मुंबई: विवादों से घिरी ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर (Puja Khedkar) ने अपनी उम्मीदावारी से संबंधित जांच के लिए गठित समिति को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
पूजा ने कहा है कि ”अभी मुझे आपको समिति के बारे में कुछ भी बताने का अधिकार नहीं है। क्या जांच चल रही है, मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकती। जब भी रिपोर्ट जनता के सामने आएगी, हर कोई इसके बारे में जान जाएगा।”
दरअसल, आईएएस ट्रेनी पूजा खेडकर पर अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए गाड़ी, क्वार्टर और स्टाफ जैसे विशेष सुविधा की मांग करने का आरोप लगा है।
उन पर आईएएस की नौकरी पाने के लिए कथित तौर पर अपने हलफनामे में दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का दावा करने का भी आरोप लगा है। इन दावों के चलते अखिल भारतीय रैंक (एआईआर) में कम नंबर होने के बादवजूद वे परीक्षा को पास करने में कामयाब रही थीं।
यही नहीं उन्होंने अपने नौकरी के लिए पेश किए गए दस्तावेज में ओबीसी गैर-क्रीमी लेयर के अंतरगत आने का भी दावा किया है जबकि उनके पिता ने अपनी चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्ति 40 करोड़ घोषित की थी।
इन सब आरोपों के सामने आने के बाद उनका पुणे से वाशिम में ट्रांसफर हो गया है। उनके तबादले के बाद गुरुवार को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने उनके खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए एक सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस जांच में उनकी ओबीसी और विकलांगता प्रमाणपत्रों में कथित विसंगतियों की जांच भी शामिल है।
कौन होता है प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी?
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) परिवीक्षा नियम 1954 के अनुसार, प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी एक ऐसा अधिकारी होता है जो प्रोबेशनरी यानी ट्रेनी पर सेवा में नियुक्त किया जाता है।
जो कोई अधिकारी यूपीएससी परीक्षा को पास कर लेता है और बतौर आईएएस कैडर चुन लिया जाता है, उसे दो साल के प्रोबेशन यानी ट्रेनिंग को पूरा करना होता है। जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार इस ट्रेनिंग को दौ और साल के लिए भी बढ़ा सकता है।
प्रोबेशन यानी ट्रेनिंग के दौरान अधिकारी को कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती है जिसमें मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में दी गई ट्रेनिंग भी शामिल है। यही नहीं इस दौरान अधिकारियों को भारत का दर्शन भी कराया जाता है साथ में उनकी राज्य सरकार से भी संबंध स्थापित करने की कोशिश करवाई जाती है।
ट्रेनिंग पूरी करने के बाद क्या होता है
जब प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी की ट्रेनिंग खत्म हो जाती है तब उसे एक और परीक्षा देना पड़ता है जिसमें पास होना बहुत जरूरी होता है। इस परीक्षा में पास होने के बाद ट्रेनिंग खत्म हो जाती है और अधिकारियों की सीधी पोस्टिंग हो जाती है जिससे वे अपना करियर शुरू करते हैं।
नियम के अनुसार, पूरे ट्रेनिंग के दौरान अधिकारियों को विशिष्ट आचरण और अनुशासन नियमों का पालन करने को कहा जाता है। इस दौरान सभी अधिकारियों को अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968 और अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम 1969 में बताए गए नियमों को पालन करना पड़ता है।
क्या कोई प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी हो सकता है बर्खास्त
प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी को सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है। नियम के अनुसार, अगर कोई अधिकारी यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद दोबारा होने वाली परीक्षा में अगर वह फेल हो जाता है तो इस केस में अधिकारी को सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है।
अगर केंद्र सरकार यह मान लेता है कि अधिकारी भर्ती के लिए अयोग्य या सेवा के लिए अनुपयुक्त है तो इसमें भी उसे सर्विस से बर्खास्त किया जा सकता है। यही नहीं ट्रेनिंग के दौरान अगर अधिकारी अपने प्रोबेशनरी पढ़ाई और कर्तव्यों को जानबूझकर नजरअंदाज करता है तो इस हालत में भी उसे सेवा से अलग किया जा सकता है।
ट्रेनिंग के दौरान अगर किसी प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी में यह पाया गया है कि उसका मन और चरित्र सेवा के आवश्यक गुणों से सही से मेल नहीं खाता है और वह सेवा के आवश्यक गुणों पर खरा नहीं उतरता है तो इस केस में भी उसे सर्विस से हटा दिया जाएगा।
यही नहीं कोई भी प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी अगर किसी भी प्रावधान को पालन करने में विफल रहता है तो इस केस में उसे सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है।
बता दें कि केवल दोबारा होने वाली परीक्षा को छोड़कर बाकी सभी केस में केंद्र सरकार को सभी मामलों में आदेश पारित करने से पहले एक संक्षिप्त जांच करनी होती है। लेकिन अगर कोई भी प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी परीक्षा में अगर फेल हो जाता है तो इस केस में वह सेवा से बर्खास्त हो जाता है।
प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी को क्या सुविधा मिलती है
ट्रेंनिग कर रहे प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी को निश्चित वेतन और यात्रा भत्ते जैसे केवल कुछ सुविधाएं ही मिलती है। नियमों में किसी विशेष आवास या अन्य विशेषाधिकारों का उल्लेख नहीं किया गया है। ट्रेंनिग के दौरान अधिकारियों को अकादमी या राज्य पोस्टिंग में उनकी पोस्टिंग के दौरान उन्हें दैनिक भुगतान भी नहीं मिलता है।