नाम और लिंग परिवर्तन करा पुरुष बने अनुकथिर सूर्या कौन हैं? भारतीय सिविल सेवाओं में पहली बार हुआ ऐसा

हैदराबाद में तैनात भारतीय राजस्व सेवा (IRS) महिला अधिकारी अनुसूया लिंग परिवर्तन कर पुरुष बन गई हैं। इसकी मंजूरी वित्त मंत्रालय ने दे दी है।

Hyderabad: IRS officer M Anukathir Surya has got his name and gender changed in official records. (LinkedIn/@anukthir-surya-m)

हैदराबाद: आईआरएस अधिकारी एम अनुकथिर सूर्या ने आधिकारिक रिकॉर्ड में अपना नाम और लिंग बदलवा लिया है। (लिंक्डइन/@अनुकथिर-सूर्या-एम)

तेलंगाना में एक उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारी के अपना नाम के साथ-साथ लिंग बदलवाने का एक अनोखा मामला सामने आया है। हैदराबाद में तैनात भारतीय राजस्व सेवा (IRS) महिला अधिकारी अनुसूया लिंग परिवर्तन कर पुरुष बन गई हैं। इसकी मंजूरी वित्त मंत्रालय ने दे दी है। अधिकारी ने अपना नाम अब एम अनुकथिर सूर्या रख लिया है। वह पहले महिला थीं, अब पुरुष के रूप में पहचानी जाएंगी।

यह भारतीय सिविल सेवाओं में पहली बार हुआ है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, राजस्व विभाग के आदेश में कहा गया है, "एम अनुसूया के अनुरोध पर विचार किया गया है। अब से अधिकारी को सभी आधिकारिक रिकॉर्ड में  'एम अनुकथिर सूर्य' के रूप में मान्यता दी जाएगी।"

कौन हैं अनुकथिर सूर्या?

अनुकथिर सूर्या ने दिसंबर 2013 में तमिलनाडु के चेन्नई में सहायक आयुक्त के रूप में अपना करियर शुरू किया था। इसके बाद 2018 में उन्हें डिप्टी कमिश्नर के पद पर पदोन्नत किया गया और पिछले साल, वे तेलंगाना के हैदराबाद में अपनी वर्तमान पोस्टिंग पर चले गए।

सूर्या ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, चेन्नई से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा 2023 में नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी, भोपाल से साइबर लॉ और साइबर फोरेंसिक में पीजी डिप्लोमा पूरा किया।

सूर्या (एम अनुसूया) हैदराबाद में सीमा शुल्क उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) के मुख्य आयुक्त (अधिकृत प्रतिनिधि) के कार्यालय में संयुक्त आयुक्त के रूप में कार्य करते हैं। उन्होंने अपना नाम बदलकर एम अनुकथिर सूर्या करने और अपना लिंग महिला से पुरुष करने का अनुरोध दायर किया था।

NALSA मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) मामले में करीब एक दशक पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। इस मामले में, कोर्ट ने ट्रांसजेंडर समुदाय को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी थी और इस बात पर जोर दिया था कि लिंग पहचान व्यक्ति की "अपनी पसंद" है।

कोर्ट ने कहा, “ट्रांसजेंडर लोगों को बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित करने का कोई औचित्य नहीं है... संविधान ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अधिकार देने के अपने दायित्व को पूरा कर लिया है। अब यह हमारा दायित्व है कि हम संविधान को पहचानें और उनकी गरिमापूर्ण जिंदगी सुनिश्चित करने के लिए उसकी व्याख्या करें। इसकी शुरुआत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता देने से होती है।”

अदालत ने आगे कहा, "अगर कोई व्यक्ति अपनी लैंगिक पहचान के अनुसार और चिकित्सा प्रगति तथा नैतिक मानकों के सहयोग से लिंग परिवर्तन करवाता है और कोई कानूनी रोक नहीं है, तो सर्जरी के बाद उनके लिंग के आधार पर उनकी लैंगिक पहचान को मान्यता देने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।"

अदालतन ने कहा कि  हम मानते हैं कि भले ही कोई विशिष्ट कानूनी प्रावधान न हों, फिर भी व्यक्तियों को लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने के बाद पुरुष या महिला के रूप में मान्यता प्राप्त करने का संवैधानिक अधिकार है, जो उनके शारीरिक स्वरूप को उनकी लैंगिक विशेषताओं के साथ संरेखित करता है।"

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