नई दिल्लीः दिल्ली के तिहाड़ जेल से आने के बाद दो दिन बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान कर सबको चौंका दिया। पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि वह दो दिन बाद दिल्ली के सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे। केजरीवाल ने यह घोषणा दिल्ली शराब नीति में हुए कथित घोटाले के आरोप में जेल से बाहर निकलने के दो दिन बाद की है।
केजरीवाल ने कहा कि वह कुर्सी पर तब तक नहीं बैठेंगे जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती। उन्होंने मंच से यह भी साफ कर दिया कि मनीष सिसोदिया भी दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। न ही डिप्टी सीएम और शिक्षामंत्री का पद संभालेंगे जब तक कि दिल्ली की जनता ईमानदारी का प्रमाणपत्र नहीं दे देती।
केजरीवाल ने कहा, मैं हर घर और गली में जाऊंगा और जब तक जनता का फैसला नहीं आ जाता, तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। उन्होंने कहा कि दो दिन बाद विधायक दल की बैठक होगी और मुख्यमंत्री के नाम को तय किया जाएगा।
ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली की कुर्सी कौन संभालेगा? रेस में सबसे आगे आतिशी चल रही हैं। महिला चेहरा और पिछले 6 महीने से वह आप का सारा कामकाज संभाल रही हैं। इसके इलावा सौरव भारद्वाजा और गोपाल राय का भी नाम हो सकता है।
अतिशी
अतिशी पहली बार 2020 में दिल्ली विधानसभा के लिए चुनी गईं। उन्होंने मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर दिल्ली के स्कूलों और शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए काम किया है। वह आम आदमी पार्टी की सबसे मुखर नेताओं में से एक मानी जाती हैं।
अतिशी ने ऑक्सफोर्ड से इतिहास में मास्टर्स और रोड्स स्कॉलरशिप प्राप्त की है। वह “इंडिया अगेंस्ट करप्शन” आंदोलन के जरिए राजनीति में आईं। वर्तमान में वह दिल्ली सरकार में शिक्षा, उच्च शिक्षा, वित्त, योजना, लोक निर्माण विभाग, जल, बिजली, सेवाएं, सतर्कता और जनसंपर्क जैसे विभागों की मंत्री हैं। सिसोदिया की सलाहकार के रूप में उन्होंने दिल्ली की शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही वह दिल्ली विधानसभा की शिक्षा पर स्थायी समिति की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
केजरीवाल के बाद सीएम कौन बनेगा के सवाल पर आतिशी ने कहा कि यह विधायक दल तय करेगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण यह नहीं है कि कौन सीएम होगा, महत्वपूर्ण यह है कि जब तक आप की सरकार रहेगी वह दिल्ली की जनता के लिए काम करती रहेगी।
सौरभ भारद्वाज
दिल्ली के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री, सौरभ भारद्वाज, मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवारों में से एक हैं। पहली बार वह 2013 में 49-दिवसीय आप सरकार के दौरान विधानसभा के लिए चुने गए, जहां उन्हें खाद्य आपूर्ति, परिवहन, पर्यावरण, और सामान्य प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिए गए थे। हालांकि, उस समय सरकार गिर गई।
2015 के विधानसभा चुनावों में आप ने उन्हें फिर से ग्रेटर कैलाश सीट से उम्मीदवार बनाया और वह विजयी हुए। उन्होंने 2013 में भाजपा के अजय कुमार मल्होत्रा को और 2015 में भाजपा के राकेश कुमार गुलैया को हराया।
आप में शामिल होने से पहले, सौरभ भारद्वाज ने जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गुरुग्राम में काम किया और अपने करियर की शुरुआत सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में इन्वेन्सिस (अब श्नाइडर इलेक्ट्रिक), हैदराबाद से की।
गोपाल राय
गोपाल राय वर्तमान में दिल्ली सरकार में पर्यावरण, वन और वन्यजीव, विकास और सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर किया है और छात्र नेता के रूप में लखनऊ में कॉलेज परिसरों में अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ कई अभियानों का हिस्सा रहे हैं। एक अभियान के दौरान उन्हें गोली लगने के कारण उनका एक हाथ आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गया था। गोपाल राय के मंत्रालय को दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के फैसले का श्रेय दिया जाता है।
48 घंटे का समय रहस्य में डूबा हुआ
उधर भाजपा ने केजरीवाल से दो दिन बाद अपने पद से इस्तीफा देने के फैसले पर सवाल उठाया। सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने (अरविंद केजरीवाल) जो 48 घंटे का समय मांगा है, वह रहस्य में डूबा हुआ है कि वह किस लिए प्रतिस्थापन की तलाश कर रहे हैं या कुछ नियुक्तियां करने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा सांसद ने कहा, “आप बाहर आने के बाद इस्तीफा देने की बात क्यों कर रहे हैं और 48 घंटे बाद क्या मामला है? देश और दिल्ली की जनता जानना चाहती है कि 48 घंटे का राज क्या है, 48 घंटे में क्या-क्या निपटाना है?”
