है। नियम में यह भी कहा गया है कि अगर कोई भी किराएदार किसी किस्म की अवैध गतिविधियों में शामिल होता है तो इसका जिम्मेदार मकान मालिक होगा।
गांव वालों का क्या है तर्क
नियम के अनुसार, प्रवासियों को यहां पर रहने के लिए पुलिस सत्यापन से अनिवार्य रूप से गुजरना पड़ेगा। यही नहीं प्रवासियों के आधे वस्त्र पहनकर घूमने पर भी बैन लगा दिया गया है। इन नियमों को बनाने वाले गांव वालों का कहना है कि प्रवासी अर्धनग्न होकर गांव में घूमते हैं जिससे यहां की महिलाएं असहज महसूस करती हैं।
यही नहीं कुछ गांव वालों ने प्रवासियों के पान और गुटखा खाकर गुरुद्वारे के बाहर सड़कों पर थूकने पर भी एतराज जताया है। उन्होंने कहा है कि प्रवासियों के ये हरकतें उनके धर्म के प्रति अपमानजनक लगता है।
नगर निगम पार्षद ने भी गांव वालों का दिया है साथ
नगर निगम पार्षद गोविंदर सिंह चीमा ने कहा है कि वे किसी के खिलाफ नहीं है और हम केवल यही चाहते हैं कि यहां पर अनुशासन बना रहे। उन्होंने यह भी कहा है कि उन लोगों ने यह पाया था कि यहां पर भारी संख्या में प्रवासी बिना पुलिस सत्यापन के रह रहे हैं।
इसे ध्यान में रखते हुए मजदूरों के लिए पुलिस से सत्यापन कराने को जरूरी कर दिया गया है। चीमा ने यह भी कहा है कि इन नियमों को केवल प्रवासियों के लिए ही नहीं लागू किया गया है बल्कि इसे स्थानियों के लिए भी जारी किया गया है ताकि उन में भी अनुशासन आए।
मोहाली के कुराली गांव वालों का क्या है तर्क
इस घटना से पहले पिछले महीने मोहाली के कुराली गांव में भी प्रवासियों को लेकर इसी तरीके का विवाद हुआ था। प्रवासियों के यहां पर रहने के लिए गांव वालों द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया था।
इसके तहत गांव में प्रवासियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था। यही नहीं मोहाली शहर से लगभग 45 मिनट की दूरी पर स्थित मुंडो संगतियान गांव में भी प्रवासियों को किराए पर घर देने पर बैन लगा दिया गया था।
मुंडो संगतियान गांव वालों का दावा था कि गांव में चोरी की घटनाओं को देखते हुए यह बैन लगाया गया था। उनका दावा था कि इन चोरियों में प्रवासियों के बच्चे शामिल थे।
पुलिस ने लिया एक्शन
मामले के सामने आने के बाद खरड़ पुलिस और वरिष्ठ प्रशासन अधिकारियों ने इसमें हस्तक्षेप किया है। ऐसे में पुलिस ने गांव वालों को इन नियमों में संशोधन करने को कहा है और इसे न केवल प्रवासियों के लिए बल्कि इसे सभी के लिए लागू करने पर जोर दिया गया है।
पुलिस अब गांव में शांति सुनिश्चित करने के लिए स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है।
पंजाब की अर्थव्यवस्था में प्रवासी मजदूरों का रोल
पिछले कुछ वर्षों में पंजाब में प्रवासी आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। 2011 की जनगणना के अनुसार, पंजाब में प्रवासियों की संख्या 13,735,616 बताई गई जो 2001 में 9,189,438 थी।
इस बढ़ोतरी से यह पता चलता है कि कैसे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में प्रवासी अपना योगदान दे रहे हैं। राज्य में वे कृषि, उद्योग और घरेलू कामों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान देते हैं।
पंजाब में प्रवासी श्रमिकों की सबसे बड़ी संख्या लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, मोहाली, बठिंडा, फगवाड़ा और होशियारपुर जैसे शहरों में पाई जाती है। इन शहरों के औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों में मांग के कारण ये क्षेत्र प्रवासी श्रमिकों के लिए प्रमुख केंद्र बन गए हैं।
साल 2011 में काम और रोजगार की तलाश में पंजाब जाने वाले प्रवासी श्रमिकों की संख्या 12,44,056 दर्ज की गई थी।