कौन हैं राजा इकबाल सिंह, जिन्हें भाजपा ने दिल्ली के मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है?

भाजपा ने मेयर पद के लिए सरदार राजा इकबाल सिंह के नाम की घोषणा की है। पार्टी ने उपमेयर पद के लिए जय भगवान यादव को उम्मीदवार बनाया है। दोनों नेताओं ने सोमवार अपना नामांकन दाखिल कर दिया।

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राजा इकबाल सिंह। Photograph: (X)

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बड़ा दांव खेलते हुए राजा इकबाल सिंह को मेयर पद का उम्मीदवार घोषित किया है। उप-मेयर पद के लिए जय भगवान यादव को मैदान में उतारा गया है। दोनों नेताओं ने सोमवार अपना नामांकन दाखिल कर दिया।  

चुनाव 25 अप्रैल को होने हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) ने इस चुनाव से किनारा कर लिया है।  ऐसे में इकबाल सिंह का मेयर बनना लगभग तय माना जा रहा है। 

कौन हैं राजा इकबाल सिंह?

राजा इकबाल सिंह का दिल्ली नगर निगम में लंबा अनुभव रहा है। वे उत्तर दिल्ली के पूर्व मेयर रह चुके हैं और वर्तमान में मुखर्जी नगर वार्ड से दूसरी बार पार्षद हैं। साल 2017-18 के दौरान वे सिविल लाइंस ज़ोन के अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा, जून 2023 से वे एमसीडी में भाजपा के विपक्ष के नेता के रूप में कार्य कर रहे हैं — यह पद भाजपा को करीब 15 वर्षों बाद मिला था।

राजा इकबाल सिंह राजनीति में आने से पहले अमेरिका में कार्यरत थे। उन्होंने श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से बीएससी और मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की है।

उनका परिवार लंबे समय तक अकाली दल से जुड़ा रहा है। उनके ससुर जहांगीरपुरी से तीन बार पार्षद रह चुके हैं। खुद इकबाल सिंह भी एक समय अकाली दल के पार्षद थे। लेकिन जब 2020 में अकाली दल ने कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए से नाता तोड़ा, तो सिंह ने इस्तीफा देने से मना कर दिया और भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद वे उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर बने।

जहांगीरपुरी अतिक्रमण कार्रवाई में निभाई अहम भूमिका

इकबाल सिंह का नाम जहांगीरपुरी अतिक्रमण हटाओ अभियान को लेकर भी सुर्खियों में रहा है। 2020 में हनुमान जयंती के दौरान वहां सांप्रदायिक तनाव के बाद निगम ने अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की थी। सिंह ने अभियान का नेतृत्व किया और मीडिया से कहा, “यह धार्मिक नहीं, अतिक्रमण हटाओ अभियान है।”

एमसीडी में वर्तमान में कुल 238 सदस्य हैं और बहुमत के लिए 132 मतों की आवश्यकता है। भाजपा के पास 119 पार्षद, 7 लोकसभा सांसद और राज्यपाल द्वारा मनोनीत 11 विधायक हैं। इन सभी को मिलाकर भाजपा के पास 135 मत हैं- यानी बहुमत से तीन अधिक। वहीं आप के पास 113 पार्षद और कुछ राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन कांग्रेस के 8 पार्षदों के साथ भी बहुमत नहीं बनता।

आप ने चुनाव क्यों छोड़ा?

आप नेताओं सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने कहा, “एमसीडी में हमने चुनाव जीता, लेकिन भाजपा ने पहले भी चुनाव रुकवाया। परिसीमन में भारी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार हुआ। हम अब मेयर चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे लेकिन एमसीडी में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। हम खरीद-फरोख्त और तोड़फोड़ की राजनीति में विश्वास नहीं रखते।” 

नवंबर 2024 में हुए पिछली मेयर चुनाव में आप के महेश खिंची ने भाजपा के किशन लाल को सिर्फ 3 वोटों से हराया था। कुल 263 मतों में खिंची को 133 और किशन लाल को 130 वोट मिले थे। 2 वोट अवैध घोषित हुए थे, और कांग्रेस ने उस चुनाव का बहिष्कार किया था।

पिछले तीन वर्षों से भाजपा एमसीडी में विपक्ष में है, लेकिन अब समीकरण उसके पक्ष में दिख रहे हैं। ऐसे में राजा इकबाल सिंह का दोबारा मेयर बनना लगभग तय है।

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