जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए भारतीय सेना क्यों लेना चाहती है किराए पर हेलीकॉप्टर

सर्विस प्रोभाइडरों या चयनित सिविल एजेंसियों को कहा गया है कि उन्हें पायलटों, चालक दल के सदस्यों और रखरखाव कर्मियों के साथ सिंगल इंजन वाला हेलीकॉप्टर प्रदान करें जो ऊंचाई वाले जगहों पर भी जाने में सक्षम हो।

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Why does Indian Army want to take helicopter on rent for Jammu-Kashmir and Ladakh?

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: भारतीय सेना देश की उत्तरी सीमाओं के लिए हेलीकॉप्टरों को किराए पर लेने की योजना बना रही है। इन हेलीकॉप्टरों को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जाएगा। इन क्षेत्रों में द्रास, कारगिल, बटालिक, डोडा, किश्तवाड़ और गुरेज जैसे ऊंचाई वाले जगह शामिल हैं।

सेना इन हेलीकॉप्टरों को ज्यादातर सर्दियों (नवंबर से अप्रैल के महीने) में किराए पर लेने का विचार कर रही है। इन्हें रसद, सैन्य परिवहन और हताहत निकासी जैसे कामों के लिए किराए पर लिया जाएगा।

आमतौर पर सेना हेलीकॉप्टरों को किराए पर नहीं लेती है। वह अपने हेलीकॉप्टरों पर ही भरोसा करती है। लेकिन अब उसे अपने कामों के लिए हेलीकॉप्टरों को किराए पर लेना पड़ रहा है। सेना के पास जो हेलीकॉप्टरें हैं वे पुरानी हो गए हैं और उन में से बहुत की उम्र 30 साल से भी अधिक हो गई है।

सेना के लिए चीता और चेतक जैसी हेलिकॉप्टरों का रख-रखाव कठिन होता जा रहा है। यही नहीं इनमे से कुछ तो अगले तीन सालों में रिटायर भी होने वाले है।

यही नहीं सेना का पुराने हो गए हेलीकॉप्टरों को स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) से बदलने की भी योजना है। इन सब कारणों के चलते सेना को इनकी भरपाई करने के लिए किराए पर हेलीकॉप्टरों को बुक करने की जरूरत पड़ रही है।

इस कारण भी सेना लेना चाहती है किराए पर हेलीकॉप्टर

हेलीकॉप्टरों को किराए पर लेकर सेना अपने बेड़े के बोझ को कम करना चाहती है। साथ ही इससे उसे अपनी हेलीकॉप्टरों के रखरखाव के लिए अधिक समय मिल जाएगा और इससे सेना के विमान और पायलटों का तनाव भी कम होगा।

सेना जिन हेलीकॉप्टरों को किराए पर लेना चाहती है वह सिंगल इंजन वाले हेलीकॉप्टर होंगे जो अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर भी आसानी से पहुंच जांएगे।

भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर जैसे चिनूक को ज्यादा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उड़ान भरने में दिक्कत होती है क्योंकि वहां पर उपयुक्त हेलीपैड नहीं होता है। सेना के पास अभी 190 चीता, चेतक और चीतल हेलिकॉप्टर हैं, जिनमें से लगभग 25 ऐसे हेलीकॉप्टर हैं जिन्हें किसी भी समय रखरखाव की जरूरत पड़ सकती है।

ऐसे में यहां पर किराए वाले हेलीकॉप्टर काम आएंगे। किराए पर लिए गए हेलीकॉप्टर आपूर्ति के लिए, सैनिकों और घायल कर्मियों को ले जाने साथ ही ऊंचाई वाली चौकियों से सैनिकों को शीघ्र हटाने में सेना की सहायता करेंगे।

डीएफपीडीएस-2021 के तहत किराए पर लिए जाएंगे हेलीकॉप्टर

इन हेलीकॉप्टरों को रक्षा सेवाओं को वित्तीय शक्तियों के प्रत्यायोजन (डीएफपीडीएस-2021) के जरिए किराए पर लिए जाएंगे। नडीएफपीडीएस-2021 को रक्षा में राजस्व खरीद के लिए बनाया गया है।

यह ढांचा कम समय और एमर्जेंसी में विमान और हेलीकॉप्टर को किराए पर लेने की इजाजत देता है। इससे पहले भारतीयवायु सेना ने भी डीएफपीडीएस-2021 के तहत आसमान के बीच में ईंधन भरने वाले विमानों को किराए पर लेने का विचार किया था।

हेलीकॉप्टरों को किराए पर लेने के लिए संभावित सर्विस प्रोभाइडरों को बोलियां लगाने के लिए आमंत्रित किया गया है। बोलियों के जरिए सर्विस प्रोभाइडरों से प्रति घंटे उड़ानों का दर और अतिरिक्त उड़ानों के प्रति घंटे चार्च को भी बतानो को कहा गया है।

सर्विस प्रोभाइडरों या चयनित सिविल एजेंसियों को कहा गया है कि उन्हें पायलटों, चालक दल के सदस्यों और रखरखाव कर्मियों के साथ सिंगल इंजन वाला हेलीकॉप्टर प्रदान करें जो ऊंचाई वाले जगहों पर भी जाने में सक्षम हो।

यही नहीं सर्विस प्रोभाइडरों से यह भी कहा गया है कि उन्हें एक लोकेशन पर ज्यादा से ज्यादा सिंगल इंजन वाली हेलीकॉप्टर प्रदान करें। इसके आलावा जरूरत के हिसाब से ऐसे हेलीकॉप्टरों की भी मांग की गई है जो कार्गो लोड, सैनिकों, घायल सैनिकों की निकासी कर सके।

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