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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मतदान के बाद चुनाव आयोग द्वारा वोटर टर्नआउट (मतदान प्रतिशत) की सही संख्या प्रकाशित करने संबंधी याचिका पर आदेश देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी लोकसभा चुनाव चल रहे हैं, इसलिए इसमें दखल नहीं दिया जाएगा।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि हम उस चीज को बाधित नहीं कर सकते जो पहले से चल रही है... चुनावों के बीच, व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना पड़ता है। आवेदन पर मुख्य रिट याचिका के साथ सुनवाई की जाए। पीठ ने आगे कहा कि हम प्रक्रिया को बाधित नहीं कर सकते। हमें प्राधिकरण में कुछ विश्वास रखना चाहिए।
लोकसभा चुनाव के बीच गैर-लाभकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने यह याचिका दायर की थी। इसके साथ ही टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की याचिका को भी सूचीबद्ध किया गया था जिसे उन्होंने 2019 के आम चुनाव के दौरान दाखिल किया था। महुआ ने भी याचिका में वोटिंग टर्नआउट में विसंगतियों का आरोप लगाया था।
विवाद क्या है?
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वोटिंग टर्न आउट को लेकर कोई पारदर्शिता नहीं है। राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया कि मतदान के दिन मतदान प्रतिशत कुछ होता है और एक हफ्ते बाद कुछ और हो जाता है। 22 मई को अरविंद केजरीवाल ने वोटिंग टर्न आउट को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि ''एक दिन चुनाव आयोग कहता है कि 52 प्रतिशत वोट पड़े और 6 दिन बाद कहता है कि 62 पर्सेंट वोट पड़े। ऐसे में 10 प्रतिशत वोट कहां से बढ़े, इसको लेकर कोई पारदर्शिता नहीं है। पूर्व चुनाव आयुक्त भी मानते हैं कि वोटिंग टर्नआउट का डाटा रियल टाइम आ सकता है।'' राजनीतिक दलों ने कहा कि पहले चरण के डेटा में 10 दिनों की देरी हुई और अगले तीन चरणों के डेटा में चार दिनों का विलंब हुआ।
याचिका में यह मांग की गई है कि वोटिंग के बाद चुनाव आयोग द्वारा मतदान प्रतिशत के सही आंकड़े और वेबसाइट पर फॉर्म 17सी ( बूथ-वार मतदान ) की प्रतियां अपलोड की जाए। हालांकि पीठ ने शुक्रवार को चुनाव आयोग को ऐसा कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शनिवार को छठा चरण है। इसलिए चुनाव आयोग में दखल नहीं दिया जाएगा। इस तरह की कार्रवाई चल रही प्रक्रियाओं को बाधित कर सकती है। अदालत में एडीआर की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे पेश हुए थे जबकि मोइत्रा का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी कर रहे थे। सिंघवी ने कहा कि कुल 543 निर्वाचन क्षेत्र हैं। जिसमें लगभग 10 लाख 17सी का गठन होता है। सेना के कारण इसका प्रबंधन किया जा सकता है।
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
याचिका का विरोध करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि आम जनता के लिए फॉर्म 17 सी तक पहुंचने के लिए कोई कानूनी जनादेश नहीं है। चुनाव नियमों के संचालन के अनुसार, फॉर्म 17 सी केवल उम्मीदवार के मतदान एजेंट को दिया जा सकता है। चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कहा वेबसाइट पर फॉर्म 17 सी के अपलोडिंग से छेड़छाड़ हो सकती है और इस प्रक्रिया में अविश्वास करने वाले मतदाताओं को भ्रमित कर सकता है। उन्होंने याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाने की बात कही। मनिंदर सिंह ने कहा कि ऐसे लोगों का रवैया चुनाव की शुचिता पर सवालिया निशाना लगाकर लगाकर जनहित को नुकसान पहुंचा रहा है।
पीठ ने क्या कहा?
कल छठा चरण है, 5 चरण पूरे हो चुके हैं...इस विशेष अनुपालन के लिए जनशक्ति की आवश्यकता होगी, हमें जमीनी हकीकत के प्रति बहुत सचेत रहना होगा, हमें लगता है कि छुट्टियों के बाद यह सुना जा सकता है। पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि हम कितनी जनहित याचिकाएं देखते हैं - जनहित, पैसा ब्याज मुकदमेबाजी आदि....लेकिन हम आपको जो बता रहे हैं, वह यह है कि आपने सही समय उचित मांग के साथ याचिका दायर नहीं की है।
फॉर्म 17 सी क्या होता है?
फॉर्म 17C चुनावों के दौरान इस्तेमाल किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण फॉर्म होता है। इस फॉर्म में मतदान केंद्रों का डाटा रखा जाता है, जिसमें मतदान केंद्रों की संख्या, वहां कितने लोग वोट डालने आए थे, कितने वोट खारिज हुए और कितने स्वीकार किए गए, जैसी जानकारी होती है। कोर्ट का कहना है कि चुनाव चल रहे हैं, इसलिए अभी इस फॉर्म में दखल नहीं दिया जाएगा। इससे चुनाव की प्रक्रिया में दिक्कत आ सकती है।