Mayawati removed nephew Akash Anand from the post of National Coordinator and her 'political successor', what is the big reason behind this?
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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने मंगलवार देर रात अपने भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपने 'राजनीतिक उत्तराधिकारी' पद से हटाने की घोषणा कर दी। तीसरे चरण के मतदान खत्म होने के बाद मायावती ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारीर दी कि आकाश आनंद को दोनों अहम पदों हटा दिया गया है।
मायावती ने एक्स पर लिखा- बसपा एक पार्टी के साथ ही बाबा साहेब डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान तथा सामाजिक परिवर्तन का भी मूवमेन्ट है, जिसके लिए माननीय श्री कांशीराम जी व मैंने खुद भी अपनी पूरी जिन्दगी समर्पित की है और इसे गति देने के लिए नई पीढ़ी को भी तैयार किया जा रहा है।
उन्होंने आगे लिखा, "इसी क्रम में पार्टी में, अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही मैंने आकाश आनंद को नेशनल कोओर्डिनेटर व अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, किन्तु पार्टी व मूवमेन्ट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है।" मायावती ने कहा, इनके पिता आनंंद कुमार पार्टी व मूवमेन्ट में अपनी जिम्मेदारी पहले की तरह निभाते रहेंग।
आकाश आनंद को दोनों पदों से मुक्त करने की क्या रही वजहें?
आकाश आनंद को साल 2019 में नेशनल कोऑर्डिनेटर और दिसंबर 2023 में मायावती ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। आकाश आनंद को पार्टी में कई जिम्मेदारियां दी गईं। उन्हें अलग-अलग राज्यों में पार्टी संगठन को मजबूत करने के साथ यूपी में युवाओं (खासकर दलित युवाओं) को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी दी गई। क्योंकि भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के राजनीतिक उभार से बसपा को उसका कोर वोटबैंक खिसकता नजर आ रहा था। साल 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा को जहां 30.43 प्रतिशत वोट मिले थे, वह 2022 के विधानसभा चुनाव में घटकर 12.88 प्रतिशत रह गया।
सवाल यह है कि लोकसभा चुनाव के बीच मायावती ने आनंद के खिलाफ इतना बड़ा ऐक्शन क्यों लिया। महज 5 महीने के भीतर ही मायावती ने आकाश को राजनीतिक उत्तराधिकारी पद से क्यों हटा दिया? जबकि अपने समर्थकों के बीच उनकी रैलियों की काफी डिमांड थी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसकी कई वजहें हैं जिसमें एक बड़ी वजह आकाश का आक्रामक तेवर।
पिछली कुछ रैलियों में आकाश भाजपा सरकार को लेकर काफी आक्रामक नजर आए थे। इन रैलियों में कथित तौर पर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया था जिसको लेकर उनपर मुकदमे दर्ज हुए। उनकी दो रैलियां रद्द कर दी गईं।
28 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आकाश आनंद ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए उसे 'गद्दारों की सरकार' कहा था। साथ ही जूता मारने जैसे शब्द का प्रयोग किया था। संबंधित वीडियो में आनंद को यह कहते हुए सुना गया, “यह सरकार एक बुलडोजर सरकार और गद्दारों की सरकार है। जो पार्टी अपने युवाओं को भूखा छोड़ती है और बुजुर्गों को गुलाम बनाती है वह आतंकवादी सरकार है। अफगानिस्तान में तालिबान ऐसी सरकार चलाता है।'' उन्होंने आगे आरोप लगाया कि केंद्र में सत्तारूढ़ भगवा पार्टी 'चोरों की पार्टी' है, जिसने चुनावी बांड के माध्यम से 16,000 करोड़ रुपये लिए।
आकाश के भाषण की वजह से सीतापुर के प्रत्याशी महेंद्र सिंह यादव समेत बसपा के कई नेताओं पर केस दर्ज हुए। जिसमें पार्टी के जिलाध्यक्ष विकास राजवंशी, धौरहरा के प्रत्याशी श्याम किशोर अवस्थी, लखीमपुर के प्रत्याशी अंशय कालरा शामिल हैं। मुकदमे के बाद आकाश आनंद की 1 मई को ओरैया और हमीरपुर में दो रैलियां होने वाली थीं जो रद्द कर दी गईं।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मामला दर्ज होने के बाद, आनंद दिल्ली लौट आए और विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में उनकी सभी आगामी रैलियां रद्द कर दी गईं।
इसकी वजह आकाश आनंद का बीमार होना बताया गया लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो चुनावी रैलियों में आकाश जिस तरह के आक्रामक तेवर दिखा रहे थे, मायावती उससे खुश नहीं थीं। बीबीसी ने बसपा के औरेया जिला अध्यक्ष कमल कुमार ने हवाले से लिखा है कि पार्टी नेतृत्व के निर्देशों के बाद ही तय सभा को रद्द किया गया था।
एक स्थानीय नेता के हवाले से बीबीसी लिखता है- 'आकाश आनंद जिस लहजे में बात करते हैं और बहन जी जिस तरह पार्टी चलाती हैं, वो उससे मेल नहीं खाता है। अपने विरोधियों की आलोचना करना एक बात है, लेकिन इतना आक्रमक होना बीएसपी प्रमुख को पसंद नहीं आया होगा।' वहीं आजतक के मुताबिक, मायावती आकाश आनंद की छवि को साफ रखना चाहती हैं। मायावती किसी सूरत में अपने भविष्य की विरासत को केस मुकदमों में फंसा नहीं देखना चाहती थीं।
अक्रामक तेवर और मुकदमे ही वजह नहीं हैं। कहा जा रहा है कि आकाश आनंद के भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर के खिलाफ भी बोलना मायावती को पसंद नहीं था। गौरतलब है कि आकाश आनंद ने बसपा की जनसभाओं की शुरुआत नगीना लोकसभा सीट से की थी। नगीना में आकाश आनंद ने चंद्रशेखर आजाद का बिना नाम लिए उनपर हमला बोला था। आकाश ने कहा था कि "वह हमारे लोगों को उतारकर लड़ाई लड़ने की बात करते हैं, लेकिन अपना मुकद्दर बनाने के बाद लोगों को छोड़कर चले जाते हैं।" गौरतलब है कि चंद्रशेखर नगीना से चुनाव लड़ रहे हैं।
कौन हैं आकाश आनंद?
मायातवती के भतीजे आकाश आनंद ने 2017 में 22 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया था। आकाश मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। उन्होंने ब्रिटेन से एमबीए की पढ़ाई पूरी की है। उनकी राजनीतिक शुरुआत यूपी के सहारनपुर में एक रैली में मायावती के साथ हुई थी। वे अखिलेश यादव और अजीत सिंह के साथ मंच साझा कर चुके हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, 16 अप्रैल 2019 को उन्होंने आगरा के कोठी मीना बाजार मैदान में अपनी पहली रैली को संबोधित किया। बसपा उस समय सपा के अखिलेश यादव और मायावती के नेतृत्व वाले अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल के साथ बने महागठबंधन का हिस्सा थी।
जून 2019 की पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आनंद को पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया था। वहीं दिसंबर 2023 में लखनऊ में पार्टी पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आनंद को उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। लाइवमिंट के अनुसार, आनंद को 2022 यूपी विधानसभा चुनाव के अभियान के दौरान पार्टी के सोशल मीडिया को संभालने का काम सौंपा गया था।