केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के साथ मनमोहन सामल Photograph: (IANS)
भुवनेश्वर: ओडिशा में सत्तारूढ़ भाजपा ने मनमोहन सामल को एक और कार्यकाल के लिए राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में बरकरार रखने का फैसला लगभग कर लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह अध्यक्ष पद के लिए सोमवार को अपना नामांकन दाखिल करने वाले पार्टी के एकमात्र नेता रहे।
इससे साफ है कि 65 वर्षीय सामल का ओडिशा भाजपा प्रमुख के रूप में निर्विरोध चुना जाना तय है। इसकी आधिकारिक तौर पर घोषणा पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक संजय जायसवाल मंगलवार को करेंगे। भुवनेश्वर में पार्टी मुख्यालय में वरिष्ठ भाजपा नेताओं की एक बैठक में सर्वसम्मति से उनकी उम्मीदवारी तय की गई जिसके बाद उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया।
विधानसभा और लोकसभा में जबर्दस्त सफलता
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि सामल को उनकी 'राजनीतिक सूझबूझ' के लिए ओडिशा पार्टी इकाई का एक और कार्यकाल सौंप दिया गया है। दरअसल, सामल के कार्यकाल में ही पार्टी को 2024 के विधानसभा चुनावों में पहली बार पूर्ण बहुमत हासिल करने में मदद मिली।
भाजपा ने ओडिशा की 147 विधानसभा सीटों में से 78 पर जीत हासिल की। वहीं, बीजद को 51 सीटें मिलीं। सामल के नेतृत्व में भाजपा ने राज्य में 2024 के लोकसभा चुनावों में भी बड़ी सफलता हासिल की। पार्टी को कुल 21 लोकसभा सीटों में से 20 पर जीत मिली थी।
बीजद के साथ गठबंधन से किया था इनकार
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने 2024 के चुनावों के लिए बीजद के साथ गठबंधन करने का लगभग फैसला कर लिया था, लेकिन सामल एकमात्र पार्टी नेता थे, जिन्होंने न केवल गठबंधन के प्रस्ताव का विरोध किया, बल्कि नेतृत्व को अकेले लड़ने के लिए भी राजी किया।'
विधानसभा चुनाव से पहले मार्च 2023 में राज्य भाजपा प्रमुख के रूप में सामल की नियुक्ति के बाद, वे एक प्रमुख पार्टी नेता के रूप में उभरे हैं। उन्होंने तत्कालीन नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद सरकार के खिलाफ 'मजबूत सत्ता विरोधी मूड' को समझा, जो साल 2000 के बाद से लगातार पांचवें कार्यकाल में थी।
पार्टी नेता ने कहा, 'सामल ने भाजपा के केंद्रीय नेताओं को बीजद के साथ गठबंधन न करने और आक्रामक अभियान के साथ अपने दम पर चुनाव लड़ने के लिए राजी किया। केंद्रीय नेतृत्व को उनके प्रस्ताव से सहमत होना पड़ा और इससे पार्टी को बीजद सरकार को हटाने में मदद मिली, जिससे ओडिशा में पहली बार भाजपा सरकार का रास्ता साफ हो गया।'
छात्र राजनीति, एबीवीपी से शुरुआत
सामल 1970 के दशक के अंत में अपने छात्र दिनों से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। वे आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। भाजपा सूत्रों ने बताया कि राज्य पार्टी अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति को भी संघ ने मंजूरी दी थी। उन्होंने 1999-2004 के दौरान दो कार्यकालों के लिए राज्य भाजपा प्रमुख के रूप में भी काम किया था।
मजबूत संगठनात्मक कौशल वाले जमीनी नेता माने जाने वाले सामल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आते हैं। उन्हें अप्रैल 2000 में भाजपा ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। 2004 में भद्रक के धामनगर विधानसभा क्षेत्र से ओडिशा विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद उन्हें सांसद पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
तत्कालीन बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में सामल ने 2004 से 2008 तक राजस्व और खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण जैसे प्रमुख विभागों को संभाला था। 2009 में बीजद ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया था।
धामनगर को अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित किए जाने के बाद सामल ने अपना निर्वाचन क्षेत्र पड़ोसी चंदबली को बना लिया था। हालांकि 2014 से वह अपनी नई सीट से कोई भी चुनाव नहीं जीत सके हैं। 2024 के विधानसभा चुनाव में वे बीजेडी उम्मीदवार से लगभग 1,900 वोटों से हार गए थे। मिलनसार नेता सामल राज्य में पार्टी के सभी गुटों से अपने जुड़ाव और मजबूत संबंध के लिए भी जाने जाते हैं।