नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ को और बढ़ाकर भले ही 50 प्रतिशत कर दिया और उकसावे वाली बयानबाजी भी कर रहे हैं। हालांकि, भारत परेशान नहीं है। भारत सरकार के अबतक के रूख से यही लग रहा है कि वो अगले कुछ या संभवत: उससे अधिक समय तक इंतजार करने के लिए तैयार है। भारत अभी शांत और बिना किसी बड़ी प्रतिक्रिया के ट्रंप की बढ़ती हताशा से निपटने की कोशिश करेगा।
इसके साथ ही सरकार ने अब तक की प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट कर दिया है कि ट्रंप भारत को रूस के साथ व्यापार नहीं करने या ब्रिक्स से दूरी बनाने के लिए नहीं कह सकते। इसके अलावा भारत की अपने सहयोगी देशों पर भरोसे को और मजबूत बनाने की भी कोशिश होगी। इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (शुक्रवार) दोपहर 1 बजे एक उच्च स्तरीय कैबिनेट बैठक की भी अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में अमेरिकी टैरिफ और उससे पड़ने वाले असर को लेकर गंभीर मंत्रणा होगी।
अमेरिका टैरिफ पर भारत की रणनीति
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सरकार के करीबी सूत्र के हवाले से कहा गया है, 'ये भारत के संप्रभुता से जुड़े फैसले (व्यापार) हैं। हम अपनी संप्रभुता का कभी त्याग नहीं करेंगे।' सूत्र ने आगे कहा, 'हम अमेरिका के साथ टैरिफ और व्यापार पर बातचीत करने को तैयार हैं, लेकिन ट्रंप लगातार अपना लक्ष्य बदलते रहे हैं। रूस, जो भारत का हमेशा से और अटूट मित्र है, उससे डिफेंस पार्ट्स या तेल खरीदना, या ब्रिक्स जैसे वैश्विक समूह का सदस्य होना - ये ऐसे मुद्दे हैं जिनका अमेरिका के साथ व्यापार से कोई लेना-देना नहीं है और इन पर कोई समझौता नहीं हो सकता।'
गौरतलब है कि भारत उन पहले कुछ देशों में से एक है जिन्होंने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू की थी। और 1 अगस्त से पहले एक अंतरिम समझौता होने की उम्मीद थी।
एक अन्य सूत्र ने कहा, 'हम वास्तव में अच्छी प्रगति कर रहे थे और समझौते के बहुत करीब थे।' सूत्र ने कहा, 'हाँ, हमारी अर्थव्यवस्था की प्रकृति को देखते हुए कुछ सीमा रेखाएँ हैं। कृषि और डेयरी क्षेत्र गरीब किसानों की एक बड़ी आबादी की आजीविका से जुड़े हैं, इन क्षेत्रों को खोलने को लेकर बहुत कम या कोई लचीलापन नहीं है।'
भारत से क्यों चिढ़े हुए हैं ट्रंप?
भारत और अमेरिका के बीच बातचीत की जानकारी रखने वाले एक शीर्ष राजनीतिक पदाधिकारी ने कहा, 'एक वजह यह है कि वह इस बात से बेहद निराश हैं कि भारत अड़ा हुआ है... झुकने को तैयार नहीं है, जबकि कई दूसरे देश झुके हैं।'
इसके अलावा एक सूत्र ने कहा कि ट्रंप की नाराज़गी की एक और वजह भी हो सकती है। सूत्र ने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति ने बार-बार कहा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति लाने में मदद की है, उन्होंने युद्ध रोका है। हमने इसे कभी स्वीकार नहीं किया, क्योंकि यह बिल्कुल सच नहीं है। दरअसल, सरकार ने इससे इनकार किया है।'
अमेरिका से निपटने के लिए भारत ने अपनाया बीच का रास्ता
सूत्रों के अनुसार ट्रंप के साथ बातचीत करने वाले देश दो श्रेणियों में हैं। पहला, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देश जो वास्तव में ट्रंप का कड़ा प्रतिरोध नहीं कर पाए और उनकी दबाव की रणनीति के आगे टिक नहीं पाए। ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने बड़ी रियायतें दी हैं, जिनमें संभवतः राजनीतिक शर्तें भी शामिल हैं। दूसरी ओर चीन और कनाडा जैसे देश हैं। ये मुखर हैं, खुलेआम चुनौती देते हैं और यहाँ तक कि जवाबी कार्रवाई भी करते हैं।
सूत्रों के अनुसार इन सबके बीच भारत ने बीच का रास्ता खोज लिया है। इसे 'चुपचाप रहते हुए समर्पण न करने' की रणनीति कह सकते हैं। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सूत्र ने कहा, 'भारत ने अपना रास्ता खोज लिया है - प्रतिरोध का मध्यमार्ग। हम सार्वजनिक रूप से आलोचना नहीं करते, लेकिन हम खड़े होते हैं और दबाव में नहीं झुकते, और यह सब बिना ज्यादा शोर मचाए हो रहा है।'
अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी पर उच्च स्तरीय बैठक
इन सब बातों और कई अटकलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक उच्च स्तरीय कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में अमेरिकी टैरिफ को चर्चा होगी। इस बैठक में अमेरिकी कार्रवाई पर भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया पर चर्चा होने की उम्मीद है।
टैरिफ के ताजा हालात की बात करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को इसमें 25 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि की घोषणा की है। इस घोषणा में भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल के लगातार आयात को इसका मुख्य कारण बताया गया। यह 20 जुलाई से लागू हुए पिछले 25 प्रतिशत टैरिफ के अतिरिक्त है।
अमेरिकी कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, विदेश मंत्रालय ने इस फैसले को 'अनुचित और अविवेकपूर्ण' करार दिया था और कहा था कि "भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं और रणनीतिक स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए।"
पीएम मोदी ने कल दिखाया था अपना स्टैंड
नए टैरिफ लागू होने के तुरंत बाद एक सार्वजनिक बयान में, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के प्रति अपनी सरकार के अटूट समर्थन को दोहराया।
पीएम मोदी गुरुवार को दिल्ली में एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने कहा, 'किसानों का हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। मुझे पता है कि मुझे व्यक्तिगत रूप से इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं तैयार हूं। भारत अपने किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हित में तैयार है।'
बताते चलें कि ट्रंप ने गुरुवार को टैरिफ पर भारत के साथ बातचीत से इनकार कर दिया। जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या 27 अगस्त से लागू होने वाले 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा के बाद उन्हें और बातचीत की उम्मीद है, तो उन्होंने कहा, 'नहीं, जब तक हम इसे हल नहीं कर लेते।'