UPPSC के अभ्यर्थी क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन...क्या है मामला और इनकी मांगे?

छात्र नॉर्मलाइजेशन व्यवस्था के भी खिलाफ हैं और वे इसे लागू होने को लेकर भी विरोध कर रहे हैं। यह व्यवस्था तब लागू होती है जब कोई परीक्षा एक से अधिक दिन या फिर अधिक शिफ्ट में होती है।

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Why are UPPSC candidates protesting in uttar pradesh what is matter and their demands

UPPSC के अभ्यर्थी क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन...क्या है मामला और इनकी मांगे? (फोटो- IANS)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी-UPPSC) के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन बुधवार को भी जारी है। सोमवार से प्रदर्शन कर रहे छात्र पीसीएस प्री और आरओ एआरओ की परीक्षा को दो दिन और दो शिफ्ट में कराए जाने का विरोध कर रहे हैं।

छात्र सोमवार से आयोग के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं जिन पर पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया था। प्रदर्शन कर रहे छात्रों में छात्राएं भी शामिल हैं। प्रदर्शनकारी सोमवार रात को आयोग के दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया है और जो लोग वापस चले गए थे वे मंगलवार की सुबह प्रदर्शन में हिस्सा लिए थे।

विरोध कर रहे छात्रों की मांग है कि ये परीक्षाएं पहले की तरह एक दिन और एक ही शिफ्ट में ही कराए जाए। यही नहीं वे नॉर्मलाइजेशन व्यवस्था लागू होने को लेकर भी विरोध कर रहे हैं।

छात्रों की मांग है कि यूपीपीएससी की परीक्षा नोटिफिकेशन के आधार पर होनी चाहिए और जब तक उनकी मांगी पूरी नहीं होगी, उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध को देखते हुए यूपीपीएससी के अधिकारियों और पुलिस की सोमवार रात को एक बैठक हुई थी लेकिन उसमें कोई समाधान नहीं निकला है।

क्या है यूपीपीएससी परीक्षा का पूरा मामला

जनसत्ता की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक जनवरी 2024 को यूपीपीएससी ने प्री परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी किया था और इसकी परीक्षा 17 मार्च को होने वाली थी लेकिन इसे स्थगित कर दिया गया था।

यही नहीं यूपीएससी की समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी की परीक्षा भी 11 फरवरी को होने वाली लेकिन वह भी पेपर लीक के चलते टाल दिया गया था। मामले में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद सीएम योगी ने छह महीने के भीतर दोबारा परीक्षा कराने की बात कही थी।

छह महीने बीत जाने के बाद भी परीक्षा का ऐलान नहीं हुआ था और पुलिस जांच जारी थी जिसमें से कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई थी। इसके कुछ दिन बाद यूपी सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर अक्टूबर में परीक्षा कराने की बात कही थी लेकिन वह भी नहीं हुआ था।

इसके बाद यूपीपीएससी ने पांच नवंबर को समीक्षा अधिकारी (आरओ) और सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) को दो दिन में यानी 22 और 23 दिसंबर को तीन शिफ्ट में परीक्षा आयोजित कराने का ऐलान किया था।

इसके साथ ही प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) की प्रारंभिक परीक्षाओं को सात और आठ नवंबर को दो शिफ्ट में आयोजित करने का फैसला लिया गया था।

ऐसे में यूपीपीएससी के इस फैसले पर छात्रों ने असहमतति जताई है और इसका वे विरोध कर रहे हैं। वे आयोग को पहले की तरह इन परीक्षाओं को एक ही दिन आयोजित कराने की मांग कर रहे हैं। इसके विरोध में छात्रों ने आयोग के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया है और कैंडल मार्च भी निकाला है।

क्या है परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन की व्यवस्था

छात्र नॉर्मलाइजेशन व्यवस्था के भी खिलाफ हैं और वे इसे लागू होने को लेकर भी विरोध कर रहे हैं। यह व्यवस्था तब लागू होती है जब कोई परीक्षा एक से अधिक दिन या फिर अधिक शिफ्ट में होती है।

एक से अधिक दिन और शिफ्ट में परीक्षा होने को लेकर ऐसा माना जाता है कि परीक्षा पेपर सरल या फिर कठिन आ सकता है जिससे अभ्यर्थियों के अंक घट या फिर बढ़ भी सकते हैं।

नॉर्मलाइजेशन व्यवस्था के फॉर्मूला में मान लिए एक परीक्षा में कठिन पेपर आया है और दूसरी परीक्षा में सरल पेपर आ गया है। इस सूरत में फॉर्मूला के तहत सरल परीक्षा वाले अभ्यर्थियों के अंकों को बढ़ा दिया जाएगा ताकि कठिन और सरल पेपर वाले अभ्यर्थी एक ही पैमाने पर आ जाएं।

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मामले में यूपीपीएससी ने क्या कहा है

न्यूज एजेंसी पीटीआई को यूपीपीएससी सचिव अशोक कुमार ने बताया है कि नियम के अनुसार, छात्रों की सुरक्षा और संभावित पेपर लीक की चिंताओं को देखते और निजी संस्थानों से परहेज करते हुए, जिला मुख्यालय के 10 किलोमीटर के दायरे में केवल सरकारी संस्थानों को परीक्षा केंद्र के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

कुमार ने कहा है कि पीसीएस परीक्षा के लिए 576,000 उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया है, लेकिन उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में केवल 435,000 उम्मीदवारों के लिए परीक्षा केंद्र हैं। ऐसे में इसी देखते हुए एक ही दिन में दोनों परीक्षाएं आयोजित करना असंभव होगा।

इससे पहले सोमवार को आयोग के प्रवक्ता ने कहा था कि आयोग की परीक्षाओं की शुचिता एवं छात्रों के भविष्य को संरक्षित करने के उद्देश्य से परीक्षाएं केवल उन केंद्रों पर कराई जा रही हैं, जहां किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी की कोई संभावना नहीं है।

पूर्व में दूर-दराज के परीक्षा केंद्रों में कई प्रकार की गड़बड़ियां संज्ञान में आई हैं, जिससे योग्य छात्रों का भविष्य अनिश्चित बन जाता है। इसे खत्म करने के लिए एवं संपूर्ण परीक्षा मेरिट के आधार पर संपन्न कराने के लिए इन केंद्रों को हटाया गया है।

प्रवक्ता ने आगे कहा था कि परीक्षाओं के संबंध में अभ्यर्थियों ने आयोग को पत्र भेजकर बताया है कि कुछ टेलीग्राम चैनलों एवं यू ट्यूबर्स द्वारा परीक्षा को टलवाने की साजिश की जा रही है।

ये चैनल नॉर्मलाइजेशन को लेकर भ्रम फैला रहे हैं और उम्मीदवारों को गुमराह कर रहे हैं। अनेक अभ्यर्थी जिनके लिए यह परीक्षा और समय दोनों ही बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, आयोग के इस निर्णय का समर्थन करते हैं।

प्रवक्ता ने यह भी कहा कि सरकार एवं आयोग की मंशा छात्र हितों को संरक्षित करना एवं मेरिट के आधार पर चयन सुनिश्चित करना है। चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी एवं छात्र हितों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई है। इस संबंध में अभ्यर्थियों को सभी आवश्यक जानकारी भी दी जा रही है।

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