पटना: जनता दल (यू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी. त्यागी के अपने पद से इस्तीफा देने को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। उन्होंने “निजी कारणों से” इस्तीफा देने की बात कही है।
रविवार को पार्टी के राष्ट्रीय सचिव आफाक अहमद खान ने के.सी. त्यागी के इस्तीफे की जानकारी देते हुए राजीव रंजन प्रसाद को नया प्रवक्ता बनाए जाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि यह फैसला पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार से मिले दिशा-निर्देशों के बाद लिया गया है।
सीएम नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाने वाले अनुभवी नेता के.सी. त्यागी ने पार्टी में लंबे समय तक विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। वह अक्सर कई समाचार चैनलों पर जदयू का पक्ष रखते दिखाई देते थे। उनकी भूमिका जदयू के विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के रुख को स्पष्ट के लिए उल्लेखनीय थी।
हालांकि, के.सी. त्यागी ने हाल ही में कई मुद्दों पर अपना रुख स्वतंत्र रखा था, जो कथित तौर पर पार्टी को पसंद नहीं आई थी क्योंकि जदयू से उनके विचार से अलग थे। हाल में कई मुद्दों पर त्यागी का स्टैंड एनडीए गठबंधन की सहयोगी के रूप में जदयू से टकराने लगे थे जिसके बाद उनका इस्तीफा सामने आया है।
2000 से पद संभाल रहे थे त्यागी
के.सी. त्यागी साल 2000 से जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद संभाल रहे थे। उन्होंने साल 2023 में केवल दो महीने का ब्रेक लिया था। इस्तीफे के बाद उन्होंने कहा है कि वे पिछले साल ही इस पद को छोड़ चुके थे लेकिन पार्टी ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया था और उन्हें आगे पद संभालने को कहा था।
एक अखबार से बात करते हुए त्यागी ने कहा कि पद को लेकर उनकी जिम्मेदारियां अधिक थी और अब समय आ गया है कि नई पीढ़ी इस पद को संभाले। पद छोड़ने के बावजूद, त्यागी ने कहा कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी के लिए प्रतिबद्ध हैं और पार्टी के राजनीतिक सलाहकार के रूप में काम करना जारी रखेंगे।
सूत्रों ने यह बताया है कि जदयू पर भाजपा की ओर से त्यागी को निकालने का कोई भी दबाव नहीं था। यह पार्टी का फैसला था कि वे अब इस पद से इस्तीफा दे दें।
इसलिए त्यागी ने छोड़ा होगा पद
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एससी-एसटी आरक्षण मुद्दा, समान नागरिक संहिता (यूसीसी), जाति जनगणना, यूपीएससी में लेटरल एंट्री और इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर त्यागी के विचार पार्टी के आधिकारिक बयान से अलग थे। उनका रुख इंडिया गठबंधन के नेताओं के रुख जैसा था।
त्यागी ने कई मौकों पर पार्टी नेतृत्व या अन्य वरिष्ठ नेताओं से परामर्श किए बिना कई बयान जारी किए थे। यही नहीं उन्होंने कई मौकों पर पार्टी लाइन से हटकर भी बयान दिया था। इन सभी कारणों के चलते उन्हें लेकर पार्टी के भीतर असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
कई मुद्दों पर पार्टी से अलग रुख रखते दिखे थे त्यागी
पहलवान विनेश फोगाट के पेरिस ओलंपिक 2024 में पदक से चूकने पर त्यागी ने बयान दिया था। उनका बयान कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा के बयान से मिलता जुलता था।
लोकसभा चुनाव नतीजों के तुरंत बाद जहां एनडीए सहयोगियों के बीच सरकार बनाने को लेकर चर्चा हो रही थी जिसमें जदयू भी शामिल था, उस समय त्यागी ने बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग की थी और अग्निपथ योजना की समस्याओं पर पार्टी की स्थिति को स्पष्ट की थी।
संयुक्त बयान के बाद रिश्तों में आई थी दरार-दावा
इजराइल और हमास युद्ध के मुद्दे पर त्यागी ने विपक्ष के नेताओं के साथ एक लंच का आयोजन किया था और इसे लेकर चर्चा की गई थी। लंच के बाद त्यागी ने संयुक्त बयान जारी कर भारत से इजराइल को हथियारों की बिक्री रोकने की मांग की थी।
त्यागी के इस संयुक्त बयान से पार्टी कथित तौर पर काफी असहज महसूस की थी। दावा है कि इसके बाद से पार्टी और उनके रिश्तों के बीच दरार पड़ गई थी।
त्यागे के पद छोड़ने को कैसे देख रहे हैं पार्टी के नेता
जदयू एक तरफ जहां एनडीए गठबंधन में खुद को एक प्रमुख सहयोगी के रूप में पेश करने की कोशिश करते हुए अपनी स्थिति को संतुलित करते हुए नजर आ रही है। वहीं त्यागी का हालिया स्टैंड पार्टी के रुख और विचारधारा से टकराने लगे थे।
देश विदेश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी का बचाव करने की क्षमता रखने वाले त्यागी के जदयू छोड़ने से पार्टी के भीतर कई लोग त्यागी के जाने को एक महत्वपूर्ण क्षति के रूप में देख रहे हैं।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