कौन थी महिला नक्सली गुम्माडिवेली रेणुका जिसका 28 साल बाद हुआ अंत? 45 लाख का था इनाम

यह सफलता सुरक्षा बलों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि रेणुका नक्सली संगठन में एक प्रमुख नेता थी और उसकी गिरफ्तारी के लिए राज्य सरकारों द्वारा इनाम घोषित किया गया था।

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Photograph: (AI)

दंतेवाड़ाः दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और बस्तर फाइटर्स ने एक मुठभेड़ के दौरान 45 लाख रुपये की इनामी महिला नक्सली गुम्माडिवेली रेणुका उर्फ भानु उर्फ चैते उर्फ सरस्वती उर्फ दमयंती को मार गिराया। रेणुका पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 25 लाख और तेलंगाना सरकार द्वारा 20 लाख रुपये का इनाम घोषित था। वह प्रतिबंधित नक्सली संगठन सीपीआई (माओवादी) की सेंट्रल रीजनल ब्यूरो (सीआरबी) की प्रेस टीम इंचार्ज और प्रभात पत्रिका की संपादक के रूप में कार्यरत थी। 

यह मुठभेड़ दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले की सीमा से लगे नेलगोड़ा, इकेली और बेलनार गांवों के जंगलों में हुई। पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से एक इंसास राइफल, मैगजीन, गोला-बारूद, लैपटॉप, नक्सली साहित्य, विस्फोटक सामग्री और अन्य दैनिक उपयोग के सामान बरामद किए। यह सफलता सुरक्षा बलों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि रेणुका नक्सली संगठन में एक प्रमुख नेता थी और उसकी गिरफ्तारी के लिए राज्य सरकारों द्वारा इनाम घोषित किया गया था।

नक्सली संगठन में 28 साल का सफर

गुम्माडिवेली रेणुका का नक्सली संगठन में प्रवेश 1996 में हुआ था। शुरुआत में उसने संगठन में कुछ छोटे पदों पर काम किया और धीरे-धीरे उसका कद बढ़ता गया। 2003 में वह डीवीसीएम (डिवीजनल कमेटी मेंबर) के पद पर थी, जबकि 2006 में सीसीएम (सेंट्रल कमेटी मेंबर) दुला दादा के साथ काम किया। 2020 में उसे डीकेएसजेडसीएम (डिवीजनल कमेटी सेक्टर) बना दिया गया और सीआरबी प्रेस टीम इंचार्ज के रूप में जिम्मेदारी दी गई।

परिवार भी रहा नक्सली गतिविधियों से जुड़ा

रेणुका की जिंदगी में कई महत्वपूर्ण मोड़ आए। उसके भाई जीवीके प्रसाद उर्फ सुखदेव ने 2014 में आत्मसमर्पण कर दिया था। साल 2005 में उसकी शादी सीसीएम शंकामुरी अप्पाराव उर्फ रवि से हुई, जो 2010 में आंध्र प्रदेश के नलमल्ला मुठभेड़ में मारा गया। रेणुका नक्सली पत्रिकाओं "प्रभात", "महिला मार्गम", "आवामी जंग" और "पीपुल्स मार्च" के प्रकाशन से भी जुड़ी थीं।

 

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