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नई दिल्ली: भारत और बांग्लदेश के बीच सीमा पर बाड़ लगाने (बॉर्डर फेंसिंग) के मुद्दे पर दोनों देशों में तनाव बढ़ता जा रहा है। भारत ने सोमवार को बांग्लादेश के उप उच्चायुक्त नूरल इस्लाम को तलब किया। इससे एक दिन पहले बांग्लादेश ने ढाका में भारतीय राजनयिक प्रणय वर्मा को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तलब किया था।
यह पूरा विवाद फिलहाल पश्चिम बंगाल में मालदा के बैष्णबनगर के सुकदेवपुर में चल रहे बॉर्डर फेंसिंग से जुड़ा है। ढाका में प्रणय वर्मा ने बांग्लादेश के विदेश सचिव मोहम्मद जशिम उद्दीन से मुलाकात की थी।
#WATCH | Delhi: Nural Islam, Deputy High Commissioner of Bangladesh to India leaves from South Block after he was summoned by the Ministry of External Affairs
More details awaited. pic.twitter.com/WlF3UIArrR
— ANI (@ANI) January 13, 2025
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा था, 'सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सीमा पर बाड़ लगाने के संबंध में हमारी आपसी समझ है और दोनों सीमा बल, बीएसएफ और बीजीबी (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) नियमित संपर्क में हैं।'
उन्होंने आगे कहा था, 'हम उम्मीद करते हैं कि इस समझ को लागू किया जाएगा और सीमा पर अपराधों से निपटने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।'
बांग्लादेश का क्या कहना है?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रविवार की बैठक में जाशिम उद्दीन ने प्रणय वर्मा के साथ मीटिंग में गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इस बात पर जोर दिया कि बीएसएफ की गतिविधियों, खासतौर पर कांटेदार तार की बाड़ लगाने के प्रयास ने सीमा पर तनाव और गड़बड़ी पैदा की है।
बैठक के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय द्वारा प्रकाशित एक बयान में कहा गया, 'हाल ही में बीएसएफ द्वारा सुनामगंज में एक बांग्लादेशी नागरिक की हत्या का जिक्र करते हुए, विदेश सचिव ने सीमा पर हत्याओं की ऐसी पुनरावृत्ति पर गहरी चिंता और निराशा व्यक्त की।'
वहीं, बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार के कार्यकाल में हुए कुछ समझौतों के कारण भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा से जुड़े कई मुद्दों पर तनाव हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन समझौतों ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर कई जटिलताएं पैदा कर दी हैं।
फेंसिंग को लेकर कैसे बढ़ा तनाव?
भारत में बांग्लादेश की ओर से होने वाली घुसपैठ और तस्करी को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच पिछले हफ्ते तनाव बढ़ा था। दरअसल, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को मालदा के बैष्णबनगर के सुकदेवपुर में कांटेदार तार की बाड़ लगाने का प्रयास करते समय बीजीबी की आपत्तियों का सामना करना पड़ा।
हालांकि बाड़ लगाने का काम मंगलवार को कुछ समय के लिए फिर से शुरू हुआ, लेकिन दोनों सेनाओं के बीच एक फ्लैग मीटिंग के बाद इसे फिर से रोक दिया गया और तब से यह रूका हुआ है।
वहीं, बांग्लादेश के कुछ रिपोर्ट के अनुसार बीएसएफ ने कथित तौर पर 23 साल के सैदुल इस्लाम को पिछले बुधवार को सुनामगंज में सीमा पर गोली मार दी थी। वह कथित तौर पर अवैध रूप से भारत में सुपारी ले जा रहा था। रिपोर्ट के अनुसार बीजीबी ने इस्लाम को निकाल लिया था लेकिन बाद में एक स्थानीय अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया।
इसके बाद गुरुवार रात पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में भारत-बांग्लादेश सीमा पर मवेशी तस्करों ने कथित तौर पर बीएसएफ जवानों पर हमला कर दिया। बाद में एक बयान में बीएसएफ ने कहा कि जवाबी कार्रवाई में, उसने उनकी तस्करी के प्रयास को सफलतापूर्वक रोक दिया और 10 बैल बरामद किए। यह घटना खुटादह सीमा चौकी (बीओपी) पर हुई और बीएसएफ को बांग्लादेशी तस्करों के खिलाफ चेतावनी के तौर पर कई राउंड फायरिंग करनी पड़ी।
फेंसिंग पर बांग्लादेश क्यों जता रहा आपत्ति
पश्चिम बंगाल की बांग्लादेश के साथ 2,216 किमी लंबी सीमा है, जिसका करीब 20% हिस्सा बिना बाड़ के है। इस वजह से यहां अवैध रूप से सीमा पार करने और तस्करी जैसी गतिविधियों का खतरा बना रहता है। मालदा से लगने वाली सीमा के 172 किमी में से लगभग 27 किमी में उचित बाड़ नहीं है। मौजूदा विवाद बैष्णबनगर गांव में 1,200 मीटर बिना बाड़ वाले क्षेत्र में फेंसिंग को लेकर है।
बांग्लादेश का कहना है कि बाड़ लगाना अंतरराष्ट्रीय कानून और द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है। साथ ही वह ये भी कहता है कि बाड़ लगाने से दोनों देशों के बीच सहयोग और मैत्रीपूर्ण संबंधों की भावना कमजोर होती है।
बांग्लादेश का आरोप है कि भारत ने फेंसिंग को लेकर सीमा पर हुए पुराने समझौतों का उल्लंघन किया है। उसका दावा है कि 1975 के एक समझौते के मुताबिक, जीरो लाइन से 150 गज के अंदर कोई भी निर्माण कार्य बिना दोनों देशों की सहमति के नहीं हो सकता।
बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम के अनुसार 1974 के एक और समझौते के तहत बांग्लादेश ने संसदीय अनुमोदन के बाद बेरुबारी को भारत को सौंप दिया। बदले में भारत को बांग्लादेश को तीन बीघा कॉरिडोर तक पहुंच प्रदान करनी थी। हालांकि, भारत ने इस प्रतिबद्धता को पूरा नहीं किया।
जहांगीर आलम आरोप लगाते हैं कि भारत गलियारे को एक घंटे के लिए खोलता था और फिर इसे दूसरे घंटे के लिए बंद कर देता था। बाद में, 2010 में, गलियारे को 24 घंटे खुला रखने के लिए एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। हालाँकि, इस समझौते में भारत को अंगारपोटा में जीरो लाइन पर बाड़ बनाने की भी अनुमति मिल गई। आलम ने कहा, 'अब हमें इस निर्माण का विरोध करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि बांग्लादेश ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।'
कई बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार 2009 और 2024 के बीच शेख हसीना के शासन के दौरान नई दिल्ली और ढाका के बीच हुए कुछ द्विपक्षीय समझौतों की समीक्षा करना चाहती है। इनका मानना है कि इन समझौतों में भारत को ज्यादा छूट दी गई है।