सुधांशु ने आगे कहा कि यह एक ऐसे मुख्यमंत्री के लिए हास्यास्पद है, जिसके पास विधानसभा में भारी बहुमत है। अगर उनके इरादों और उनकी बातों में थोड़ी भी सच्चाई है, तो उन्हें कैबिनेट की बैठक बुलानी चाहिए, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करनी चाहिए।
कांग्रेस की अपनी हैं मुश्किलें!
अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे वाली बात के साथ यह मांग की है कि दिल्ली में फरवरी की जगह नवंबर में ही चुनाव कराए जाएं। ऐसे में कांग्रेस के लिए अब मुश्किल खड़ी हो गई है। राष्ट्रीय स्तर पर आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन है। लोकसभा चुनाव भी दोनों पार्टियां साथ में लड़ीं। अब सवाल उठ रहा कि क्या आप, कांग्रेस पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव लड़ेगी या दोनों के रास्ते अलग हो जाएंगे?
‘केजरीवाल का इस्तीफा महज एक नौटंकी’
हालांकि कांग्रेस ने केजरीवाल के दो दिन बाद इस्तीफे वाली बात को नौटंकी करार दिया है। सीएम अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने के एलान पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि दोबारा सीएम बनने का सवाल ही नहीं उठता। यह महज एक नौटंकी है। ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई निर्वाचित नेता जमानत पर जेल से बाहर आया हो और उसे सुप्रीम कोर्ट ने CMO न जाने और किसी भी कागज पर हस्ताक्षर न करने को कहा हो। शायद सुप्रीम कोर्ट को भी डर है कि यह व्यक्ति सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर सकता है।
अंग्रेजों ने भी नहीं सोचा होगा कि उनसे भी ज्यादा क्रूर शासक आएगा
केजरीवाल ने कहा कि मैंने देश के जनतंत्र को बचाने के लिए इस्तीफा नहीं दिया। चुनाव हारने पर मुख्यमंत्री पर झूठे केस किए। जेल ने हौसले को बढ़ा दिया। जेल के अंदर से सरकार चल सकती है। अगर पीएम मोदी अब किसी को जेल में डाले तो इस्तीफा मत देना। हमारे लिए संविधान और देश को बचाना जरूरी है।
अरविंद केजरीवाल ने इस दौरान भाजपा पर उन्हें कथित तौर पर जेल भेजने का आरोप लगाते हुए कहा कि अंग्रेजों ने भी नहीं सोचा होगा कि आजादी के 75 साल बाद उनसे भी ज्यादा क्रूर शासक आएगा। एएनआई के अनुसार अरविंद केजरीवाल ने कहा, “भगत सिंह की शहादत के बाद मिली आजादी के 75 साल बाद एक क्रांतिकारी सीएम जेल गया।
केजरीवाल ने कहा कि मैंने जेल से सिर्फ एक चिट्ठी लिखी थी और वह एलजी को थी कि मैं जेल में हूं और मेरी जगह आतिशी को झंडा फहराने की इजाजत दी जाए। मेरी चिट्ठी उन तक नहीं पहुंची और इसके बजाय मुझे चेतावनी दी गई कि अगर मैंने दोबारा लिखा तो मुझे अपने परिवार से नहीं मिलने दिया जाएगा। यहां तक कि अंग्रेजों ने भी नहीं सोचा था कि आजाद भारत में अंग्रेजों से बड़ा कोई तानाशाह इस देश में आएगा। यहां तक कि अंग्रेजों ने भी नहीं सोचा होगा कि उनसे भी ज्यादा क्रूर शासक आएगा।”