नई दिल्लीः भारतीय लोकतंत्र में लोकसभा सदस्य बनना एक बड़ी उपलब्धि है। चुनावी इतिहास में ऐसे कई राजनेता हुए जिनपर जनता ने खूब प्यार लुटाया। उन्हें बार-बार चुनकर संसद में भेजा।
आज हम ऐसे ही कुछ सांसदों की चर्चा करने जा रहे हैं जिनके नाम सबसे अधिक बार लोकसभा सदस्य बनने का रिकॉर्ड दर्ज है। इनमें ज्यादातर नेता दिवंगत हो चुके हैं। वहीं कुछ राजनीति में सक्रिय हैं।
इन्द्रजीत गुप्ता – 11
सबसे अधिक बार लोकसभा सांसद बनने का रिकॉर्ड इन्द्रजीत गुप्ता के नाम है। इंद्रजीत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से थे। 1977 के चुनाव को छोड़कर वे 1960 से 2001 तक 11 बार सांसद बने थे। उन्होंने पश्चिम बंगाल की कलकत्ता साउथ वेस्ट, अलीपुर, बसीरहाट और मिदनापुर निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया। वे एच डी देवगौड़ा और आई. के. गुजराल की सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री भी बने।
अटल बिहारी वाजपेयी – 10
इंद्रजीत के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सबसे अधिक बार लोकसभा सदस्य चुने जाने वाले थे तीन बार प्रधानमंत्री भी रहे। भारतीय जन संघ के सदस्य के रूप में अटल बिहारी ने लोक सभा सीट 10 बार जीती थी।
जनसंघ का बाद में जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी में वियल हो गया। वाजपेयी ने बलरामपुर (1957-71), ग्वालियर (1971-77) और नई दिल्ली (1977-84) का प्रतिनिधित्व किया और फिर 1991 से 2009 तक लगातार पांच बार लखनऊ से चुने गए थे।
सोमनाथ चटर्जी – 10
पेशे से वकील, सोमनाथ चटर्जी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य के रूप में 10 बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। वे मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-I सरकार के दौरान लोकसभा के 14वें स्पीकर थे।
सोमनाथ चटर्जी ने 1971 से 2009 तक बर्द्धमान, जाधवपुर और बोलपुर निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया। इंडो-यूएस परमाणु समझौते पर यूपीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के बाद सीपीआई(एम) ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था।
चटर्जी ने 2009 में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद राजनीति से संन्यास ले लिया। बाद के दिनों में बोलपुर अनुसूचित जाति आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र बन गया।
पी एम सईद – 10
कांग्रेस नेता पी एम सईद भी अटल बिहारी वाजपेयी और सोमनाथ चटर्जी की कतार में खड़े हैं। सईद के नाम 10 बार लोकसभा सदस्य बनने का रिकॉर्ड है। 1967 से 2004 तक लगातार 10 बार लोक सभा के लिए चुने गए। उन्होंने 1967 में इसके गठन के बाद से लक्षद्वीप निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे 2005 में यूपीए सरकार में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री थे जब उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
कमल नाथ – 9
दिग्गज कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ राज्य के छिंदवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र से नौ बार लोकसभा के सदस्य रहे हैं। वे पहली बार 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में 7वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे।
जॉर्ज फर्नांडीस – 9
कर्नाटक के मंगलुरु में जन्मे जॉर्ज फर्नांडीस एक पत्रकार और राजनेता थे। वे नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। समाजवादी फर्नांडीस ने केंद्र सरकार में रक्षा, रेलवे और उद्योग सहित प्रमुख विभागों का संभाला। वे समता पार्टी के संस्थापक भी थे। वे पहली बार 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर मुंबई दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद 1977 में वे बिहार के मुजफ्फरपुर गए, जहाँ वे तीन बार सांसद बने। उन्होंने बिहार के नालंदा का भी प्रतिनिधित्व किया।
गिरिधर गमांग – 9
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे गिरिधर गमांग राज्य के कोरापुट निर्वाचन क्षेत्र से नौ बार लोकसभा के सदस्य रहे हैं। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
खगपति प्रधानी – 9
खगपति प्रधानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे, जो ओडिशा के नौरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। खगपति 1967, 1971, 1977, 1980, 1984, 1989, 1991, 1996, 1998 में सांसद चुने गए थे।
माधवराव सिंधिया – 9
पूर्ववर्ती सिंधिया राजवंश के वंशज माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के साथ काम किया और नौ बार संसद के सदस्य बने। उन्होंने विभिन्न सरकारों के तहत रेलवे, पर्यटन, नागरिक उड्डयन और मानव संसाधन विकास जैसे विभागों को संभाला।
रामविलास पासवान – 8
दिवंगत नेता रामविलास पासवान भी सबसे ज्यादा बार लोकसभा सदस्य बनने वाले नेताओं में शामिल हैं। रामविलास के नाम आठ बार सांसद बनने का रिकॉर्ड दर्ज है। हाजीपुर में जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में, उन्होंने 1977 के लोकसभा चुनाव में 89.30 प्रतिशत मतदान प्राप्त करके विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
वीपी सिंह सरकार के दौरान, पासवान श्रम मंत्री बने। देवेगौड़ा और आई के गुजराल के तहत, उन्होंने रेल मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्होंने 2002 तक एनडीए सरकार के दौरान संचार और कोयला मंत्रालय संभाला।
2000 में, पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया। उन्होंने 2004 में यूपीए सरकार का समर्थन भी किया। पासवान के पास 1996 से पांच अलग-अलग प्रधानमंत्रियों के अधीन काम करने और सभी सत्तारूढ़ गठबंधनों में मंत्रालय संभालने का रिकॉर्ड है।